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संचार माध्यम के लिए जरूरी किताब ‘कम्युनिटी रेडियो’

संचार माध्यमों का निरंतर विकास हो रहा है और इस विकास के क्रम में सामुदायिक रेडियो का जन्म हुआ. सामुदायिक रेडियो जिसे अंग्रेजी में कम्युनिटी रेडियो पुकारा गया, एक बड़े ही ताकत के रूप में अपनी दुनिया का विस्तार कर रहा है. कम्युनिटी रेडियो दुनिया के संचार माध्यमों में नहीं है किन्तु भारत में अभी यह शैशव अवस्था में है. लगभग एक दशक पहले कम्युनिटी रेडियो को लेकर भारत सरकार ने नीति बनायी. इस नीति के तहत प्रथम चरण में तय किया गया कि कम्युनिटी रेडियो आरंभ करने हेतु लायसेंस शैक्षणिक संस्थाओं को दिया जाए किन्तु इसे और विस्तार देते हुए स्वयंसेवी संस्थाओं के माध्यम से कम्युनिटी रेडियो संचालन हेतु लायसेंस देने पर सहमति बनी.

<p>संचार माध्यमों का निरंतर विकास हो रहा है और इस विकास के क्रम में सामुदायिक रेडियो का जन्म हुआ. सामुदायिक रेडियो जिसे अंग्रेजी में कम्युनिटी रेडियो पुकारा गया, एक बड़े ही ताकत के रूप में अपनी दुनिया का विस्तार कर रहा है. कम्युनिटी रेडियो दुनिया के संचार माध्यमों में नहीं है किन्तु भारत में अभी यह शैशव अवस्था में है. लगभग एक दशक पहले कम्युनिटी रेडियो को लेकर भारत सरकार ने नीति बनायी. इस नीति के तहत प्रथम चरण में तय किया गया कि कम्युनिटी रेडियो आरंभ करने हेतु लायसेंस शैक्षणिक संस्थाओं को दिया जाए किन्तु इसे और विस्तार देते हुए स्वयंसेवी संस्थाओं के माध्यम से कम्युनिटी रेडियो संचालन हेतु लायसेंस देने पर सहमति बनी.</p>

संचार माध्यमों का निरंतर विकास हो रहा है और इस विकास के क्रम में सामुदायिक रेडियो का जन्म हुआ. सामुदायिक रेडियो जिसे अंग्रेजी में कम्युनिटी रेडियो पुकारा गया, एक बड़े ही ताकत के रूप में अपनी दुनिया का विस्तार कर रहा है. कम्युनिटी रेडियो दुनिया के संचार माध्यमों में नहीं है किन्तु भारत में अभी यह शैशव अवस्था में है. लगभग एक दशक पहले कम्युनिटी रेडियो को लेकर भारत सरकार ने नीति बनायी. इस नीति के तहत प्रथम चरण में तय किया गया कि कम्युनिटी रेडियो आरंभ करने हेतु लायसेंस शैक्षणिक संस्थाओं को दिया जाए किन्तु इसे और विस्तार देते हुए स्वयंसेवी संस्थाओं के माध्यम से कम्युनिटी रेडियो संचालन हेतु लायसेंस देने पर सहमति बनी.

भारत में कम्युनिटी रेडियो का कांसेप्ट नया भले ही ना हो किन्तु अभी यह प्रचलन में नहीं है. इस लिहाज से इस विषय पर साहित्य भी नाकाफी है. किताबें और वह भी हिन्दी में तो ना के बराबर है या है ही नहीं. इस रिक्तता को पूरा करने के लिए मध्यप्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार श्री मनोज कुमार ने ‘कम्युनिटी रेडियो’ शीर्षक से पुस्तक की रचना की है. अपनी तरह की पहली किताब में कम्युनिटी रेडियो के बारे में विस्तार से चर्चा की गई है. किताब में कम्युनिटी रेडियो क्या है, इसका संचालन कैसे होता है, भारत सरकार के सूचना प्रसारण मंत्रालय से लायसेंस कैसे प्राप्त किया जाता है और कौन सी स्वयंसेवी संस्था इसके लिए योग्य मानी जाएगी जैसे मुद्दों को शामिल किया गया है. इस किताब में पूरी दुनिया में कम्युनिटी रेडियो की स्थिति के बारे में बताते हुए भारत में कम्युनिटी रेडियो की स्थिति के बारे में विस्तार से चर्चा की गई है.

