Connect with us

Hi, what are you looking for?

दुख-सुख

लड़का अब और कॉन्फिडेन्स से आगे बढ़ा… उसके हाथ उस लड़की के स्तनों पर थे…

: बस में अश्लीलता के लाइव टेलीकास्ट को एन्जॉय कर रहे यात्रियों को यूं नसीहत दी उस पीड़ित लड़की ने : Sanjna Gupta : चेतावनी- हो सकता है मेरा ये लेख कुछ लोगो को अश्लील या अमर्यादित लगे किन्तु मैं क्षमा चाहूँगा कि मैं बिना किसी काट छाट के हू ब हू उस घटना का जिक्र करना चाहूँगा जो बचपन में मैंने अपने आँखों से देखा था.. पहले भी कई बार सोचा कि इस घटना का जिक्र सार्वजनिक रूप से करना उचित होगा या नहीं किन्तु अब कर ही रहा हूँ.. यदि किसी को मेरा ये लेख आपत्तिजनक लगे तो क्षमा चाहूँगा… ये अश्लील या अमर्यादित नही बल्कि हमारे समाज में कहीं न कहीं घटित हो रही एक कड़वी सच्चाई है… किसी को महिला सशक्तिकरण पे बोलते हुए सुनता हूँ तो मेरे आँखों के सामने घटी एक घटना मेरे आँखों में तैर जाती है और सोचता हूँ कि हर महिला उतनी ही साहसी और गर्वीली हो जाये जितनी ‘वो’ लड़की थी तो महिला सशक्तिकरण अपने आप हो जायेगा…

<p>: <strong>बस में अश्लीलता के लाइव टेलीकास्ट को एन्जॉय कर रहे यात्रियों को यूं नसीहत दी उस पीड़ित लड़की ने</strong> : Sanjna Gupta : चेतावनी- हो सकता है मेरा ये लेख कुछ लोगो को अश्लील या अमर्यादित लगे किन्तु मैं क्षमा चाहूँगा कि मैं बिना किसी काट छाट के हू ब हू उस घटना का जिक्र करना चाहूँगा जो बचपन में मैंने अपने आँखों से देखा था.. पहले भी कई बार सोचा कि इस घटना का जिक्र सार्वजनिक रूप से करना उचित होगा या नहीं किन्तु अब कर ही रहा हूँ.. यदि किसी को मेरा ये लेख आपत्तिजनक लगे तो क्षमा चाहूँगा… ये अश्लील या अमर्यादित नही बल्कि हमारे समाज में कहीं न कहीं घटित हो रही एक कड़वी सच्चाई है… किसी को महिला सशक्तिकरण पे बोलते हुए सुनता हूँ तो मेरे आँखों के सामने घटी एक घटना मेरे आँखों में तैर जाती है और सोचता हूँ कि हर महिला उतनी ही साहसी और गर्वीली हो जाये जितनी ‘वो’ लड़की थी तो महिला सशक्तिकरण अपने आप हो जायेगा…</p>

: बस में अश्लीलता के लाइव टेलीकास्ट को एन्जॉय कर रहे यात्रियों को यूं नसीहत दी उस पीड़ित लड़की ने : Sanjna Gupta : चेतावनी- हो सकता है मेरा ये लेख कुछ लोगो को अश्लील या अमर्यादित लगे किन्तु मैं क्षमा चाहूँगा कि मैं बिना किसी काट छाट के हू ब हू उस घटना का जिक्र करना चाहूँगा जो बचपन में मैंने अपने आँखों से देखा था.. पहले भी कई बार सोचा कि इस घटना का जिक्र सार्वजनिक रूप से करना उचित होगा या नहीं किन्तु अब कर ही रहा हूँ.. यदि किसी को मेरा ये लेख आपत्तिजनक लगे तो क्षमा चाहूँगा… ये अश्लील या अमर्यादित नही बल्कि हमारे समाज में कहीं न कहीं घटित हो रही एक कड़वी सच्चाई है… किसी को महिला सशक्तिकरण पे बोलते हुए सुनता हूँ तो मेरे आँखों के सामने घटी एक घटना मेरे आँखों में तैर जाती है और सोचता हूँ कि हर महिला उतनी ही साहसी और गर्वीली हो जाये जितनी ‘वो’ लड़की थी तो महिला सशक्तिकरण अपने आप हो जायेगा…

