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नेपालः भारत का दोष क्या है?

भारत-नेपाल संबंधों में अचानक गिरावट बढ़ती जा रही है। दोनों देशों के बीच पहले भी कई बार तनाव हुआ है लेकिन ऐसा कभी नहीं हुआ कि नेपाल हमारी शिकायत करने संयुक्त राष्ट्र पहुंच गया है। नेपाल के उप-प्रधानमंत्री प्रकाश मानसिंह ने पहले संयुक्त राष्ट्र महासभा में भारत का रोना रोया और फिर वह महासचिव बान की मून के पास पहुंच गए। मानसिंह ने भारत पर नेपाल की घेराबंदी का आरोप जड़ दिया है। उन्होंने कहा है कि भारत सरकार ने सीमा के सभी नाके बंद कर दिए हैं ताकि नेपाल का यातायात रुक जाए। माल से भरे ट्रक सीमांत पर खड़े हैं। पेट्रोल का अकाल पड़ गया है। नेपाली जनता तंग हो गई है। इसका सारा दोष भारत पर मढ़ा जा रहा है। नेपाल की तीनों पार्टियां- नेपाली कांग्रेस, एमाले और प्रचंड की माओवादी पार्टी-एकजुट होकर भारत को कोस रही हैं।

<p>भारत-नेपाल संबंधों में अचानक गिरावट बढ़ती जा रही है। दोनों देशों के बीच पहले भी कई बार तनाव हुआ है लेकिन ऐसा कभी नहीं हुआ कि नेपाल हमारी शिकायत करने संयुक्त राष्ट्र पहुंच गया है। नेपाल के उप-प्रधानमंत्री प्रकाश मानसिंह ने पहले संयुक्त राष्ट्र महासभा में भारत का रोना रोया और फिर वह महासचिव बान की मून के पास पहुंच गए। मानसिंह ने भारत पर नेपाल की घेराबंदी का आरोप जड़ दिया है। उन्होंने कहा है कि भारत सरकार ने सीमा के सभी नाके बंद कर दिए हैं ताकि नेपाल का यातायात रुक जाए। माल से भरे ट्रक सीमांत पर खड़े हैं। पेट्रोल का अकाल पड़ गया है। नेपाली जनता तंग हो गई है। इसका सारा दोष भारत पर मढ़ा जा रहा है। नेपाल की तीनों पार्टियां- नेपाली कांग्रेस, एमाले और प्रचंड की माओवादी पार्टी-एकजुट होकर भारत को कोस रही हैं।</p>

भारत-नेपाल संबंधों में अचानक गिरावट बढ़ती जा रही है। दोनों देशों के बीच पहले भी कई बार तनाव हुआ है लेकिन ऐसा कभी नहीं हुआ कि नेपाल हमारी शिकायत करने संयुक्त राष्ट्र पहुंच गया है। नेपाल के उप-प्रधानमंत्री प्रकाश मानसिंह ने पहले संयुक्त राष्ट्र महासभा में भारत का रोना रोया और फिर वह महासचिव बान की मून के पास पहुंच गए। मानसिंह ने भारत पर नेपाल की घेराबंदी का आरोप जड़ दिया है। उन्होंने कहा है कि भारत सरकार ने सीमा के सभी नाके बंद कर दिए हैं ताकि नेपाल का यातायात रुक जाए। माल से भरे ट्रक सीमांत पर खड़े हैं। पेट्रोल का अकाल पड़ गया है। नेपाली जनता तंग हो गई है। इसका सारा दोष भारत पर मढ़ा जा रहा है। नेपाल की तीनों पार्टियां- नेपाली कांग्रेस, एमाले और प्रचंड की माओवादी पार्टी-एकजुट होकर भारत को कोस रही हैं।

वे दुनिया को यह नहीं बता रही हैं कि सीमांत पर नाकेबंदी का असली कारण क्या है? वास्तव में नए संविधान में इन तीनों पार्टियों ने मधेसी लोगों को हाशिए में डाल दिया है। उनके विरोध करने पर दर्जनों मधेसियों को मौत के घाट उतार दिया गया है। अब इन गुस्साए हुए मधेसियों ने भारत-नेपाल रास्तों को बंद कर दिया है। वह धरने दे रहे हैं और प्रदर्शन कर रहे हैं। यदि ट्रक और बसे नेपाल में जाने नहीं दिए जा रहे हैं तो इसमें भारत क्या करे? भारत मधेसियों का खुलकर समर्थन जरुर कर रहा है लेकिन वह नाकेबंदी नहीं कर रहा है। यह नेपाल का आंतरिक मामला है। नेपाली नेताओं को थोड़ी परिपक्वता और दरियादिली से काम लेना चाहिए। मधेसियाई गुस्से को शांत करना चाहिए, तुरंत बातचीत शुरु करनी चाहिए। नेपाल को पहाड़ी और मैदानी दो हिस्सों में नहीं बंटने देना चाहिए। भारत ऐसा कभी नहीं चाहेगा। नेपाल की एकता और अखंडता में ही भारत का हित है। इस तात्कालिक संकट की घड़ी में यदि नेपाली नेता संयुक्त राष्ट्र में भारत के विरुद्ध मोर्चा खोलेंगे तो यह खेल उन्हें काफी मंहगा पड़ेगा। वह चीन को भी मुकाबले में खड़ा करने की धमकी दे रहे हैं, यह भी उनके लिए फायदे का सौदा नहीं होगा। नेपाली नेताओं को चाहिए कि वह भारत से सीधी बात करें। 

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