श्रीहरिकोटा: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने श्रीहरिकोटा से भारत के एस्ट्रोसैट सहित छह उपग्रहों को ले जाने वाले रॉकेट का सफल प्रक्षेपण कर दिया है। इस एस्ट्रोसैट की मदद से ब्रह्मांड को समझने में मदद मिलेगी। भारत के स्वदेशी टर्बो-चार्ज ‘मिनी हबल टेलीस्कोप’ का आंध्रप्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित अंतरिक्ष केंद्र से प्रेक्षपण किया गया। इसके सफल होने पर अंतरिक्ष में अपनी दूरबीन लगाने वाला भारत पहला विकासशील राष्ट्र बन जायेगा। साथ ही अमेरिका, यूरोपीय संघ और जापान जैसे देशों के विशिष्ट क्लब में शामिल हो जायेगा।
पीएसएलवी-सी 30 रॉकेट के जरिए छोड़ा गया एस्ट्रोसैट अपने साथ छह विदेशी उपग्रह भी ले गया है, जिनमें से चार अमेरिकी सैटलाइट हैं, जबकि इंडोनेशिया तथा कनाडा के एक-एक उपग्रह हैं। यह पहली बार है कि जब भारत ने अमेरिकी सैटलाइट प्रक्षेपित किए हैं। ये सैटलाइट सैन फ्रांसिस्को की एक कंपनी के हैं। इन्हें भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की व्यवसायिक शाखा अंतरिक्ष कॉरपोरेन लिमिटेड के साथ किए गए समझौते के तहत प्रक्षेपित किए गए हैं। सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से किए गए इस प्रक्षेपण में इसरो के विश्वसनीय पोलर सैटलाइट लॉन्च वीइकल (पीएसएलवी) की मदद ली गई। अपनी 31वीं उड़ान में पीएसएलवी ने उड़ान शुरू होने के लगभग 25 मिनट बाद एस्ट्रोसैट और छह अन्य उपग्रहों को कक्षा में स्थापित कर दिया गया।
आकाशीय वस्तुओं के अध्ययन के लिए बनाए गए एस्ट्रोसैट का वजन 1515 किलोग्राम है। इसको बनाने में 10 साल लगे हैं और इसके निर्माण पर 178 करोड़ रुपये की लागत आई है। यह उपग्रह पांच वर्षों तक अपनी सेवाएं देगा और इससे ब्रह्मांड को समझने में मदद मिलेगी। इससे ब्लैक होल्स और तारों तथा आकाशगंगाओं के बनने और नष्ट होने के बारे में अध्ययन किया जाएगा। छह विदेशी सैटलाइट के सफल प्रक्षेपण के साथ ही भारत अंतरिक्ष अनुसंधान की दिशा में 50 वर्ष पूरा कर लिए हैं। भारत अब तक 45 विदेशी उपग्रहों का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण कर चुका है। इसरो ने 2010 में एक साथ 10 सैटलाइट का प्रक्षेपण किया था, जिसमें भारत के दो काटरसैट-2ए उपग्रह भी शामिल थे। आज भारत ने तीसरी बार एक साथ सात सैटलाइट को प्रक्षेपण किया। सात उपग्रहों को ले जाने वाला यह चार स्तरीय पीएसएलवी-एक्सएल रॉकेट 44.4 मीटर लंबा और 320 टन वजनी है।