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IPS to Home Minister, CM: Ensure 8 hr shift for police men

UP IPS officer Amitabh Thakur has requested Home Minister Rajnath Singh and UP Chief Minister Akhilesh Yadav to ensure 08 hours workday and minimum one-day weekly off for policemen. Basing on the study, ‘National Requirement of Manpower for 8-hour Shift in Police Stations’ by Bureau of Police Research and Development (BPRD), which says that 90% of police officers work for more than eight hours a day and 73% don’t get a weekly off even once a month, Sri Thakur requested Sri Singh to issue appropriate guidelines to all the State governments to ensure the compliance of the important conclusions of this report. He requested Akhilesh Yadav to ensure similar provisions in Uttar Pradesh.

<p>UP IPS officer Amitabh Thakur has requested Home Minister Rajnath Singh and UP Chief Minister Akhilesh Yadav to ensure 08 hours workday and minimum one-day weekly off for policemen. Basing on the study, 'National Requirement of Manpower for 8-hour Shift in Police Stations' by Bureau of Police Research and Development (BPRD), which says that 90% of police officers work for more than eight hours a day and 73% don't get a weekly off even once a month, Sri Thakur requested Sri Singh to issue appropriate guidelines to all the State governments to ensure the compliance of the important conclusions of this report. He requested Akhilesh Yadav to ensure similar provisions in Uttar Pradesh.</p>

UP IPS officer Amitabh Thakur has requested Home Minister Rajnath Singh and UP Chief Minister Akhilesh Yadav to ensure 08 hours workday and minimum one-day weekly off for policemen. Basing on the study, ‘National Requirement of Manpower for 8-hour Shift in Police Stations’ by Bureau of Police Research and Development (BPRD), which says that 90% of police officers work for more than eight hours a day and 73% don’t get a weekly off even once a month, Sri Thakur requested Sri Singh to issue appropriate guidelines to all the State governments to ensure the compliance of the important conclusions of this report. He requested Akhilesh Yadav to ensure similar provisions in Uttar Pradesh.

 

He said that it has been felt for long that long duty hours are adversely affecting policemen’s health, family and social life and also their professional work, but for the first time it has been authoritatively established through an official study and hence the study must be respected and its recommendation of following the Kerala model of 08 hours shift must be emulated, taking into consideration the good results found in Kerala following this 08 hour model.

The research involved extensive field survey including 12,156 police station staff, 1,003 SHOs and 962 supervisory officers, from ranks ranging from constables to IGPs, in 319 districts in 23 states and two Union Territories. All nine police stations types – metropolitan, urban, urban-rural mixed, rural, crime, traffic, women, tribal and others were covered in the survey and it concluded that nearly 90% of police station staff works for more than eight hours a day. More than 68% of SHOs and over 76% of supervisory officers stated that staff members in police stations were on duty for 11 hours or more per day. 27.7% SHOs and 30.4% supervisory officers reported that their staff worked for more than 14 hours a day.

It also found that nearly two-thirds (74%) of police station staff have reported that the current working hours lead to health problems of different kinds for them and  were also not conducive for attending to their personal/family needs and social life and commitments, in all ranks.

आईपीएस की गृह मंत्री, मुख्यमंत्री से गुजारिश: पुलिसवाले 8 घंटे काम करें

यूपी आईपीएस अमिताभ ठाकुर ने आज देश के गृह मंत्री राजनाथ सिंह और यूपी के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से पुलिसवालों के लिए 08 घंटे रोज की सेवा और सप्ताह में कम से कम एक दिन अवकाश दिए जाने का अनुरोध किया है. ब्यूरो ऑफ़ पुलिस रिसर्च एंड डेवलपमेंट (बीपीआरडी) के रिसर्च ‘पुलिस थानों में 8-घंटे शिफ्ट के लिए राष्ट्रीय स्तर पर मानव संसाधन की आवश्यकता’, जिसमे यह पाया गया कि 90% पुलिसवाले 08 घंटे रोज से अधिक काम करते हैं और 73% को महीने में एक दिन भी साप्ताहिक अवकाश नहीं मिलता है, के आधार पर श्री ठाकुर ने श्री सिंह से सभी राज्य सरकारों को इस रिपोर्ट के महत्वपूर्ण निष्कर्षों का पालन करने हेतु दिशानिर्देश देने का निवेदन किया. उन्होंने अखिलेश यादव से भी इन प्रावधानों का यूपी में पालन कराने हेतु अनुरोध किया.