बात उन दिनों की है जब मैं 9वीं क्लास में पढ़ता था… अपने गृहनगर गोरखपुर से 40 किलोमीटर दूर एक बोर्डिंग स्कूल के हॉस्टल में रहता था… दीवाली की छुट्टियां हुई घर पे सब लोग बहुत बिजी थे तो कोई लेने ना आ सका.. मैंने सोचा चलो इस बार अकेले चलता हूँ आखिर बस में बैठना ही तो है बस पंहुचा तो देगी ही… यही सब सोचकर मैंने कपड़े पैक किये और बस में जाकर बैठ गया… चूँकि दीवाली की छुट्टी का टाइम था तो बस हो या ट्रेन भीड़ तो खचाखच रहती है… ऐसे टाइम पे जिसे सीट मिल जाये वो खुद को परम भाग्यशाली समझता है… इस मामले में मैं भाग्यशाली रहा और मुझे सीट मिल गयी… यूपी की बसो में ड्राईवर के बायीं ओर गेट से लेकर शीशे तक एक लम्बी सी सीट होती है जिसपे बैठने वाले का मुंह ड्राईवर की ओर ही होता है… मुझे वही सीट मिली थी…

बस की सभी सीटे फुल थी फिर भी यूपी की बसो में जब तक कुछ सवारिया गैलरी में आके खड़ी न हो जाये तब तक बस को भरा हुआ नही माना जाता… खैर बस वैसे भी भर गयी 10-12 लोग गैलरी में आके खड़े हो गए बस चलने लगी … उन खड़ी सवारियो में एक लड़की भी थी.. जो कंडक्टर के ठीक पीछे वाली सीट के बगल मे हल्कें पीले रंग की सलवार सूट पहने अपना हैण्ड बैग लटकाये खड़ी थी… उसकी उम्र उस वक़्त 24-25 रही होगी… गेहुंआ रंग मांसल शरीर तीखे नैन नक्श बड़ी बड़ी आँखे… कहने का मतलब बेहद खूबसूरत थी…

बस में बैठी एक दो औरतो को छोड़ दिया जाये तो वो अकेली लड़की थी पूरे बस में… तो जाहिर सी बात है कई सारे अगल बगल बैठे महापुरुषो की निगाहे लगातार उसे घूरे जा रही थी… इत्तेफ़ाक़ से उस लड़की के पीछे एक लड़का जिसकी उम्र भी लड़की के जैसी ही रही होगी देखने में ठीक ठाक था… खड़ा होकर यात्रा कर रहा था…. बस चले जा रही सब अपना अपना काम कर रहे थे… अब जैसे कि हमारे यूपी की सड़को में गड्ढे बहुत पाये जाते है … तो बस बार बार गड्ढो में पड़ती बस में हलचल होती इसी का फायदा उठाकर वो लड़का जो उसके पीछे खड़ा था बार बार उससे सटने की कोशिश करता… और धीरे धीरे वो उससे सट के खड़ा हो गया…

लड़की फिर भी शांत सी खड़ी रही … लड़का इसे उसकी मौन सहमति समझ कर बुलन्द हौसलो से अपनी कलाकारी और आगे बढ़ाया… अब वो धीरे से रह रह कर उस लड़की की कभी कमर पे तो कभी पेट पे हाथ फिराने लगा… उस वक़्त लड़की के मन में क्या चल रहा था नही पता लेकिन चेहरे से बिलकुल सामान्य थी वो… मजे की बात ये थी कि उसके अगल बगल बैठे लोग लड़के की उस हरकत को देख रहे थे… लेकिन उसे टोकने की बजाय लोग मन्द मन्द मुस्कुराएं जा रहे थे और लड़की भी सहज भाव से खड़ी थी कुछ नही बोल रही थी… लड़का अब और कॉन्फिडेन्स से आगे बढ़ा अब लड़के का हाथ उस लड़की के स्तनों पे थे…

लड़के की इस हरकत पे लड़की ने एक बार पीछे मुड़कर उस लड़के को देखा फिर अगल बगल बैठे लोगो को और फिर पहले की पोजीशन में चुपचाप खड़ी हो गयी… अब लड़के के हाथो की हरकते बढ़ने लगी थी लड़की ने उस लड़के के लिए और उपयुक्त पोजीशन उपलब्ध कराया और अपने दोनों हाथ लगभग ऊपर उठाकर खड़ी हो गयी… लड़का इसे लड़की की रजामन्दी समझते हुए आस पास बैठे लोगो की परवाह किये बिना बेशर्मी से वो हरकत करता रहा… उस वक़्त शाम के साढ़े 5 बजे होंगे लेकिन फिर भी बस में उन दोनों के आस पास बैठे लोग साफ साफ देख सकते कि वो लड़का उस लड़की के अंगो के साथ क्या कर रहा है…

इत्तेफ़ाक़ से उसी वक़्त मेरी नज़र भी उन पर पड़ी… मैं उस वक़्त 15 साल का था और जाहिर सी बात है इतना नादान नही था कि ये न समझ सकूँ कि वो लड़का क्या कर रहा था… लड़के का चेहरा तो मुझे क्लियर दिखाई नही पड़ रहा था लेकिन लड़की के चेहरे को मैं साफ़ देख सकता था… उसकी बड़ी बड़ी आँखे अब तक लाल हो चुकी थी होंठ लगभग कांप रहे थे… मैंने आस पास बैठे लोगो को देखा सभी एक रहस्यमयी मुस्कान के साथ लगातार मुस्कुराये जा रहे थे… वे लोग शायद इस लाइव टेलीकास्ट को एन्जॉय कर रहे थे… बमुश्किल 2 मिनट ये सब चला होगा कि तभी उस लड़की ने एक झटके से लड़के के हाथ को अपने स्तनों के ऊपर ही जकड़ के पकड़ लिया लड़के के कुछ समझ नही आया…

