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केजरी-नजीब जंग रोकने को अनुच्छेद 355 का होगा इस्तेमाल!

नयी दिल्ली : दिल्ली में उपराज्यपाल नजीब जंग और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के बीच छिडी वर्चस्व की जंग थमने का नाम नहीं ले रही है. दोनों के बीच के विवाद के मद्देनजर केंद्र सरकार राज्य को संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार, प्रशासन चलाने का सख्त संदेश देना चाहता है. हालांकि केंद्र में काबिज भाजपा की सरकार इस बात को लेकर सावधान है कि उसका कोई कदम ऐसा नहीं हो कि यह प्रशासनिक मामला राजनीतिक जंग में तब्दील हो जाये और अरविंद केजरीवाल को अपनी आम आदमी पार्टी का और अधिक विस्तार करने का मौका मिल जाये.

<p>नयी दिल्ली : दिल्ली में उपराज्यपाल नजीब जंग और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के बीच छिडी वर्चस्व की जंग थमने का नाम नहीं ले रही है. दोनों के बीच के विवाद के मद्देनजर केंद्र सरकार राज्य को संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार, प्रशासन चलाने का सख्त संदेश देना चाहता है. हालांकि केंद्र में काबिज भाजपा की सरकार इस बात को लेकर सावधान है कि उसका कोई कदम ऐसा नहीं हो कि यह प्रशासनिक मामला राजनीतिक जंग में तब्दील हो जाये और अरविंद केजरीवाल को अपनी आम आदमी पार्टी का और अधिक विस्तार करने का मौका मिल जाये.</p>

नयी दिल्ली : दिल्ली में उपराज्यपाल नजीब जंग और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के बीच छिडी वर्चस्व की जंग थमने का नाम नहीं ले रही है. दोनों के बीच के विवाद के मद्देनजर केंद्र सरकार राज्य को संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार, प्रशासन चलाने का सख्त संदेश देना चाहता है. हालांकि केंद्र में काबिज भाजपा की सरकार इस बात को लेकर सावधान है कि उसका कोई कदम ऐसा नहीं हो कि यह प्रशासनिक मामला राजनीतिक जंग में तब्दील हो जाये और अरविंद केजरीवाल को अपनी आम आदमी पार्टी का और अधिक विस्तार करने का मौका मिल जाये.

लेकिन जिस तरीके से दिल्ली के गलियारे में मामला गर्म होता जा रहा है, ऐसे में अब ऐसा अंदेशा होने लगा है कि कहीं इस राजनीतिक विवाद को रोकने के लिए केंद सरकार संविधान के अनुच्छेद 355 का उपयोग न करे. केंद्र सरकार को अधिकार है कि वह संविधान के अनुच्छेद 355 का हवाला देकर दिल्ली सरकार को संविधान के प्रावधानों का पालन करने के लिए कह सकती है.
 
दिल्ली में कार्यवाहल राज्यपाल शकुंतला गैमलीन के मुद्दे पर कल गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी से मुलाकात की थी. इस मुलाकात के बाद उन्होंने कहा था कि उपराज्यपाल नजीब जंग व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल आपसी बातचीत के आधार पर इस विवाद को सुलझायेंगे. राजनाथ के बयान से साफ है कि इस विवाद के राजनीतिक भंवर में वह  नहीं फंसना चाहता है. दिल्ली के पुनर्गठन के लिए जो संवैधानिक व्यवस्था की गयी थी, उसमें स्पष्ट लिखा है कि उप राज्यपाल व मुख्यमंत्री के बीच संघर्षपूर्ण स्थिति होने पर दोनों अपना पक्ष राष्ट्रपति के पास रखेंगे और इस विवाद में राष्ट्रपति का फैसला अंतिम और मान्य होगा. सूत्रों का कहना है कि विवाद के सहजता से नहीं सुलझने पर इस मामले में राष्ट्रपति भवन सुप्रीम कोर्ट की राय मांग सकता है.
 
केंद्र सरकार संविधान के अनुच्छेद 355 का हवाला देकर दिल्ली सरकार को संविधान के प्रावधानों का पालन करने के लिए कह सकती है. अनुच्छेद 355 केंद्र को अधिकार देता है कि वह राज्य की आंतरिक गडगडी को रोकने के लिए स्वत: हस्तक्षेप कर सकता है और उसकी पहल या निर्णय मान्य होगा. प्रदेश भाजपा के नेता दिल्ली में सरकार व उप राज्यपाल के बीच जारी खटपट को लेकर आज राष्ट्रपति से मिल कर हस्तक्षेप की मांग करने वाले हैं. राष्ट्रपति से वे यह कह सकते हैं कि इस तनावपूर्ण स्थिति से राज्य का कामकाज प्रभावित हो रहा है और जनहित को क्षति पहुंच रही है. उप राज्यपाल नजीब जंग से अरविंद केजरीवाल की जंग के मुद्दे पर आइएएस लॉबी का झुकाव उपराज्यपाल की ओर है. इसके कारण भी हैं. बीती रात दिल्ली में आइएएस एसोसिएशन की बैठक भी हुई थी.

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