उन्होंने कहा कि यद्यपि ये बातें एक लम्बे समय से कही जा रही है पर अब बीपीआरएनडी जैसी अत्यंत जिम्मेदार सरकारी संस्थाओं द्वारा कई हज़ार पुलिसकर्मी के ऊपर कराये गए रिसर्च में इन तथ्यों के आधिकारिक रूप से प्रमाणित हो जाने से इनकी स्वीकार्यता बहुत अधिक बढ़ जाती है. अतः इस रिसर्च द्वारा केरल में आठ घंटे के शिफ्ट के प्रयोग से आई बेहतरी के नतीजे का अन्य स्थानों पर भी पालन किया जाना चाहिए.

यह रिसर्च 23 राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों के 319 जनपदों के 12,156 पुलिसकर्मी, 1,003 थानाध्यक्ष और 962 पर्यवेक्षक अधिकारियों के सर्वे पर आधारित है जिसमें सभी नौ प्रकार के संभावित थानों को सम्मिलित किया गया है. इस रिसर्च में यह सामने आया है कि 90% से अधिक पुलिसकर्मी प्रत्येक दिन आठ घंटे से अधिक काम करते हैं और 73% पुलिसकर्मी महीने में एक दिन भी साप्ताहिक अवकाश नहीं पाते. इसमें यह बात भी आई है कि इन कारणों से पुलिसकर्मी न तो स्वस्थ हैं और न ही उनका जनता के प्रति अच्छा आचरण रहता है. इससे उन्हें अनिद्रा, तनाव, एसिडिटी जैसी तमाम बीमारियाँ होती हैं. यह भी पाया गया कि इससे पुलिसिंग भी सीधे तौर पर प्रभावित होती है.

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सेवा में,
श्री राजनाथ सिंह,
मा० गृह मंत्री,
भारत सरकार,
नयी दिल्ली

विषय- बीपीआरएनडी के शोध के परिप्रेक्ष्य में
महोदय,

मैं अमिताभ ठाकुर यूपी कैडर का आईपीएस अफसर हूँ किन्तु मैं यह पत्र अपनी निजी हैसियत (personal capacity) में आज समाचार पत्रों में पुलिस कर्मियों के लम्बे कार्य-समय और अवकाश की समस्या के सम्बन्ध में प्रकाशित समाचार के परिप्रेक्ष्य में लिख रहा हूँ. निवेदन करूँगा कि यह समाचार ब्यूरो ऑफ़ पुलिस रिसर्च एंड डेवलपमेंट (बीपीआरएनडी) तथा एडमिनिस्ट्रेटीव स्टाफ कॉलेज ऑफ़ इंडिया द्वारा किये गए 250 पृष्ठों के शोध पत्र ‘National Requirement of Manpower for 8-hour Shift in Police Stations’ पर आधारित है जिसके टीम लीडर श्री कमल कुमार, पूर्व आईपीएस हैं. यह शोध 23 राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों के 319 जनपदों के 12,156 पुलिसकर्मी, 1,003 थानाध्यक्ष और 962 पर्यवेक्षक अधिकारियों के सर्वे पर आधारित है. इसमें सभी नौ प्रकार के संभावित थानों को सम्मिलित किया गया है. मैं इस शोधपत्र की एग्जीक्यूटिव समरी इस पत्र के साथ संलग्न कर रहा हूँ.

इस शोधपत्र में कतिपय महत्वपूर्ण निष्कर्ष सामने आये हैं-

1. 90% से अधिक पुलिसकर्मी प्रत्येक दिन आठ घंटे से अधिक काम करते हैं

2. 68% थानाध्यक्ष और 76% पर्यवेक्षक अफसर यह मानते हैं कि पुलिसकर्मी प्रत्येक दिन 11 घंटे से अधिक काम करते हैं जबकि 27.7% थानाध्यक्ष और 30.4%  पर्यवेक्षक अफसर मानते हैं कि पुलिसकर्मी प्रत्येक दिन 14 घंटे से अधिक काम करते हैं

3. 73% पुलिसकर्मी महीने में एक दिन भी साप्ताहिक अवकाश नहीं पाते

4. इसमें भी कई लोग अवकाश पाते ही आकस्मिक कार्यों से वापस बुला लिए जाते हैं

आप सहमत होंगे कि यह स्थिति न तो देश के श्रम कानूनों के अनुरूप है और न ही संविधान के अनुच्छेद 42 के अनुरूप. अध्ययन से यह पाया गया कि इन कारणों से पुलिसकर्मी न तो स्वस्थ हैं और न ही उनका जनता के प्रति अच्छा आचरण रहता है. इससे उन्हें अनिद्रा, तनाव, एसिडिटी जैसी तमाम बीमारियाँ होती हैं. यह भी पाया गया कि इससे पुलिसिंग भी सीधे तौर पर प्रभावित होती है, साथ ही पुलिसकर्मी के अन्दर हीन भावना भी जन्म लेती है तथा उनके व्यक्तिगत, सामाजिक और पारिवारिक जीवन भी कुप्रभावित होते हैं.

