Anil Singh : अब अडानी पोर्ट की कमाई दाल आयात से… राजनीति में घाघ वो जो अवाम की नितांत निजी भावनाओं का भी सार्वजनिक इस्तेमाल कर डाले और धंधे में घाघ वो हर संकट में मुनाफे का मौका ढूढ ले। इस मामले में मोदी और अडानी की जोड़ी कमाल की है। दाल के दाम 200 रुपए तक पहुंच गए। अगली फसल जनवरी-फरवरी के पहले आएगी नहीं तो आयात करने की मजबूरी है। इसे ताड़कर अडानी पोर्ट ने इंडिया पल्सेज एंड ग्रेन्स एसोसिएशन के साथ एमओयू कर डाला है कि देश में दाल का सारा आयात उसी के बंदरगाहों से होगा। यह एसोसिएशन क्या है और अडानी को धंधे का यह मौका दिलाने में मोदी जी की कितनी कृपा रही है, इसका पक्का पता नहीं। लेकिन कोई किसी को चुनाव प्रचार के लिए निजी हेलिकॉप्टर यू ही तो मुफ्त में नहीं दे दिया करता।
Ramji Tiwari : दाल की बढ़ती हुयी कीमतों के सम्बन्ध में आज एक और मौलिक तर्क सुनने को मिला। जब एक साथी ने इन बढ़ती हुयी कीमतों के कारण केंद्र सरकार की आलोचना की तो बगल वाले दूसरे साथी बिफर गए। बोले कि “हर बात में केंद्र सरकार को दोष देना बंद कीजिए। सच्चाई यह है कि इसके लिए राज्य सरकारें जिम्मेदार हैं। इन राज्य सरकारों ने समय से दाल आयात करने के विषय में केंद्र को जानकारी नहीं दी, इसलिए भाव इतने बढ़ गए। आखिर राज्य ही तो बता सकते हैं कि उनके यहाँ दाल का उत्पादन कितना हुआ है और मांग के हिसाब से और कितनी दाल की आवश्यकता है।” पहले साथी ने पूछा। “ठीक है। गैर भाजपा शासित राज्यों की गलती तो समझ में आती है । लेकिन बहुत से राज्य तो ऐसे भी हैं, जिनमे केंद्र की सत्तारूढ़ पार्टी का ही शासन है । तो उन्होंने समय से क्यों नहीं मांग रखी।” उन्होंने अपना निष्कर्ष दिया। “हां … तो आप उन भाजपा शासित राज्य सरकारों को भी जिम्मेदार ठहरा सकते हैं। लेकिन केंद्र सरकार को नहीं।”
पत्रकार अनिल सिंह और रामजी तिवारी के फेसबुक वॉल से.