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आरक्षण के नियमों में बड़े बदलाव का समय आ गया है

Vishnu Rajgadia : आरक्षण के नियमों में बड़े बदलाव का समय आ गया है। हर प्रकार के आरक्षण में क्रीमी लेयर को सख्ती से अलग किया जाये। जिस किसी की एक पीढ़ी को किसी प्रकार का आरक्षण मिल चुका हो, उसकी अगली पीढ़ी को इसका लाभ न मिले। फिर, जिसे एक स्तर पर आरक्षण का लाभ मिल चुका हो, उसे अन्य स्तर पर इसका लाभ न मिले। जैसे, किसी ने नामांकन में आरक्षण पाया, फिर नौकरी में, फिर प्रमोशन में। इसके बाद वह एससी या एसटी की सुरक्षित सीट से चुनाव लड़ जाता है।

<p>Vishnu Rajgadia : आरक्षण के नियमों में बड़े बदलाव का समय आ गया है। हर प्रकार के आरक्षण में क्रीमी लेयर को सख्ती से अलग किया जाये। जिस किसी की एक पीढ़ी को किसी प्रकार का आरक्षण मिल चुका हो, उसकी अगली पीढ़ी को इसका लाभ न मिले। फिर, जिसे एक स्तर पर आरक्षण का लाभ मिल चुका हो, उसे अन्य स्तर पर इसका लाभ न मिले। जैसे, किसी ने नामांकन में आरक्षण पाया, फिर नौकरी में, फिर प्रमोशन में। इसके बाद वह एससी या एसटी की सुरक्षित सीट से चुनाव लड़ जाता है।</p>

Vishnu Rajgadia : आरक्षण के नियमों में बड़े बदलाव का समय आ गया है। हर प्रकार के आरक्षण में क्रीमी लेयर को सख्ती से अलग किया जाये। जिस किसी की एक पीढ़ी को किसी प्रकार का आरक्षण मिल चुका हो, उसकी अगली पीढ़ी को इसका लाभ न मिले। फिर, जिसे एक स्तर पर आरक्षण का लाभ मिल चुका हो, उसे अन्य स्तर पर इसका लाभ न मिले। जैसे, किसी ने नामांकन में आरक्षण पाया, फिर नौकरी में, फिर प्रमोशन में। इसके बाद वह एससी या एसटी की सुरक्षित सीट से चुनाव लड़ जाता है।

इसके कारण देश में आरक्षण का लाभ उठाने वाला ऐसा मलाईदार तबका पैदा हो गया है. जो सभी अवसरों का लाभ उठा लेता है। इसके कारण उस वर्ग के वंचित लोगों को लाभ नहीं मिल पाता। अगर मलाईदार तबके को अलग कर दिया जाये और किसी व्यक्ति को सिर्फ एक स्तर पर आरक्षण तक सीमित कर दिया जाये तो इसका लाभ इन्हीं वर्गों के व्यापक लोगों तक पहुँच सकेगा। अब रामविलास पासवान, मुलायम सिंह, कड़िया मुंडा या रामेश्वर उरांव के परिजनों को क्यों मिले कोई आरक्षण? इन वर्गो के उन लोगों को मिले, जो सचमुच वंचित हैं। आज देश में पूर्ण बहुमत की सरकार है। वह ऐसे ठोस कदम नहीं उठाएगी तो किससे उम्मीद करेंगे आप?

झारखंड के वरिष्ठ पत्रकार विष्णु राजगढ़िया के फेसबुक वॉल से.

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