उत्तर-प्रदेश का एक जिला है …चंदौली! कभी वाराणसी जिले का हिस्सा रहे इस चंदौली जिले को कृषि-क्षेत्र में “धान का कटोरा” वाला रूतबा हासिल है ! रेलवे-विभाग, इस क्षेत्र के, अति-महत्त्वपूर्ण रेलवे स्टेशन ….”मुग़ल-सराय” पर गर्व करता है! पर धर्म और आध्यात्म की ऊँचाइयों में रुचि व् आस्था रखने वाले लोग, इस जिले के बलुआ थाना-क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले रामगढ़ नामक स्थान को पूजनीय मानते हैं ! कारण….? ये वही जगह है जहां भगवान् शिव के मानव-तन एवं औघड़-परम्परा के आधुनिक स्वरुप के प्रणेता …..अघोराचार्य महाराजश्री बाबा कीनाराम जी ने मानव-तन में इस धरा पर आगमन किया!
अघोराचार्य महाराजश्री बाबा कीनाराम जी ने (वाराणसी स्थित) अपने प्रधान निवास व् तपोस्थली स्थान , बाबा कीनाराम स्थल, क्रीं-कुण्ड, के अलावा भी कई स्थानों पर तप किया-अलख जगाया! रामगढ़ भी इन्हीं चंद-महत्त्वपूर्ण स्थानों में से एक है! अघोरी परम्परा में (बाबा कीनाराम स्थल, क्रीं-कुण्ड के बाद) रामगढ़ बहुत अहम् माना जाता है! लेकिन आज ……. ? स्थिति भयावह है! हालत ये है कि अपने दबंग होने का गुमान पाले कुछ अवांछनीय तत्व औघड़-परम्परा की इस ज़मीन को अपनी जागीर समझने का भ्रम पाल बैठे हैं!
इन असामाजिक तत्वों का हौसला इतना बुलंद है कि …..ये वहाँ के रहने वाले सेवकों और साधू-महात्माओं की पिटाई तक कर दे रहे हैं! हाल ही में वहाँ रहने वाले साधू, शत्रुघ्न राम जी, की पिटाई इस कदर हुई कि गंभीर अवस्था में उन्हें अस्पताल में भरती कराया! औघड़ की ज़मीन पर साधू-महात्माओं से मारपीट करने वाले बाहुबली, गुंडागर्दी और अंधेरगर्दी के ज़रिये समाज में गन्दगी ज़रूर फैला रहे हैं पर उन्हें इस बात की इत्तेला ज़रूर होनी चाहिए कि “…..कीनाराम का दाना-सोच समझ कर चुराना”! ये बात इसलिए भी अहम् हो जाती है कि …..स्वयं बाबा कीनारामजी का पुनः-आगमन, क्रीं-कुण्ड के वर्तमान पीठाधीश्वर जी के रूप में पहले ही हो चुका है! ख़बरदार! खैर! इस घटना के मद्देनज़र आध्यात्मिक-पक्ष का फ़ैसला क्या होगा , ये तो वक़्त ही बताएगा , लेकिन, इन दबंगों की गुंडागर्दी की व्यापक सामाजिक भर्त्सना व्यापक-स्तर पर ज़रूर होनी चाहिए! ज़रूर होनी चाहिए!