कोल ब्लॉक आवंटन मामले में सीबीआई ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को क्लीनचिट दे दी है। जांच एजेंसी ने विशेष अदालत से कहा कि इस बात के कोई सबूत नहीं हैं, कि पूर्व प्रधानमंत्री नवीन जिंदल समूह की कंपनियों को कोयला ब्लॉक के आवंटन की किसी साजिश का हिस्सा थे।
झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा की याचिका पर दलील देते हुए विशेष लोक अभियोजक आर.एस.चीमा ने अदालत से कहा कि आवेदन में दम नहीं है। कोड़ा ने सिंह और दो अन्य को कोयला घोटाला मामले में अतिरिक्त आरोपी के तौर पर तलब करने की मांग की थी। चीमा ने विशेष सीबीआई न्यायाधीश भरत पराशर से कहा कि मामले के रिकॉर्ड प्रथम दृष्टया भी संकेत नहीं देते हैं कि तत्कालीन प्रधानमंत्री, जो उस वक्त कोयला मंत्री भी थे, उनका किसी भी तरीके से किसी आरोपी के साथ साठगांठ था और इस बात को दर्शाने के लिए कोई सबूत नहीं है कि समूची प्रक्रिया में उन्होंने यांत्रिक तरीके से काम किया।
चीमा ने कहा, ‘मौजूदा आवेदन आरोपी व्यक्ति की तरफ से मौजूदा मुकदमे को न सिर्फ विलंबित करने बल्कि अदालत का ध्यान मामले से दूसरी ओर भटकाने की भी युक्ति है।’ साथ ही उन्होंने कहा कि मामले में सीबीआई ने व्यापक और पूरी जांच की है और अदालत ने कोड़ा समेत 15 आरोपियों को तलब करने में कोई गलती नहीं पाई। उनके खिलाफ आरोप पत्र दायर किया गया था। उन्होंने कहा कि सीबीआई के मामले के मुताबिक झारखंड में सरकारी तंत्र ने अन्य आरोपियों के साथ साठगांठ किया था। ताकि इस बात को सुनिश्चित किया जा सके कि कोयला ब्लॉक जिंदल समूह की कंपनियों को आवंटित हो और यह कहना सही नहीं होगा कि राज्य में जो कुछ भी हुआ मनमोहन सिंह को उसकी जानकारी थी। अदालत ने दलीलों को सुनने के बाद कोड़ा के आवेदन पर 16 अक्तूबर तक अपना आदेश सुरक्षित रख लिया।