अच्छी बात इस कुछ लोगों के विचार आए। अफसोस है कि कुछ का अब भी मानना है कि प्रबंधन का रवैया सही है कर्मचारी गलत हैं मालिक जो कर रहा है उसकी मजबूरी है, मालिक ३७ सालों से हमारे परिवार का पेट पाल रहा है। ऐसे लोगों से चंद सवाल:
१. सुब्रतो राय क्यों जेल में हैं? जब उनके पास जमानत देने की राशि से ज्यादा की सम्पत्ति है तो वे बाहर क्यों नहीं आ रहे हैँ?
२. चमचे कह रहे हैँ सेबी और कोर्ट उनके पीछे पड़ा है। कोर्ट कह रहा है जिनका पैसा लिए हो दो औंर जाओ।
३. सहारा की हालत इधर कुछ दिनों /महीनों या सालों से खराब है। कर्मचारियों का शोषण, उत्पीड़न और पक्षपात शुरू से है तुर्रा कुछ यह परिवार है। कोई मालिक नहीं सभी कर्मचारी हैं। तो पद के आगे कार्यकर्ता लग जाने मात्र से सभी कार्यकर्ता नहीं हो जाते। सहारा श्री की दोनों बहुएं शादी होने के बाद से ही वरिष्ठ कार्यकर्ता हो गई। सहारा की डायरी में दोनों का नाम आ गया क्यों? वह कर्मचारी जिसका कोई माई बाप नहीं है सालों से एक ही पद पर पडा रहता है।
४. चमचों का रुदन मालिक संकट में है उसका साथ दो। किसी कर्मचारी ने कहा था कि कोर्ट के खिलाफ जहर उगलो। कोलकाता की बैठक में क्यों कहा कि सुप्रीम कोर्ट कौंन होता है हमें निर्देश देने वाला। अब पता चला कोर्ट कौन होता है।
५. ३७ साल से मालिक हमें पाल रहा है तो किसी भी मालिक को या हर फैक्टरी/मिल को कर्मचारियों की जरूरत होती है।
६. कुछ उत्साही यह कहते फिरते हैं कि सहारा श्री ने हमारा और हमारे परिवार का पेट पाला अब हम कर्मचारी आंदोलन करते हैं तो यह गद्दारी होगी तो वाहियात तर्क है। हम अपने मेहनत की खा रहे हैं। हम अपने देश का नमक खा रहे हैं। सहारा से बडा देश नहीं है। यहाँ के कर्मचारी भी औरों की तरह आठ घंटे काम करते हैं इसमें तीन घंटे अपने वेतन के लिए तो पांच घंटे सुब्रतो राय के मुनाफे का होता है।
जवाब का स्वागत है।