Connect with us

Hi, what are you looking for?

ये दुनिया

आतंक और आईएसआईएस के खिलाफ मुसलमान तो एकजुट, लेकिन सियासतदार बंटे हुए

अजय कुमार, लखनऊ

आतंक और आईएसआईएस को लेकर केन्द्र की मोदी सरकार का नजरिया बिल्कुल स्पष्ट है।फिर भी उसे वह सफलता नहीं मिल पा रही है जैसी की उम्मीद की जानी चाहिए। यह बात समझने से पहले हमें इस बात पर भी गौर करना होगा कि हिन्दुस्तान की सियासत में दो विचारधाराएं समानांतर रूप से आगे बढ़ रही हैं। दोनों ही विचारधारा के मानने वाले अपने आप को सही और दूसरी विचारधारा के लोगों को गलत ठहराने में लगे रहते हैं। अपने को सही और सामने वाले को गलत साबित करने के लिये दोनों ही तरफ से तमाम तरह के हथकंडे अपनाये जाते हैं।यह दो विचारधाराएं कोई और नहीं एक मोदी समर्थक है तो दूसरी मोदी विरोधी है। दोनों ही पक्ष जरूरी-गैर-जरूरी सभी मुद्दों पर विरोध की सियासत करते रहते हैं। यह नहीं देखा जाता है कि इन लोगों की हरकतों से देश को कितना नुकसान होता है।

<p><strong>अजय कुमार, लखनऊ</strong></p> <p>आतंक और आईएसआईएस को लेकर केन्द्र की मोदी सरकार का नजरिया बिल्कुल स्पष्ट है।फिर भी उसे वह सफलता नहीं मिल पा रही है जैसी की उम्मीद की जानी चाहिए। यह बात समझने से पहले हमें इस बात पर भी गौर करना होगा कि हिन्दुस्तान की सियासत में दो विचारधाराएं समानांतर रूप से आगे बढ़ रही हैं। दोनों ही विचारधारा के मानने वाले अपने आप को सही और दूसरी विचारधारा के लोगों को गलत ठहराने में लगे रहते हैं। अपने को सही और सामने वाले को गलत साबित करने के लिये दोनों ही तरफ से तमाम तरह के हथकंडे अपनाये जाते हैं।यह दो विचारधाराएं कोई और नहीं एक मोदी समर्थक है तो दूसरी मोदी विरोधी है। दोनों ही पक्ष जरूरी-गैर-जरूरी सभी मुद्दों पर विरोध की सियासत करते रहते हैं। यह नहीं देखा जाता है कि इन लोगों की हरकतों से देश को कितना नुकसान होता है।</p>

अजय कुमार, लखनऊ

आतंक और आईएसआईएस को लेकर केन्द्र की मोदी सरकार का नजरिया बिल्कुल स्पष्ट है।फिर भी उसे वह सफलता नहीं मिल पा रही है जैसी की उम्मीद की जानी चाहिए। यह बात समझने से पहले हमें इस बात पर भी गौर करना होगा कि हिन्दुस्तान की सियासत में दो विचारधाराएं समानांतर रूप से आगे बढ़ रही हैं। दोनों ही विचारधारा के मानने वाले अपने आप को सही और दूसरी विचारधारा के लोगों को गलत ठहराने में लगे रहते हैं। अपने को सही और सामने वाले को गलत साबित करने के लिये दोनों ही तरफ से तमाम तरह के हथकंडे अपनाये जाते हैं।यह दो विचारधाराएं कोई और नहीं एक मोदी समर्थक है तो दूसरी मोदी विरोधी है। दोनों ही पक्ष जरूरी-गैर-जरूरी सभी मुद्दों पर विरोध की सियासत करते रहते हैं। यह नहीं देखा जाता है कि इन लोगों की हरकतों से देश को कितना नुकसान होता है।