वो हाथ खींचने की कोशिश करने लगा लेकिन लड़की ने कस के पकड़ा था इसलिए वो छुड़ा नही पाया… मैं ये सब देख कर हैरान था आखिर ये हो क्या रहा है…?? तभी लड़की पलट के उस लड़के से मुखातिब हुई …. और गुस्से से लाल होते हुए लगभग गरज के बोली “तुमने किस हक़ से इसे छुआ इसे छूने का हक़ सिर्फ दो लोगो को है या तो मेरे बच्चे को या मेरे पति को तुम इनमे से मेरे क्या हो” लड़की का इतना कहना था कि लड़का हक्का बक्का होके इधर उधर देखने लगा… लड़की ने इतना बोल के उसका हाथ छोड़ दिया और कस के एक जोरदार तमाचा मारा… बवाल होता देख कांडक्टर ने बस रुकवा दिया…

तभी कुछ और क्रन्तिकारी लोग जो अब तक तमाशबीन बने मजा ले रहे थे अचानक से उबल पड़े और उस लड़के पे पिल पड़े सब लगे उसे पीटने… बुरी तरह मारने गरियाने के बाद उसे बस से उतार दिया गया…. सब अपनी अपनी जगह पे बैठ गए कि तभी एक महाशय जो 55 के आस पास रहे होंगे उन्होंने उस लड़की को अपनी सीट देते हुए बोले “बैठ जाओ बेटी मैं खड़ा हो जाता हूँ…” इस पर लड़की जैसे बिफर पड़ी और गुर्राते हुए बोली “नही चाहिए तुम्हारी सीट जाओ चुपचाप बैठ जाओ बकवास मत करो अभी तक बेटी नज़र नही आयी अब इतना कुछ हो गया तब आये है बाप बनने जैसे अब तक खड़ी आयी हूँ आगे भी चली जाउंगी अपंग नही हूँ..”

Advertisement. Scroll to continue reading.

ये सुन के सभी लोग सन्न हो गए कोई उस लड़की से नज़र नही मिला पा रहा था…. बस दुबारा चल पड़ी… एकदम सन्नाटा था बस में आधे घण्टे बाद उस लड़की का स्टॉपेज आ गया होगा शायद उसने बस रुकवाया और उतरने लगी… मैंने जाते जाते उसे एक नज़र देखा उसकी आँखों में आसूँ थे वो रोते हुए उतर गयी…. बस चलती रही… और अब शुरू हो चुका था बस में बैठे लोगो के वार्ताओं का दौर…
हर कोई इसकी तारीफ के पुल बांधे जा रहा था मगर अफ़सोस कि इतना कुछ होने के बाद… आज भी जब कभी महिला सशक्तिकरण की बाते सुनता हूँ तो अनायास ही वो लड़की और उसकी कहे एक एक शब्द मेरे जेहन में कौंधने लगते है…. कौन थी वो, कहाँ की रहने वाली थी…?? नही जानता मैं… सिर्फ इतना जानता हूँ जो भी थी जहाँ की भी थी, बहुत ही बहादुर थी, बेबाक थी, निडर थी, निर्भीक थी, स्वाभिमानी थी, मर्दानी थी… वो जितना विकराल थी उतनी ही मासूम भी थी और इन सब के बावजूद मैं ये कहूँगा वो असल में एक सशक्त और समर्थ खूबसूरत जवान लड़की थी… (लेखक –सौरभ पाण्डेय ‘शौर्य’)

संजना गुप्ता के फेसबुक वॉल से.

You May Also Like

Uncategorized

मुंबई : लापरवाही से गाड़ी चलाने के मामले में मुंबई सेशन कोर्ट ने फिल्‍म अभिनेता जॉन अब्राहम को 15 दिनों की जेल की सजा...

ये दुनिया

रामकृष्ण परमहंस को मरने के पहले गले का कैंसर हो गया। तो बड़ा कष्ट था। और बड़ा कष्ट था भोजन करने में, पानी भी...

ये दुनिया

बुद्ध ने कहा है, कि न कोई परमात्मा है, न कोई आकाश में बैठा हुआ नियंता है। तो साधक क्या करें? तो बुद्ध ने...

सोशल मीडिया

यहां लड़की पैदा होने पर बजती है थाली. गर्भ में मारे जाते हैं लड़के. राजस्थान के पश्चिमी सीमावर्ती क्षेत्र में बाड़मेर के समदड़ी क्षेत्र...

Advertisement