Dilip C Mandal : कोई शंकराचार्य हैं। उनका बयान आया है कि प्रधानमंत्री विदेश जाकर हर जगह और बार बार यह क्यों कहते हैं कि भारत बुद्ध की ज़मीन है! शंकराचार्य को इससे तकलीफ़ है। मैं सोच रहा हूं कि प्रधानमंत्री को विदेश जाकर क्या कहना चाहिए? कि भारत हनुमान की भूमि है? माता शेरांवाली की धरती है? साईं बाबा की जमीन है? बालाजी की धरती है। राम की धरती है? ब्रह्मा की ज़मीन है? दुर्गा की ज़मीन है? किसकी धरती बताएँ वे। दुनिया को क्या बताएँ? नरसिंह अवतार का देश है या वामनअवतार का देश है? मनु की धरती है?
बुद्ध नहीं तो कौन?
मुझे नहीं मालूम कि शंकराचार्य कितने पढ़े लिखे हैं। या उन्हें कभी राष्ट्रपति भवन जाने का मौका मिला है या नहीं। अपने पेशे और काम की वजह से मैं कई बार गया हूँ। जितना हिस्सा मैंने देखा है, उसमें वहाँ की सबसे भव्य मूर्ति बुद्ध की ही है। वह भी सबसे बड़े और सबसे महत्वपूर्ण दरबार हॉल में। जहाँ शपथ ग्रहण होता है। सम्मान दिए जाते हैं। जहाँ राष्ट्रपति विदेशी राष्ट्राध्यक्षों से मिलते हैं।
बुद्ध के बिना भारत की कल्पना नहीं हो सकती। हालाँकि उनके विचारों की इसी धरती पर ब्राह्मणवादीयों-पोंगापंथियों के हाथों थोड़े समय के लिए हार हुई है, फिर भी। बुद्ध से जानी जाती है यह धरती। यह मूर्ति पहले राष्ट्रपति भवन में नहीं थी। सोच समझकर लगाई गई है। भारत की कल्पना बुद्ध के बिना मुमकिन नहीं, इसका प्रमाण है यह मूर्ति, जो राष्ट्रपति भवन में शोभायमान है।
वरिष्ठ पत्रकार दिलीप मंडल के फेसबुक वॉल से.