योगा शरीर को चुस्त दुरस्त रखने के लिए किया जाता है लेकिन देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपनी इमेज गढ़ने के लिए और अंतर्राष्ट्रीय योगा दिवस को गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में दर्ज कराने के लिए सिर्फ एसएमएस में 15.87 करोड़ रुपए खर्च कर दिए. हाल ही में मांगी गई सूचना कार्यकर्ता द्वारा प्राप्त सूचना से इस बात का खुलासा हुआ है. गौरतलब है कि अंतर्राष्ट्रीय योगा दिवस 21 जून 2015 को आयोजित किया गया था. अभी इसमें कई खर्च जैसे प्रिंट मीडिया, इलेक्ट्रानिक माध्यम में विज्ञापन, होर्डिंग आदि प्रचार माध्यम के खर्च का ब्यौरा उपलब्ध नहीं है. और किस किस कंपनी को एसएमएस भेजने का कितना पैसा और कितनी संख्या में एसएमएस किए गए इसका ब्यौरा नहीं दिया गया है. उल्लेखनीय है कि इससे पहले भी योगा दिवस में विदेशी चटाईयों की खरीद को लेकर विवाद उठा था और इस पर 92 लाख का खर्च आया था.
आमतौर पर एसएमएस का उपयोग दो तरह से होता है एक प्रमोशनल, दूसरा ट्रांजेक्शन आई टी विशेषज्ञ कहते हैं कि ट्रांजेक्शन एसएमएस केन्द्रीय सरकार के अधिकार क्षेत्र में आते है लेकिन प्रमोशनल एसएमएस के लिए चाहे वह राज्य की सरकार हो या केन्द्र सरकार इसके लिए स्वीकृति लेनी पड़ती है. विशेषज्ञ कहते हैं कि आमतौर पर एक एसएमएस भेजने की दर 10 से 15 पैसे होती है लेकिन अगर 5 से 10 लाख की संख्या में एसएमएस भेजे जाते हैं तो यह दर 8 पैसे या 5 पैसे हो जाती है. लेकिन अगर मान लिए जाएं कि 150 करोड़ लोगों को एसएमएस भेजे गए हैं तो इससे जिस तरह 15 करोड़ से ज्यादा का खर्च आया है उससे लगता है कि क्या यह सरकार अब अपने लिए नए नियम गढ़ रही है?
सबसे बड़ा सवाल यह है कि ट्राइ द्वारा जारी गत वर्ष के आंकड़ों में मोबाइल और वायरलैस डिवाइस का उपयोग करने की संख्या 93 करोड़ बताई गई है.ऐसे में सवाल उठता है कि क्या सत्ता पर बैठी भाजपा को इस बात का संज्ञान नहीं? सूचना कार्यकर्ता रोशन शाह का कहना है कि अगर सिर्फ एसएमएस में 15 करोड़ से ज्यादा खर्च आया है तो योगा दिवस में कुल मिलाकर 10 हजार से ज्यादा का खर्च होना चाहिए? कांग्रेस नेता अर्जुन मोढ़वड़िया का कहना है कि बिना कोई स्वीकृति लिए इतनी संख्या में एसएमएस करना यह निजता (प्रायवेसी) का सरासर उल्लघंन है. और मात्र एसएमएस में 15 करोड़ से अधिक खर्च करने के बहाने अपना प्रचार कर वाहवाही लूटना है.
अहमदाबाद से उषा चांदना की रिपोर्ट.