पलटीवाल यानि केजरीवाल जो बात-बात पर पलटी मारते रहते हैं, अब एक नई पलटी मारने के कारण चर्चा में हैं. उनकी तरफ से दिल्ली सरकार का लिखित तौर पर कहना है कि अगर सुप्रीम कोर्ट को उसका सर्कुलर कानूनी प्रावधानों के खिलाफ लगता है तो इसे वापस ले लिया जाएगा. यही नहीं, केजरीवाल ने पलटी मारते हुए यह भी कहा था कि उनका मकसद मीडिया को धमकाना नहीं बल्कि मानहानि के मुकदमों की संख्या कम करना था. ज्ञात हो कि सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार के उस सर्कुलर पर स्टे लगा दिया था, जिसमें कहा गया था कि जो मीडिया हाउस दिल्ली सरकार, मुख्यमंत्री या मंत्री की छवि खराब करने वाली खबर छापता है, उस पर मानहानि का मुकदमा किया जाएगा. 6 मई को यह सर्कुलर जारी किया गया था. सुप्रीम कोर्ट ने सर्कुलर पर स्टे करते हुए दिल्ली सरकार से यह भी बताने को कहा था कि ये सर्कुलर कैसे और क्यों जारी किया गया.
दिल्ली सरकार की ओर से दाखिल हलफनामे में कहा गया है कि मानहानि से संबंधित आईपीसी की धारा-499 और 500 मौजूद हैं. दिल्ली सरकार के सर्कुलर का मकसद यह था कि इस मामले में कानूनी प्रावधानों का दुरूपयोग रोका जाए. सर्कुलर के जरिए इसके लिए एक सेफगार्ड बनाया गया था. सर्कुलर का उद्देश्य यह था कि एक प्रक्रिया हो ताकि इस प्रावधान के दुरुपयोग को रोका जाए और एक सेफगार्ड बने. अगर कोई मानहानि की शिकायत होती है, तो उसे मिनिस्टर या अधिकारी (प्रिंसिपल सेक्रेटरी होम) के पास भेजा जाए. पहले वह उसे देखे और उस बाबत डायरेक्टोरेट ऑफ प्रॉसिक्यूशन से राय ले और फिर लॉ डिपार्टमेंट का व्यू ले और वहां से मंजूरी मिलने के बाद प्रिंसिपल सेक्रेटरी केस दाखिल करेंगे. यह सर्कुलर शिकायत को परखने के लिए स्क्रीनिंग की व्यवस्था करता था. इसका मकसद मानहानि से संबंधित केसों को प्रोत्साहित करना नहीं बल्कि उसके मिसयूज को रोकना था. अगर सुप्रीम कोर्ट यह समझती है कि सर्कुलर कानून के खिलाफ है और उसकी जरूरत नहीं है तो सरकार उसे वापस ले लेगी. मामले में 8 जुलाई को सुनवाई होने वाली है.
याचिकाकर्ता की ओर से सुप्रीम कोर्ट को बताया गया था कि अरविंद केजरीवाल के खिलाफ मानहानि के केस को सुप्रीम कोर्ट ने स्टे किया था और खुद केजरीवाल इसी दौरान इस तरह के सर्कुलर कैसे जारी कर सकते हैं. याचिकाकर्ता की ओर से दलील दी गई थी कि केजरीवाल ने मानहानि से संबंधित पीनल प्रोविजन यानी आईपीसी की धारा-499 व 500 को चुनौती देते हुए उसके संवैधानिक वैलिडिटी पर सवाल उठाया था. दलील दी गई थी कि केजरीवाल सरकार की ओर से जो सर्कुलर जारी किया गया है वह उनके द्वारा पिटिशन पर सुनवाई के दौरान लिए गए स्टैंड के खिलाफ है.
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