: कलाम साहब के किस्से : 15 अगस्त 2003 को राष्ट्रपति कलाम ने स्वतंत्रता दिवस के मौक़े पर शाम को राष्ट्रपति भवन के लॉन में हमेशा की तरह एक चाय पार्टी का आयोजन किया. क़रीब 3000 लोगों को आमंत्रित किया गया. सुबह आठ बजे से जो बारिश शुरू हुई तो रुकने का नाम नहीं लिया. राष्ट्रपति भवन के अधिकारी परेशान हो गए कि इतने सारे लोगों को भवन के अंदर चाय नहीं पिलाई जा सकती. आनन-फ़ानन में 2000 छातों का इंतज़ाम कराया गया. जब दोपहर बारह बजे राष्ट्रपति के सचिव उनसे मिलने गए तो कलाम ने कहा, ”क्या लाजवाब दिन है. ठंडी हवा चल रही है.”
सचिव ने कहा, ”आपने 3000 लोगों को चाय पर बुला रखा है. इस मौसम में उनका स्वागत कैसे किया जा सकता है?”
कलाम ने कहा, ”चिंता मत करिए हम राष्ट्रपति भवन के अंदर लोगों को चाय पिलाएंगे.”
सचिव ने कहा हम ज़्यादा से ज़्यादा 700 लोगों को अंदर ला सकते हैं. मैंने 2000 छातों का इंतज़ाम तो कर दिया है लेकिन ये भी शायद कम पड़ेंगे.कलाम ने उनकी तरफ़ देखा और बोले, ”हम कर भी क्या सकते हैं. अगर बारिश जारी रही तो ज़्यादा से ज़्यादा क्या होगा… हम भीगेंगे ही न.”
परेशान, बदहाल नायर दरवाज़े तक ही पहुंचे थे कि कलाम ने उन्हें पुकारा और आसमान की ओर देखते हुए कहा, ”आप परेशान मत होइए. मैंने ऊपर बात कर ली है.”
उस समय दिन के 12 बज कर 38 मिनट हुए थे. ठीक 2 बजे अचानक बारिश थम गई. सूरज निकल आया. ठीक साढ़े पांच बजे कलाम परंपरागत रूप से लॉन में पधारे. अपने मेहमानों से मिले. उनके साथ चाय पी और सबके साथ तस्वीरें खिंचवाई. सवा छह बजे राष्ट्र गान हुआ. जैसे ही कलाम राष्ट्रपति भवन की छत के नीचे पहुंचे, फिर से झमाझम बारिश शुरू हो गई. अंग्रेज़ी पत्रिका वीक के अगले अंक में एक लेख छपा, क़ुदरत भी कलाम पर मेहरबान. इसके बाद नायर नोट में लिखते हैं कि जो छाते मंगवाये गये थे उनका कोई इस्तेमाल नहीं हुआ. हां कुछ छाते कम जरूर हो गये.
साभार- बीबीसी