Nadim S. Akhter : इस देश में सिविल सर्विसेज एग्जाम में सफल होने पर जश्न ऐसे मनाया जाता है मानो जागीरदारी का लाइसेंस मिल गया हो। अरे Public Servant यानी जनता का नौकर यानी नौकर बनने पर भी कोई जश्न मनाता है क्या? नौकर को इस समाज ने क्या हैसियत दे रखी है ये सब को पता है, फिर भी गर जश्न मना रहे हैं तो कोई तो वजह होगी!!! कहीं ऐसा तो नहीं कि ये जश्न लूट-खसोट के सरकारी तंत्र का हिस्सा बनने का इशारा है!!! इनमें से ज्यादातर जब शादी करेंगे तो दहेज के लिए ऐसा मुंह फाड़ेंगे कि लड़की के बाप को दिन में ही तारे नहीं, एंड्रोमिडा गैलेक्सी दिखाई देने लगेगी। फिर भी वो उस पब्लिक के नौकर को अपना दामाद बनाने के लिए हर जतन करेगा। उसे पता है कि एक बार बेटी इस नौकर के पल्ले बांध दी तो जिंदगी भर राज करेगी।
जश्न में शरीक ये समाज भूल जाता है कि ये लोग ब्यूरोक्रेटस की उस जमात में शामिल होने जा रहे हैं जो अंग्रेजों के इस देश पर राज करने के मॉडल पर गढ़ा गया है। अभी देश के socio- economic survey में जो चौंका देने वाले नतीजे आए हैं उसमें इन ब्यूरोक्रेट्स का योगदान सबसे ज्यादा है। हां, इनमें से कुछ के दिलों में देश के लिए कुछ करने का जज्बा होगा जो कालांतर में सिस्टम को देखकर या तो ये जज्बा रफूचक्कर हो जाएगा या फिर ये शंट कर दिए जाएंगे। सरकारी गाड़ी बंगला सब मिलेगा लेकिन करने को हाथ में कोई काम ना होगा। ये देश एनडीए और सीडीएस जैसी डिफेंस की परीक्षा में सफल नौजवानों के लिए जश्न क्यों नहीं मनाता? जरा सोचिएगा।
पत्रकार नदीम एस. अख्तर के फेसबुक वॉल से.