अखिलेश सरकार ने प्रदेश भर के तालाबों की भूमि पर से अतिक्रमण हटाने के निर्देश दिए हैं, लेकिन सरकार का निर्देश बुंदेलखंड के बाहर जाकर निरर्थक सा हो जाता है, क्योंकि प्रदेश के अधिकांश जिलों के तालाब माफियाओं और दबंगों के कब्जे में हैं। हाल-फिलहाल बदायूं जिले का चंदोखर नाम का प्राचीन तालाब चर्चा का विषय बना हुआ है। जिस प्रकार चरखारी के तालाबों का दो सौ वर्ष पुराना इतिहास है। चरखारी के तालाब चन्देल राजाओं द्वारा बनवाए गए थे, उसी प्रकार बदायूं शहर के चंदोखर तालाब का भी प्राचीन इतिहास है, यह राजा महीपाल द्वारा बनवाया गया था, जिसका नाम चंद्रसरोवर था, जो अब चंदोखर के नाम से जाना जाता है।
सैकड़ों एकड़ क्षेत्र में फैला यह प्राचीन तालाब अप्रैल 2016 तक जीवित था, उसके बाद भू-माफियाओं ने इस पर हमला बोल दिया। बुन्देलखंड क्षेत्र के तालाबों को पुनर्जीवित करने के लिए सरकार द्वारा जितने संसाधन जुटाये गये हैं, उससे कहीं अधिक संसाधन भू-माफियाओं ने इस तालाब की हत्या करने को जुटाये। मात्र अप्रैल और मई माह में इस तालाब के अस्सी प्रतिशत भाग पर माफियाओं ने कब्जा कर लिया। लोगों ने विरोध किया, तो उनके विरुद्ध मुकदमे तक दर्ज करा दिए गये।
इस बीच खबर आई कि मुख्यमंत्री बरेली रोड का लोकार्पण करने बदायूं आ रहे हैं, तो लोगों के चेहरे खिल गये, वहीं माफिया दहशत में आ गये कि कहीं उनके विरुद्ध कार्रवाई न हो जाये। डरे-सहमे जिला प्रशासन ने भी माफियाओं को निर्देश देकर काम बंद करा दिया। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव 23 मई को बदायूं आये और स्तब्ध कर देने वाली बात यह है कि रैली का आयोजन तालाब के समतल किये हुए हिस्से पर ही किया गया, जहाँ वे रैली को संबोधित कर चले गये, उनसे पत्रकारों को भी नहीं मिलने दिया गया, जिससे माफियाओं के हौसले और भी बुलंद हो गये। माफिया शेष बचे तालाब में भी लगातार मिटटी डलवा रहे हैं, जिसकी किसी को कोई परवाह नहीं है, इसलिए लोग सवाल कर रहे हैं कि जो अखिलेश यादव बुंदेलखंड को स्वर्ग बना रहे हैं, वे बदायूं के ऐतिहासिक तालाब को क्यों नहीं बचा रहे?
बी.पी.गौतम
स्वतंत्र पत्रकार
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