यूपी के निलंबित आईपीएस अफसर अमिताभ ठाकुर ने गुजरात के आईपीएस अफसर संजीव भट्ट के सेवा से बर्खास्त किये जाने को उनके द्वारा सही लगने वाली बात पर अडिग रहने का सर्वोच्च शौर्य पुरस्कार कहा है. उन्होंने कहा कि अपने चारों तरफ अनगित अफसरों को मामूली लालच में जमीन पर रेंगते देख कर उन्हें श्री भट्ट का अत्यंत दुष्कर परिस्थितियों में अपना सर्वस्व न्योछावर कर भी अपनी आत्मा की आवाज़ पर कायम रहना उन्हें एक आईपीएस अफसर होने पर गर्व की अनुभूति दे रहा है.
Sanjiv Bhatt’s dismissal supreme gallantry award: Amitabh
Suspended UP IPS officer Amitabh Thakur has said that he personally finds IPS officer Sanjiv Bhatt’s dismissal of service the supreme award of gallantry for whatever he thought true. He said that Sri Bhatt’s adherence to his conscience even at the cost of the prices he had to pay for it makes him feel proud of being an IPS officer, at a time when he finds so many IPS officers kneeling to the ground for petty gains.
जवाब में बर्खास्त आईपीएस अफसर संजीव भट्ट की कविता
वर्ष 2002 में गोधरा कांड के बाद भड़के दंगों को लेकर नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली गुजरात सरकार पर सवाल उठाने वाले आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट को पुलिस सेवा से बर्खास्त कर दिया गया है। केंद्र सरकार के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए संजीव भट्ट ने कहा कि वह 24 साल की उम्र में एक जुनून के साथ आईपीएस में आए थे और यह आग आज भी उनके अंदर जल रही है। उनका कहना है कि सरकार ने ड्यूटी से गैर-हाजिर रहने के मनगढ़ंत आरोपों पर एकतरफा जांच कर उन्हें सेवा से हटाने का फैसला किया है। सरकार के इस फैसले के खिलाफ संजीव भट्ट ने एक कविता के जरिये अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। इस अंग्रेजी कविता का अनुवाद इस प्रकार है: ”
मेरे पास सिद्धांत हैं और कोई सत्ता नहीं
तुम्हारे पास सत्ता है और कोई सिद्धांत नहीं
तुम्हारे तुम होने
और मेरे मैं होने के कारण
समझौते का सवाल ही नहीं उठता
इसलिए लड़ाई शुरू होने दो …
मेरे पास सत्य है और ताकत नहीं
तुम्हारे पास ताकत है और कोई सत्य नहीं
तुम्हारे तुम होने
और मेरे मैं होने के कारण
समझौते का सवाल ही नहीं उठता
इसलिए शुरू होने दो लड़ाई …
तुम मेरी खोपड़ी पर भले ही बजा दो डंडा
मैं लड़ूंगा
तुम मेरी हड्डियां चूर-चूर कर डालो
फिर भी मैं लड़ूंगा
तुम मुझे भले ही जिंदा दफन कर डालो
मैं लड़ूंगा
सच्चाई मेरे अंदर दौड़ रही है इसलिए
मैं लड़ूंगा
अपनी अंतिम दम तोड़ती सांस के साथ भी
मैं लड़ूंगा …
मैं तब तक लड़ूंगा, जब तक
झूठ से बनाया तुम्हारा किला
ढह कर गिर नहीं जाता
जब तक जो शैतान तुमने अपने झूठों से पूजा है
वह सच के मेरे फरिश्ते के सामने घुटने नहीं टेक देता
मूल कविता संजीव भट्ट के फेसबुक पेज https://www.facebook.com/sanjivbhattips पर अंग्रेजी में है.