बिहार के चुनाव इस बात का सबसे बड़ा उदाहरण हैं, जहां एक तरफ मोदी एंड कम्पनी थी तो दूसरी तरफ लम्बे समय से सिर फुटव्वल करने वाले तमाम नेता दलों के नेता एक छत के नीचे आ गये थे, जो नीतीश कुमार लम्बे समय तक लालू यादव के कार्यकाल को जंगलराज की उपमा देते थे,उन्होंने मोदी को सबक सिखाने के लिये लालू से गलबहियां कर लीं। कांगे्रस के युवराज राहुल गांधी ने उस समय काफी सुर्खिंयां बटोरी थीं जब मनमोहन सरकार ने चारा घोटाले में फंसे लालू यादव की लोकसभा की सदस्यता बचाने के लिये कानून में संशोधन का मन बना लिया था, लेकिन राहुल गांधी के विरोध के चलते वह ऐसा कर नहीं पाये थे। राहुल की खूब वाहवाही हुई थी, लेकिन बिहार में राहुल गांधी उन्हीं लालू यादव से बतियाते मिल गये जिनके साथ वह मंच भी साझा नहीं करना चाहते थे, सबसे बड़ा कारनामा तो आम आदमी पार्टी के नेता और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने किया। अन्ना के चेले केजरीवाल ने लालू यादव को गले  लगाया तो यह भी नहीं सोचा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम चलाने वाले उनके गुरू अन्ना हजारे चारा घोटाले के आरोपी लालू यादव के नाम से कैसे बिदक जाते थे।

इन दोनों विचारधाराओं के बीच कभी एक राय नहीं बन सकती है।इस बात का एक और प्रमाण है आतंकवाद को लेकर दोनों का अलग-अलग नजरिया। जहां मोदी आईएसआईएस और आतंकवाद के खिलाफ पूरी दुनिया में अलख जला रहे हैं,वहीं मोदी विरोधी विचारधारा के लोग आतंकवाद और आईएसआईएस पर यह सोच कर मुंह खोलने से बच रहे हैं कि कहीं उनका मुस्लिम वोट बैंक नाराज न हो जाये। खैर, मुस्लिम वोटों के सौदागर भले ही आईएसआईएस और तमाम आतंकवादी घटनाओं को लेकर चुप्पी साधे बैठे हों लेकिन हिन्दुस्तान का मुसलमान इन सियासतदारों को आईना दिखाने का काम कर रहा है।

उसने यह बता दिया है कि आतंकवाद का रंग और धर्म नहीं होता है। प्रधानमंत्री सही कह रहे हैं कि आतंक को धर्म से जोड़ कर न देखा जाये।आतंक की कोई सीमा नहीं है।यह बात पूरी दुनिया को समझाने और बताने का बीड़ा हिन्दुस्तान के मुलसमानों ने उठा कर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को काफी आत्म बल प्रदान किया है। मुसलमानों का यह कदम  वोट बैंक की राजनीति करने वालों के मुंह पर तमाचा है। आतंकवाद का साथ मुट्ठी भर लोगों के अलावा कभी किसी ने नहीं दिया, लेकिन ऐसा लगता है कि पेरिस हमले के बाद अपने देश में आंतकवाद और आईएसआईएस के खिलाफ भारत के मुसलमानों ने विरोध के स्वर और भी तेज कर दिये हैं। आईएसआईएस भारत के मुस्लिम युवाओं को बरगला रहा है। इस बात की पुष्टि आईएस के छहः भारतीय लड़कों की मौत के बाद और भी साफ हो गई है। यह खबर चैकानें वाली थी कि आतंकी संगठन आईएस की ओर से इराक और सीरिया में लड़ने गये 23 भारतीय मुस्लिम युवाओं में से एक चैथाई से अधिक मारे जा चुके हैं। मुस्लिम युवाओं को आईएस के चंगुल से बचाने के लिये सरकार और समाज को मिलकर काम करना होगा। 