एक बढ़ते संचार माध्यम कम्युनिटी रेडियो के बारे में यह किताब अनेक दृष्टि से जानकारी देती है जैसे कि कम्युनिटी रेडियो की परिभाषा क्या है, यह किस प्रकार काम करता है और इसके लिए प्रोग्राम किस तरह बनाया जाए. ऑल इंडिया रेडियो की तरह इसके लिए भी आचारसंहिता है कि कार्यक्रम निर्माण के दौरान किन बातों का ध्यान रखा जाना है. कम्युनिटी रेडियो कार्यक्रमों के बारे में विस्तार से चर्चा की गई है तथा भाषा के बारे में भी बहुत कुछ बताया गया है.

यह किताब कम्युनिटी रेडियो आरंभ करने के इच्छुक स्वयंसेवी संस्थाओं के लिए उपयोगी तो है ही, प्रसारण की शिक्षा प्राप्त कर रहे विद्यार्थियों के लिए भी यह बेहद महत्वपूर्ण है. इस किताब के लेखक मध्यप्रदेश सरकार द्वारा संचालित आठ आदिवासी जिलों में संचालित कम्युनिटी रेडियो के राज्य समन्वयक के रूप में अपनी सेवाएं दे चुके हैं अत: इसमें उनका जमीनी अनुभव भी लेखन में झलकता है.
इस किताब में भारत सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की अनुदान योजनाओं का लाभ लेने एवं कम्युनिटी रेडियो आरंभ करने के लिए जरूरी हिदायत भी शामिल है. किताब का एक चेप्टर बड़ा ही प्रभावी है वह यह कि कम्युनिटी रेडियो से सेटेलाइट रेडियो के बारे में बताया गया है जो रेडियो प्रसारण के बारे में अलग से जानकारी देता है. परिशिष्ट के रूप में भारत सरकार के सूचना प्रसारण मंत्रालय की कम्युनिटी रेडियो नीति 2006 तथा देशभर में संचालित कम्युनिटी रेडियो की सूची दी गई है.

किताब की प्रस्तावना में नया ज्ञानोदय के सम्पादक श्री लीलाधर मंडलोई लिखते हैं कि-‘सामुदायिक रेडियो एक ऐसा संचार माध्यम है जिसे जनसामान्य को केन्द्र में रखकर नयी अवधारणा के स्तर पर मूर्त किया गया है. इस माध्यम पर अभी बहुत कुछ प्रकाश में नहीं आया है. इस दृष्टि से यह किताब इस माध्यम को सम्यक रूप से प्रकाश में लाती है’. वे आगे लिखते हैं कि ‘यह किताब रेडियो के उज्जवल इतिहास की परम्परा में सामुदायिक रेडियो को नए ढंग से न केवल परिभाषित करती है बल्कि हाशिये की जनता से संवाद का नया पुल निर्मित करती है.’

एक सौ तीस पेज की इस किताब का प्रकाशन आलेख प्रकाशन नईदिल्ली ने किया है. तीन सौ पचास रुपये कीमत की यह किताब मीडिया संस्थानों के लिए बेहद जरूरी किताब के रूप में सामने आयी है. सुंदर छपाई और आकर्षक कव्हर पेज के साथ ‘कम्युनिटी रेडियो’ संचार माध्यम के लिए एक जरूरी किताब के रूप में अपनी उपस्थिति दर्ज कराती है.

किताब का नाम : कम्युनिटी रेडियो
लेखक : मनोज कुमार
मूल्य 350/-
पृष्ठ संख्या    130/-
प्रकाशक आलेख प्रकाशन, शाहदरा, दिल्ली

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