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ज़ुबैर के लिए दैनिक जागरण के मन में कितनी घृणा है, देखें ये हेडिंग!

सौरभ यादव-

ये अख़बार नहीं हो सकता ये अख़बार की भाषा नहीं हो सकती…मगर अफसोस ये अख़बार ही है और भारत का सबसे ज्यादा पढ़ा जाने वाला अख़बार है…हां ये दैनिक जागरण है जिसमें ‘दैनिक’ ख़बरों की मौत होती है।

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प्रदीप-

हेडिंग लगाने वाला बहुत वरिष्ठ नहीं होगा। इसमें बिल्कुल संदेह नहीं कि प्रतिष्ठित अखबार में कल कई सीनियर रहे होंगे। उन्होंने पेज बनने के बाद जरूर देखा होगा। कल की यह खबर सनसनी थी। चर्चा भी हुई होगी। फिर भी इतनी जजमेंटल हेडिंग लगी।

मुझे यकीन है कि जिसने भी हेडिंग लगाई, उसे एथिक्स की जानकारी होगी। उसे यह भी पता होगा कि पुलिस न तो हाई कोर्ट है और न ही सुप्रीम कोर्ट। केस का तो अभी ट्रायल भी शुरू नहीं हुआ। आरोप पत्र भी कोर्ट तक नहीं पहुंचा और बता दिया कि ‘देश कि छवि खराब करने में जुटा जुबैर’…

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हमारा देश इतना छूई-मूई नहीं है कि किसी न्यूज़ से उसकी छवि खराब हो जाए। राजनीति अपना काम कर रही है। ये भी सच है कि बगैर राजनीतिक सपोर्ट के ये अखबार विकलांग हो जायेंगे। फिर भी इन चुनौतियों से बचकर निकलना ही तो पत्रकारिता है।

यहां काम करने वाले वरिष्ठ मेरी इस धृष्टता को माफ करें।

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