रुद्रपुर: शिक्षक, अमर उजाला के संपादकीय सलाहकार रहे वरिष्ठ साहित्यकार व जनकवि वीरेन डंगवाल के निधन की खबर से क्षेत्र के कला, संस्कृति, साहित्य, पत्रकारिता, शिक्षा, मानवाधिकार और जनसरोकारों से जुड़े लोगों में शोक छा गया। दुर्गा मंदिर धर्मशाला के निकट आयोजित एक बैठक में वीरेनदा के व्यक्तित्व और कृतित्व के विविध पहलुओं पर चर्चा करते हुए वक्ताओं ने उनके निधन को समाज के लिए अपूर्णीय क्षति बताया।
उनकी कविताओं ‘इतने भले नहीं बन जाना साथी, जैसे होते हैं सर्कस के हाथी और आएंगे वह दिन जरूर आएंगे इत्यादि वीरेनदा की विभिन्न कविताओं के अंश भी पढ़े गये। वक्ताओं ने कहा कि वीरेनदा भगत सिंह की विरासत को आगे बढ़ा रहे थे। हमे भगत सिंह और वीरेनदा के काम को आगे बढ़ाते हुए एक बेहतर इनसानियत के निर्माण में योगदान करना चाहिए। बैठक में वीरेनदा की याद में एक कार्यक्रम करने का भी निर्णय लिया गया। यह कार्यक्रम 30 सितंबर को मुख्य डाकघर के निकट कन्या पूर्व माध्यमिक विद्यालय में अपरान्ह 3 बजे से होगा। इसमें शिक्षा, कला, संस्कृति, साहित्य, पत्रकारिता, जनपक्ष, मानवाधिकारों इत्यादि विविध सामाजिक सरोकारों से जुड़े लोगों से शामिल होने की अपील की गई है। बैठक में मुकुल, शैलेय, एपी भारती, खेमकरन सोमन, कमला बिष्ट, अनजार अहमद, बीसी सिंघल, रूपेश कुमार सिंह, हेम पंत, सुनील पंत, ललित मोहन जोशी, ललित मोहन तिवारी, नरेश कुमार आदि अनेक लोग मौजूद थे।