अब नीरव मोदी और विजय माल्या की तरह बैंकों से लोन लेकर भागना आसान नहीं रहेगा. इसकी वजह यह है कि बैंकों से कर्ज लेकर विदेश भागने जैसे अपराधों पर नियंत्रण लगाने के लिए उठाए जा रहे कदमों की सूची में एक सफलता जुड़ चुकी है. केंद्रीय मंत्रिमंडल के भगोड़े आर्थिक अपराधी अध्यादेश 2018 को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मंजूरी दे दी है.
अब इस क़ानून के तहत आर्थिक अपराध करने के बाद देश से भागे व्यक्तियों की संपत्ति उन पर मुकदमे का निर्णय आए बिना जब्त करने और उसे बेच कर कर्ज देने वालों का पैसा वापस करने का प्रावधान होगा. ऐसे में इस कानून के आने के बाद से विजय माल्या, नीरव मोदी और मेहुल चौकसी जैसे भगोड़ों पर भी नकेल कसी जा सकेगी. यह अध्यादेश उन आर्थिक अपराधियों पर लागू होंगे जो देश वापस आने से इनकार कर देते हैं, जिन लोगों के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी हो चुके हैं और जिन पर 100 करोड़ रुपये से अधिक का बकाया है और उन्हें जानबूझ कर कर्ज न चुकाने वाला घोषित किया जा चुका है. इसके अलावा जाली सरकारी स्टांप और मुद्रा छापने, धन की कमी से चेक वापस होने, मनी लांडरिंग या कर्जदाता के साथ धोखाधड़ी करने के आरोपियों पर भी इस अध्यादेश की गाज गिरेगी.
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने शनिवार को हुई बैठक में इसे मंजूरी दी थी. अब राष्ट्रपति ने भी इस अध्यादेश को अपनी मंजूरी दे दी है. यहां आपको ध्यान दिला दें कि भगोड़े आर्थिक अपराधी विधेयक को 12 मार्च को लोकसभा में पेश किया गया था लेकिन संसद में लगातार जारी गतिरोध के चलते इसे पारित नहीं किया जा सका था.