दरअसल,कट्टरवाद आतंक की पहली सीढ़ी होता है। जो लोग कट्टरता को बढ़ावा देते हैं वह अंजाने में ही सही आतंकवाद को पालते-पोसते हैं। कट्टरता को धर्म का लिबास नहीं बनाया जा सकता है।कोई भी धर्म गलत रास्ते पर नहीं ले जाता है। अगर कोई शख्स, गुट या फिर कौम धर्म के नाम पर अधर्म, खून-खराबे, राग-द्वेष, भय और आतंक का समर्थन करता है तो वह इंसान कहलाने लायक नहीं और इस धरती पर एक बोझ के समान है। धर्म का बेजा इस्तेमाल वहां ज्यादा होता है जहां जन मानस में जागरूकता, शिक्षा का अभाव होता है। ऐसे लोगों को धर्म के ठेकेदार आसानी से अपना मोहरा बना लेते हैं।

यही काम आजकल तेजी से पैर पसारता आतंकवादी संगठन आईएसआईएस कर रहा है। इस्लाम के नाम पर आईएसआई ने जितना खून-खराबा किया है शायद ही किसी आतंकवादी संगठन ने किया होगा। आईएसआईस को कुचलने की जितनी कोशिशें की जा रही हैं उतनी ही तेजी से वह पूरी दुनिया में पांव पसार रहा है।एक तरफ आईएस का विरोध हो रहा है तो दूसरी तरफ उसके पास मददगारों की भी लम्बी-चैड़ी फौज मौजूद है जो पैसा, हथियार, लड़ाकू लड़के आदि सब उपलब्ध करा रहा है।

ऐसा नहीं है कि आईएस का विरोध गैर मुस्लिम ही कर रहे हों, लेकिन चिंता इस बात पर जताई जा रही थी कि कुछ मुस्लिम मुल्कों के अलावा दुनियाभर में अपनी पहचान बनाने वाले इस्लाम के तमाम जानकार, धर्मगुरू, मुस्लिम बुद्धिजीवी और मुस्लिम संगठनों की चुप्पी के चलते मुसलमान युवा भ्रमित होकर आईएस के जाल में फंसता जा रहा है।यह मुस्लिम युवा इस्लाम के उन जानकारों की बात भी नहीं सुन रहे हैं जो ईमानदारी से यह बता रहा है कि आईएस इस्लाम का पैरोकार नहीं बल्कि इस्लाम के खिलाफ काम कर रहा है।

इस तरह की बातें और विवाद काफी समय से चल रहा है,लेकिन इस पर तब हो-हल्ले ने जोर पकड़ ली जब पेरिस पर आतंकवादी हमले के बाद अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने जी-20 के शिखर सम्मेलन में मुस्लिमों को लेकर बयान दे दिया कि उन्हें अपने बच्चों को संभालना चाहिए। ओबामा ने इस बात पर भी चिंता जताई कि मुस्लिम समुदाय की ओर से कट्टरता का जितना विरोध होना चाहिए था, उतना नहीं हो रहा। इस बयान ने पूरी दुनिया के बौद्धिक हलकों में बहस छेड़ दी। ओबामा या अमेरिका की आतंकवाद को लेकर क्या सोच है, यह किसी से छिपी हुई बात नहीं है। अमेरिका सिर्फ अपने यहां या अपने मित्र देशों के यहां होने वाले आतंकवाद को आतंक मानता है। पाकिस्तान जैसे आतंकवादी देश की वह मदद भी करता है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

