अरुणा शानबाग एक ऐसी महिला का नाम है जिसने उत्पीड़न और यंत्रणा के लगातार 42 साल झेले. ऐसा एक रेप के बाद हुआ जब वे कोमा में चली गईं. यौन उत्पीडऩ की शिकार नर्स अरुणा शानबाग ने आज सोमवार सुबह 8:30 बजे दम तोड़ दिया. पिछले पांच दिनों से उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था.
66 वर्षीय अरुणा पिछले 42 साल से जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष कर रही थी. 42 साल पहले अस्पताल में रेप का शिकार होने के बाद वे कोमा में चली गईं थीं. किंग एडवर्ड मेमोरियल (केइएम) अस्पताल के डीन अविनाश सुपे ने बताया था कि वह निमोनिया से पीडि़त थीं. पिछले वर्ष अरुणा को सप्ताह भर आइसीयू में रखने के बाद नगर निगम संचालित केइएम अस्पताल के नवीनीकृत कमरे में स्थानांतरित किया गया था. केइएम अस्पताल परेल में स्थित है. अस्पताल का स्टाफ ही उनकी देखभाल कर रहा था.
अरुणा पर 27 नवंबर 1973 को अस्पताल के एक सफाईकर्मी ने बेरहमी से हमला किया था और दुष्कर्म किया था. उन्हें इसका गहरा सदमा पहुंचा था और वे कोमा में चली गई थी. हादसे के 27 साल बाद सन् 2011 को सुप्रीम कोर्ट ने अरुणा की मित्र पिंकी बिरमानी की ओर से दायर इच्छामृत्यु याचिका को स्वीकारते हुए मेडिकल पैनल गठित करने का आदेश दिया था. हालांकि 7 मार्च 2011 को कोर्ट ने अपना फैसला बदल दिया था.