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दुख-सुख

बरखा जी प्लीज… अपनी चापलूसी को पत्रकारिता के नाम से जनता पर मत थोपिये…

शाहरुख खान क्या हैं… सिर्फ एक इंटरटेनर। उस तरह के कई अभिनेता आए और चले गए। देश की सेहत पर इनका कोई असर नहीं पड़ा, क्योंकि रूपहले पर्दे के ये तमाम नायक भले ही जनता के चहेते रहे हों, मगर उनके आदर्श कभी नहीं हो सकते। उनके लिए तो हमें महात्मा गांधी से लेकर भगत सिंह तक को ही याद करना होगा और उनके लिए आज के संदर्भ में यह अवश्य कहा जा सकता है कि हम आपके लायक नहीं हैं, लेकिन शाहरुख खान के लिए यह कहना सिर्फ और सिर्फ चापलूसी या अपने मालवी में बोले तो शुद्ध भटेती ही है… बरखा दत्त जी आप देश की जानी-मानी पत्रकार हैं और शाहरुख खान जैसों की दोस्त भी आसानी से हो सकती हैं, क्योंकि आपके पास एक बड़े न्यूज चैनल का प्लेटफॉर्म मौजूद है।

<p>शाहरुख खान क्या हैं... सिर्फ एक इंटरटेनर। उस तरह के कई अभिनेता आए और चले गए। देश की सेहत पर इनका कोई असर नहीं पड़ा, क्योंकि रूपहले पर्दे के ये तमाम नायक भले ही जनता के चहेते रहे हों, मगर उनके आदर्श कभी नहीं हो सकते। उनके लिए तो हमें महात्मा गांधी से लेकर भगत सिंह तक को ही याद करना होगा और उनके लिए आज के संदर्भ में यह अवश्य कहा जा सकता है कि हम आपके लायक नहीं हैं, लेकिन शाहरुख खान के लिए यह कहना सिर्फ और सिर्फ चापलूसी या अपने मालवी में बोले तो शुद्ध भटेती ही है... बरखा दत्त जी आप देश की जानी-मानी पत्रकार हैं और शाहरुख खान जैसों की दोस्त भी आसानी से हो सकती हैं, क्योंकि आपके पास एक बड़े न्यूज चैनल का प्लेटफॉर्म मौजूद है।</p>

शाहरुख खान क्या हैं… सिर्फ एक इंटरटेनर। उस तरह के कई अभिनेता आए और चले गए। देश की सेहत पर इनका कोई असर नहीं पड़ा, क्योंकि रूपहले पर्दे के ये तमाम नायक भले ही जनता के चहेते रहे हों, मगर उनके आदर्श कभी नहीं हो सकते। उनके लिए तो हमें महात्मा गांधी से लेकर भगत सिंह तक को ही याद करना होगा और उनके लिए आज के संदर्भ में यह अवश्य कहा जा सकता है कि हम आपके लायक नहीं हैं, लेकिन शाहरुख खान के लिए यह कहना सिर्फ और सिर्फ चापलूसी या अपने मालवी में बोले तो शुद्ध भटेती ही है… बरखा दत्त जी आप देश की जानी-मानी पत्रकार हैं और शाहरुख खान जैसों की दोस्त भी आसानी से हो सकती हैं, क्योंकि आपके पास एक बड़े न्यूज चैनल का प्लेटफॉर्म मौजूद है।

शाहरुख खान जैसे कलाकारों को चूंकि आए दिन सुर्खियों में बने रहने के लिए इस तरह के प्लेटफॉर्म की जरूरत पड़ती है। ऐसे में उनका आपके जैसे पत्रकारों को इंटरव्यू देना कोई विशेष बात नहीं है। मैं भी छोटा-मोटा पत्रकार हूं और अपने 29 साल के पत्रकारिता के कॅरियर में इतना तो समझने लगा हूं कि कौन-सा इंटरव्यू प्रायोजित है और कौन सा जनहित वाला… माफ करना मैंने तो अब जनहित वाली पत्रकारिता आप जैसे टीवी चैनलों के बड़े पत्रकारों के माध्यम से कम ही देखी है। अलबत्ता तिल का ताड़ बनाने और बेतुके बयानों को ब्रेकिंग न्यूज चलाने में अवश्य आप लोगों को महारत हासिल हो चुकी है।

पिछले दिनों शाहरुख खान ने आपको जो इंटरव्यू दिया उसमें उन्होंने बीफ पॉलिटिक्स पर अपनी राय जाहिर की, जिसे सुनियोजित तरीके से सुर्खियां दी गईं, ताकि इसी बहाने से शाहरुख खान चर्चा में रहें और उनकी आने वाली फिल्म को इसका भरपूर लाभ भी मिले। वैसे तो शाहरुख खान भारतीय हिन्दी फिल्मों के उन महान कलाकारों की श्रेणी में भी नहीं आते हैं, जिनको लेकर जनता यानि दर्शकों के मन में किसी तरह की श्रद्धा हो। अलबत्ता शाहरुख खान ओवर एक्टिंग के तो शिकार रहे ही, वहीं उनका बड़बोलापन भी जगजाहिर है। ऐसे में आपका यह कहना कि हम यानि देश की जनता शाहरुख खान के लायक नहीं हैं, वाकई निंदनीय ही कहा जाएगा।

भारत जैसे देश को शाहरुख खान की कतई आवश्यकता नहीं है, उलटे शाहरुख को ही भारत की जरूरत है, जहां पर वे नाम, शोहरत, दौलत सब कुछ हासिल कर पाए। अगर वे पाकिस्तान या किसी अन्य देश में होते तो शायद हाशिए पर ही पड़े होते… बहरहाल बरखा जी प्लीज अपनी इस चापलूसी को पत्रकारिता के नाम पर जनता पर मत थोपिए… वैसे आपकी चर्चा नीरा राडिया टेपकांड में भी खूब सुनाई दी थी, जिसमें पत्रकार और दलाल के संबंध जगजाहिर हुए थे… खैर! छोडि़ए, इस पर कभी बाद में चर्चा करेंगे… फिलहाल तो अपनी ये शाहरुख भक्ति अपने पास ही रखिए…

लेखक राजेश ज्वेल जाने-माने हिन्दी पत्रकार और राजनीतिक समीक्षक हैं. सम्पर्क – 098270-20830 Email : [email protected], [email protected]

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