नई दिल्ली। संसद पर हमला करने वाले आतंकवादी अफ़ज़ल गुरु की दया याचिका किसी तरह अस्वीकार करने के बाद अब उसे बचाने के लिए पीछे के रास्ते दवाब की राजनीति हावी है। जनता के दवाब के कारण सरकार ने तो याचिका को खारिज कर दिया किन्तु अब वही राजनेता असंवैधानिक प्रक्रियाएं अपना कर देश के दुश्मन को बचाने की मुहिम में जुट गए हैं। इंद्रप्रस्थ विश्व हिन्दू परिषद के महामंत्री श्री सत्येन्द्र मोहन ने कुछ राजनेताओं के इस षडयंत्रकारी कदम की तीखी आलोचना करते हुए उन्हें आगाह किया है कि वे विश्व के सबसे बडे़ लोकतंत्र के मन्दिर संसद पर आक्रमण करने वाले देश के दुश्मन को संरक्षण दे कर जनता को और गुमराह करने से बाज आएं अन्यथा देश उन्हें कभी माफ़ नहीं करेगा।
विहिप दिल्ली के मीडिया प्रमुख विनोद बंसल ने बताया कि आज झण्डेवालान स्थित कार्यालय में हुई एक बैठक में पारित प्रस्ताव में कहा गया है कि अफ़ज़ल को फ़ांसी से बचाने के लिए जम्मू कश्मीर विधान सभा में प्रस्ताव लाने हेतु जिस प्रकार का षडयंत्र वहां के मुख्यमंत्री व एक विधायक रच रहे हैं वह सर्वथा निंदनीय है। इस कृत्य से इन लोगों की भारत की संसद व संवैधानिक संस्थाओं के प्रति दुर्भावना साफ़ झलकती है। जब देश के सर्वोच्च न्यायालय ने सजा सुना दी और उस पर भी राष्ट्र प्रमुख (राष्ट्रपति महोदया) की मुहर भी लग गई है तो अब मुख्यमंत्री व विधान सभा को इस में बोलने का क्या अधिकार है।
प्रस्ताव कहता है कि अब यदि अफ़ज़ल को कोई बचाने की बात करता है तो यही माना जाएगा कि वह संसद, संविधान व सर्वोच्च न्यायालय तीनों का अपमान कर रहा है। इन संस्थानों का अपमान देश का कोई भी नागरिक कदापि बर्दाश्त नहीं करेगा। बैठक में विहिप दिल्ली के उपाध्यक्ष श्री ब्रज मोहन सेठी व श्री अम्रत लाल शर्मा, संगठन मंत्री श्री करुणा प्रकाश सहित अनेक पदाधिकारी उपस्थित थे। प्रेस रिलीज