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जब पत्रकार नौकरी से निकाले जा रहे थे तो आशुतोष चुप्पी साध कर रिलायंस से पगार उठा रहे थे!

Samarendra Singh : आज प्रेस कॉन्फ्रेंस में आशुतोष कह रहे थे कि बीजेपी को कोई हक नहीं कि केजरीवाल की सरकार पर सवाल उठाए. अपनी बात को जायज ठहराने के लिए उन्होंने बीजेपी के अपराध गिनाए. इसमें कोई शक नहीं कि बीजेपी और बीजेपी नेताओं के अनगिनत अपराध हैं. लेकिन क्या यह तर्क काफी है उन सवालों को नजरअंदाज करने के लिए जो पूछे जा रहे हैं? अगर गांधी की आलोचना और शिकायत के लिए गांधी होना जरूरी है तो फिर गांधी की आलोचना कैसे हो सकती है?

<p>Samarendra Singh : आज प्रेस कॉन्फ्रेंस में आशुतोष कह रहे थे कि बीजेपी को कोई हक नहीं कि केजरीवाल की सरकार पर सवाल उठाए. अपनी बात को जायज ठहराने के लिए उन्होंने बीजेपी के अपराध गिनाए. इसमें कोई शक नहीं कि बीजेपी और बीजेपी नेताओं के अनगिनत अपराध हैं. लेकिन क्या यह तर्क काफी है उन सवालों को नजरअंदाज करने के लिए जो पूछे जा रहे हैं? अगर गांधी की आलोचना और शिकायत के लिए गांधी होना जरूरी है तो फिर गांधी की आलोचना कैसे हो सकती है?</p>

Samarendra Singh : आज प्रेस कॉन्फ्रेंस में आशुतोष कह रहे थे कि बीजेपी को कोई हक नहीं कि केजरीवाल की सरकार पर सवाल उठाए. अपनी बात को जायज ठहराने के लिए उन्होंने बीजेपी के अपराध गिनाए. इसमें कोई शक नहीं कि बीजेपी और बीजेपी नेताओं के अनगिनत अपराध हैं. लेकिन क्या यह तर्क काफी है उन सवालों को नजरअंदाज करने के लिए जो पूछे जा रहे हैं? अगर गांधी की आलोचना और शिकायत के लिए गांधी होना जरूरी है तो फिर गांधी की आलोचना कैसे हो सकती है?

 

और, उस आधार पर क्या खुद आशुतोष को सवाल उठाने का हक है? जब सैकड़ों पत्रकारों को नौकरी से निकाला जा रहा था तो आशुतोष तमाम सवालों पर चुप्पी साध कर रिलायंस से लाखों रुपये की पगार उठा रहे थे, क्या ऐसे आशुतोष को यह हक है कि किसी पर सवाल उठाएं? दरअसल आज की प्रेस कॉन्फ्रेंस में आम आदमी पार्टी के नेता बहुत कमजोर साबित हुए… लगा कि उनके पास अपने बचाव में कोई तर्क ही नहीं है. आशुतोष और संजय सिंह दोनों गलथोथई कर रहे थे और यह ठीक बात नहीं है. खासतौर से उस पार्टी के लिए जो आदर्शों की बात करती हो. जो ईमानदारी की कसमें खाती हो…

पत्रकार समरेंद्र सिंह के फेसबुक वॉल से.

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