Yashwant Singh : मैं तो ये सोच रहा हूं कि अगर आजतक के रिपोर्टर की जगह हमारे आप जैसा कोई सोशल मीडिया न्यू मीडिया का बंदा व्यापमं घोटाले की शौकिया अपने स्तर पर गहन जांच पड़ताल करने गया होता और मरा मिलता तो हमारे आपके बीच के ही लोग उसे कहते की दलाली करने गया था, मारा गया… सोचिए… क्या ऐसा नहीं होता.. ??? वक्त अब एक संगठन बनाने का है… निहंग पत्रकारों का संगठन… सिटीजन जर्नलिस्टों का संगठन… न्यू मीडिया के साथियों का संगठन…
अब वक्त नहीं है यारों… बहुत देख लिया हम लोगों ने… जगेंद्र के बाद अक्षय… जगेंद्र के पहले और बाद भी घटनाएं हुईं… अक्षय के बाद भी घटनाएं होंगी… हर दिन कोई न कोई घटना होती है और भड़ास पर छपता है…. बहुत कुछ जांच पड़ताल के चक्कर में छप नहीं पाता… मेरे पास सैकड़ों मेल आती हैं जिसमें पत्रकार उत्पीड़न की बातें होती हैं… पर हम लोग सीमित संसाधनों के कारण हर एक को जांच नहीं पाते इसलिए ढेर सारी दूर दराज की मेल पड़ी रह जाती है… पर अब शुचिता नैतिकता को ताक पर रखने का वक्त है… अब जन पत्रकारिता का मोर्चा बनाने की जरूरत है… इसमें हमें हर किस्म के शख्स पत्रकार साथी चाहिए… गरम नरम बौद्धिक सांगठनिक नेता टाइप… सब चाहिए हमें… क्या अब इसके लिए पहल कर देना चाहिए या अभी कुछ और मौतों पिटाइयों धमकियों उत्पीड़नों आदि का इंतजार करना चाहिए…
भड़ास के एडिटर यशवंत सिंह के फेसबुक वॉल से.