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इस अध्ययन से यह तथ्य भी सामने आया कि 2013 के आंकड़ों के अनुसार भारत के सभी राज्यों में कुल 22,09,027 पुलिसकर्मी थे जिसमे मात्र 675,115 थानों पर थे जो पूरे बल का मात्र 30% है और यह काफी कम माना गया है. अध्ययन में इस बात पर विशेष बल दिया गया है कि पुलिस वर्किंग में शिफ्ट सिस्टम को लाया जाए और इस हेतु केरल राज्य द्वारा अपनाए गए निश्चित आठ घंटे की ड्यूटी की काफी प्रशंसा करते हुए सभी प्रदेशों में इसे अपनाने की राय दी गयी है.

यद्यपि ये बातें एक लम्बे समय से लोगों की सामान्य सोच में रही है पर अब बीपीआरएनडी तथा एडमिनिस्ट्रेटीव स्टाफ कॉलेज ऑफ़ इंडिया जैसी अत्यंत जिम्मेदार सरकारी संस्थाओं द्वारा कई हज़ार पुलिसकर्मी के ऊपर कराये गए रिसर्च में इन तथ्यों के आधिकारिक रूप से प्रमाणित हो जाने से इन तथ्यों की मान्यता और स्वीकार्यता बहुत अधिक बढ़ जाती है.

हम सभी यह जानते हैं कि महोदय बेहतर पुलिसिंग और पुलिस की तमाम समस्याओं के वास्तविक निदान के लिए सतत प्रयासरत और प्रयत्नशील हैं. ऐसे में उपरोक्त शासकीय शोध के तथ्य महोदय को बेहतर पुलिसिंग कराने की दृष्टि से सभी राज्यों को उचित निर्देश और मार्गदर्शन प्रदान करने में काफी प्रभावी और सहायक हो सकते हैं.

मैंने बीपीआरएनडी के कुछ अधिकारियों से इस सम्बन्ध में वार्ता की तो ज्ञात हुआ कि यह रिपोर्ट राज्य सरकारों और केंद्र सरकार को अध्ययन कर अनुपालन और सुझाव हेतु प्रेषित किये गए हैं किन्तु ऐसा प्रतीत होता है कि यह रिपोर्ट महोदय के समक्ष प्रस्तुत नहीं किया गया है.

अतः आपसे निवेदन है कि कृपया उपरोक्त शोधपत्र के महत्वपूर्ण निष्कर्षों को महोदय के समक्ष प्रस्तुत करते हुए उसके आधार पर समस्त राज्यों को उचित निर्देश देने और उनका आवश्यक मार्गदर्शन करने की कृपा करें ताकि शोध में सामने आये तत्वों को समाहित करते हुए पुलिसकर्मियों की समस्याओं का वास्तविक और समुचित निदान हो सके और इससे बेहतर पुलिसिंग में सहायता मिल सके.

पत्र संख्या-  AT/Complaint/132/15                                                                       
भवदीय,
दिनांक-01/06/2015

(अमिताभ ठाकुर )
5/426, विराम खंड,
गोमतीनगर, लखनऊ
# 094155-34526
[email protected]

सेवा में,
श्री अखिलेश यादव,
मा० मुख्यमंत्री/गृह मंत्री,
उत्तर प्रदेश शासन,
लखनऊ  

विषय- बीपीआरएनडी के शोध के परिप्रेक्ष्य में
महोदय,
      मैं अमिताभ ठाकुर यूपी कैडर का आईपीएस अफसर हूँ किन्तु मैं यह पत्र अपनी निजी हैसियत (personal capacity) में आज समाचार पत्रों में पुलिस कर्मियों के लम्बे कार्य-समय और अवकाश की समस्या के सम्बन्ध में प्रकाशित समाचार के परिप्रेक्ष्य में लिख रहा हूँ. निवेदन करूँगा कि यह समाचार ब्यूरो ऑफ़ पुलिस रिसर्च एंड डेवलपमेंट (बीपीआरएनडी) तथा एडमिनिस्ट्रेटीव स्टाफ कॉलेज ऑफ़ इंडिया द्वारा किये गए 250 पृष्ठों के शोध पत्र ‘National Requirement of Manpower for 8-hour Shift in Police Stations’ पर आधारित है जिसके टीम लीडर श्री कमल कुमार, पूर्व आईपीएस हैं. यह शोध 23 राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों के 319 जनपदों के 12,156 पुलिसकर्मी, 1,003 थानाध्यक्ष और 962 पर्यवेक्षक अधिकारियों के सर्वे पर आधारित है. इसमें सभी नौ प्रकार के संभावित थानों को सम्मिलित किया गया है. मैं इस शोधपत्र की एग्जीक्यूटिव समरी इस पत्र के साथ संलग्न कर रहा हूँ. 

