छत्तीसगढ़ सरकार की कार्यप्रणाली की बैसे तो कई विडंबनाएं है जिसपर काफी कुछ लिखा जा सकता है लेकिन राज्य कैबिनेट की बैठक के बारे में लगातार किये जा रहे मजाक पर मै कुछ लिखने से अपने को नही रोक पा रहा हूं। जहां तक मेरी जानकारी है और आप सभी लोग भी जानते होंगे कि किसी भी राज्य की सबसे बड़ी बैठक, कैबिनेट की बैठक होती है। आपातकालीन स्थिति को छोड़कर यह बैठक यूं ही नही होती बल्कि पहले बकायदा सभी विभागों को नोट भेजकर कैबिनेट के लिए प्रस्ताव मंगाया जाता है। उन प्रस्तावों को सुचिबद्ध कर बैठक के एक या दो दिन पहले मंत्रियों के पास भेजा जाता है और फिर मंत्रिमंडल में प्रस्ताव पर चर्चा उपरान्त उस विषय पर नीतिगत निर्णय लिया जाता है।
कैबिनेट में लाये जानेवाले तमाम प्रस्ताव ऐसे होते है जिस विषय पर राज्य के अधिकारी, मंत्री और यहां तक की राज्य के मुख्यमंत्री भी स्वतंत्र रूप से निर्णय़ लेने के लिए सक्षम नही होते। इसलिए कैबिनेट राज्य में नीतिगत निर्णय़ लेनेवाली सर्वोच्च बैठक होती है और चुंकि बैठक में लिये जानेवाले फैसलों का राज्य की जनता पर दूरगामी प्रभाव पड़ता है लिहाजा उन निर्णयों को जानने का हक राज्य के निवासियों को है। देश से लेकर सभी राज्य सरकारों में यह परंपरा है कि बाकी किसी बैठक में प्रेस कांफ्रेस हो न हो कैबिनेट की बैठक के बाद पत्रकारों को कैबिनेट के फैसले से जरूर अवगत कराया जाता है ताकि प्रेस और मीडिया के माध्यम से वे फैसले आम जनता तक पहुंच सके।
लेकिन छत्तीसगढ़ के अधिकारी कैबिनेट की बैठक के बारे में कह देते है कि आज तो बैठक में कुछ नही था। कैबिनेट की कोई ब्रीफिंग नही होगी। साल में छत्तीसगढ़ सरकार के दर्जनों कैबिनेट बैठक होती है जिसकी कोई ब्रीफिंग नही होती। पता नही क्यों ? रविवार को भी छत्तीसगढ़ सरकार की कैबिनेट की बैठक संपन्न हुई। कई महत्वपूर्ण निर्णय़ भी लिये गये जिसमें आईपीएस और आईएफएस अधिकारियों को उनके मूल कैडर में वापस भेजे जाने का मामला भी था। कैबिनेट की बैठक की खबर सुबह से ही सभी प्रादेशिक टीवी चैनलों की सुर्खियां थी। बैठक के समय पर सभी टीवी चैनलवाले सीएम हाऊस पहुंच भी गये। दो घंटे बाहर खड़े भी रहें। बैठक खत्म हुई।
एक-एक कर मंत्री निकले। मीडियाकर्मी प्रतिक्षा करते रहे कि अधिकृत व्यक्ति मीडिया को ब्रीफ करेगा,लेकिन सभी मंत्रियों के निकल जाने के बाद सूचना विभाग के तरफ से बताया गया कि आज कोई ब्रीफिंग नही होगी। यह समझ से परे है कि जो सरकार मुख्यमंत्री के एक-एक लफ्ज को करोड़ो खर्च कर एसएमएस के माध्यम से लोगों तक पहुंचाना जरूरी समझती है। फेसबुक, ट्यूटर और अन्य सोशल मीडिया पर करोड़ो खर्च करती है। जिस सरकार का मीडिया बजट सैकड़ो करोड़ रूपए का हो, उस सरकार के कैबिनेट की बैठक पर कोई ब्रीफिंग नही करना समझ से परे है। सूचना विभाग के अधिकारी यह कह देते है कि बैठक में कुछ भी नही था, तो क्या भजियां खाने और चाय पीने के लिए होती है छत्तीसगढ़ सरकार में कैबिनेट की बैठक।
छत्तीसगढ़ से एक वरिष्ठ पत्रकार द्वारा भेजी गई रिपोर्ट.