बहरहाल, पूरी दुनिया  की तो बात नहीं की जा सकती है लेकिन हिन्दुस्तान के मुसलिम बुद्धिजीवियों,धर्मगुरूओं यहां तक की वोट बैंक की राजनीति करने वाले मुस्लिम नेताओं ने भी आईएसआईएम के खिलाफ और भी खुल कर मोर्चा खोल दिया। मुस्लिम धर्मगुरू बयानों तक ही सीमित नहीं रहे सड़क पर भी उतर आये। दारूल उलूम तो पहले ही आईएसआईएस को फतवा जारी करके आंतकवादी संगठन और इस्लाम विरोधी बता चुका था। नबावो की नगर लखनऊ से लेकर पूरे देश में आईएसआईएस के खिलाफ विरोध के स्वर गूंजने लगे। मुस्लिम धर्मगुरू खालिद रशीद फरंगी महली,कल्बे जव्वाद सहित तमाम लोग आईएसआई के विरोध में सड़क पर उतर कर आईएसआईएस के खिलाफ अपना विरोध जताया मुस्लिम युवाओं से भ्रमित नहीं होने की अपील की।

इस मौके पर बड़ी संख्या में युवा मुसलमान भी प्रदर्शन करते दिखाई दिये। पेरिस पर आतंकवादी हमले से दुखी  इस्लाम के बड़े जानकार और शिया धर्मगुरू कल्बे सादिक साहब ने तो यहां तक कह दिया कि इस्लाम तो अच्छा है लेकिन इसके मानने वाले ठीक नहीं है। सादिक साहब का कहना था कि दहशतगर्दो से कभी भी इस्लाम या किसी धर्म का वास्ता नहीं रहा है। वहीं  जमीयत-ए-उलमा हिंद के महासचिव मौलाना मौहम्मद मदनी ने कहा कि इस्लाम आतंकवाद के खिलाफ और इसमें दहशतगर्दी की कोई जगह नहीं है। इस्लाम बेकसुरों का हमदर्द औ कुसूरवारों का दुश्मन है। किसी को बम से उड़ा देना, गोलीमार देना और उसके बाद अल्लाहो अकबर कहना सरासर गलत है।

मुस्लिम संगठनों और बुद्धिजीवियों के प्रयास से भारतीय युवा मुसलमान जरूर सचेत हो सकते हैं जो भारत की शांति के लिये एक अच्छा कदम होगा। क्योंकि आईएसआईएस हिन्दुस्तान में भी अपनी जड़े जमाने की कोशिश कर रहा है। उम्मीद की जा सकती है कि हिन्दुस्तान के मुसलमानों को जल्द ही यह समझ में आ जायेगा कि कौन उनका हमदर्द है और कौन उनके नाम पर सियासत कर रहा है। समय आ गया है कि मोदी के साथ-साथ अन्य दलों के नेता भी आतंकवाद के खिलाफ खुलकर मैदान में उतरें। उनके ऐसा करने से न तो मुस्लिम वोटर नाराज होगा न ही उनका साथ छोड़ेगा। यह देश का दुर्भाग्य है कि आतंक और आईएसआईएस के खिलाफ मुसलमान तो एकजुट हो गये हैं लेकिन सियासतदार बंटे हुए हैं।

लेखक अजय कुमार उत्तर प्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार और स्तंभकार हैं.

You May Also Like

Uncategorized

मुंबई : लापरवाही से गाड़ी चलाने के मामले में मुंबई सेशन कोर्ट ने फिल्‍म अभिनेता जॉन अब्राहम को 15 दिनों की जेल की सजा...

ये दुनिया

रामकृष्ण परमहंस को मरने के पहले गले का कैंसर हो गया। तो बड़ा कष्ट था। और बड़ा कष्ट था भोजन करने में, पानी भी...

ये दुनिया

बुद्ध ने कहा है, कि न कोई परमात्मा है, न कोई आकाश में बैठा हुआ नियंता है। तो साधक क्या करें? तो बुद्ध ने...

दुख-सुख

: बस में अश्लीलता के लाइव टेलीकास्ट को एन्जॉय कर रहे यात्रियों को यूं नसीहत दी उस पीड़ित लड़की ने : Sanjna Gupta :...

Advertisement