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इस शोधपत्र में कतिपय महत्वपूर्ण निष्कर्ष सामने आये हैं-

1.       90% से अधिक पुलिसकर्मी प्रत्येक दिन आठ घंटे से अधिक काम करते हैं

2.       68% थानाध्यक्ष और 76% पर्यवेक्षक अफसर यह मानते हैं कि पुलिसकर्मी प्रत्येक दिन 11 घंटे से अधिक काम करते हैं जबकि 27.7% थानाध्यक्ष और 30.4%  पर्यवेक्षक अफसर मानते हैं कि पुलिसकर्मी प्रत्येक दिन 14 घंटे से अधिक काम करते हैं

3.       73% पुलिसकर्मी महीने में एक दिन भी साप्ताहिक अवकाश नहीं पाते

4.       इसमें भी कई लोग अवकाश पाते ही आकस्मिक कार्यों से वापस बुला लिए जाते हैं

आप सहमत होंगे कि यह स्थिति न तो देश के श्रम कानूनों के अनुरूप है और न ही संविधान के अनुच्छेद 42 के अनुरूप. अध्ययन से यह पाया गया कि इन कारणों से पुलिसकर्मी न तो स्वस्थ हैं और न ही उनका जनता के प्रति अच्छा आचरण रहता है. इससे उन्हें अनिद्रा, तनाव, एसिडिटी जैसी तमाम बीमारियाँ होती हैं. यह भी पाया गया कि इससे पुलिसिंग भी सीधे तौर पर प्रभावित होती है, साथ ही पुलिसकर्मी के अन्दर हीन भावना भी जन्म लेती है तथा उनके व्यक्तिगत, सामाजिक और पारिवारिक जीवन भी कुप्रभावित होते हैं.

इस अध्ययन से यह तथ्य भी सामने आया कि 2013 के आंकड़ों के अनुसार भारत के सभी राज्यों में कुल 22,09,027 पुलिसकर्मी थे जिसमे मात्र 675,115 थानों पर थे जो पूरे बल का मात्र 30% है और यह काफी कम माना गया है. अध्ययन में इस बात पर विशेष बल दिया गया है कि पुलिस वर्किंग में शिफ्ट सिस्टम को लाया जाए और इस हेतु केरल राज्य द्वारा अपनाए गए निश्चित आठ घंटे की ड्यूटी की काफी प्रशंसा करते हुए सभी प्रदेशों में इसे अपनाने की राय दी गयी है.

यद्यपि ये बातें एक लम्बे समय से लोगों की सामान्य सोच में रही है पर अब बीपीआरएनडी तथा एडमिनिस्ट्रेटीव स्टाफ कॉलेज ऑफ़ इंडिया जैसी अत्यंत जिम्मेदार सरकारी संस्थाओं द्वारा कई हज़ार पुलिसकर्मी के ऊपर कराये गए रिसर्च में इन तथ्यों के आधिकारिक रूप से प्रमाणित हो जाने से इन तथ्यों की मान्यता और स्वीकार्यता बहुत अधिक बढ़ जाती है.

हम सभी यह जानते हैं कि महोदय बेहतर पुलिसिंग और पुलिस की तमाम समस्याओं के वास्तविक निदान के लिए सतत प्रयासरत और प्रयत्नशील हैं. ऐसे में उपरोक्त शासकीय शोध के तथ्य महोदय को बेहतर पुलिसिंग कराने की दृष्टि से सम्बंधित अधिकारियों को उचित निर्देश और मार्गदर्शन प्रदान करने में काफी प्रभावी और सहायक हो सकते हैं.

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मैंने बीपीआरएनडी के कुछ अधिकारियों से इस सम्बन्ध में वार्ता की तो ज्ञात हुआ कि यह रिपोर्ट राज्य सरकारों और केंद्र सरकार को अध्ययन कर अनुपालन और सुझाव हेतु प्रेषित किये गए हैं किन्तु ऐसा प्रतीत होता है कि यह रिपोर्ट महोदय के समक्ष प्रस्तुत नहीं किया गया है.

अतः आपसे निवेदन है कि कृपया उपरोक्त शोधपत्र के महत्वपूर्ण निष्कर्षों को महोदय के समक्ष प्रस्तुत करते हुए उसके आधार पर समस्त सम्बंधित अधिकारियों को उचित निर्देश देने और उनका आवश्यक मार्गदर्शन करने की कृपा करें ताकि शोध में सामने आये तत्वों को समाहित करते हुए पुलिसकर्मियों की समस्याओं का वास्तविक और समुचित निदान हो सके और इससे बेहतर पुलिसिंग में सहायता मिल सके.

पत्र संख्या-  AT/Complaint/133/15                                                                       
भवदीय,
(अमिताभ ठाकुर )
5/426, विराम खंड,
गोमतीनगर, लखनऊ
# 094155-34526
[email protected]

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