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सोशल मीडिया

छोड़ दो चैनलों को देखना

Mukesh Kumar : कुछ लोग जब ये कहते हैं कि चैनल दिन भर इंद्राणी मुखर्जी को ही दिखानें में लगे हुए हैं तो मुझे हँसी आती है। मैं पूछना चाहता हूँ कि क्या आपके पास और कोई काम नहीं है, जो दिन भर वही-वही देखते रहते हो। छोड़ दो चैनलों को देखना। आप देखते जाते हो, वे दिखाते जाते हैं।

<p>Mukesh Kumar : कुछ लोग जब ये कहते हैं कि चैनल दिन भर इंद्राणी मुखर्जी को ही दिखानें में लगे हुए हैं तो मुझे हँसी आती है। मैं पूछना चाहता हूँ कि क्या आपके पास और कोई काम नहीं है, जो दिन भर वही-वही देखते रहते हो। छोड़ दो चैनलों को देखना। आप देखते जाते हो, वे दिखाते जाते हैं।</p>

Mukesh Kumar : कुछ लोग जब ये कहते हैं कि चैनल दिन भर इंद्राणी मुखर्जी को ही दिखानें में लगे हुए हैं तो मुझे हँसी आती है। मैं पूछना चाहता हूँ कि क्या आपके पास और कोई काम नहीं है, जो दिन भर वही-वही देखते रहते हो। छोड़ दो चैनलों को देखना। आप देखते जाते हो, वे दिखाते जाते हैं।

ख़बरें तो इंटरनेट, प्रिंट मीडिया और रेडियो से भी ली जा सकती हैं। टीवी भी कोई एक बुलेटिन तय करके देख लीजिए और फिर चैनलों को करने दीजिए जो करते हैं। असर में हमें मीडिया जागरण की भी ज़रूरत है। बाज़ार तो ऐसे उत्पाद पैदा करेगा और हमें आकर्षित करने की तिकड़में भी लड़ाएगा। लेकिन मीडिया का उपयोग करने वालों को तो अपनी बुद्धि का इस्तेमाल करना चाहिए। अभी तक नहीं की तो अब शुरू कर दीजिए।

वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार के फेसबुक वॉल से.

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