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राष्ट्रवादी ढोंगियों का प्रगतिशील होने का पाखंड!

”भाई मैं जंतर मंतर में भरोसा नहीं करता, मैं लोकतंत्र पर भरोसा करता हूँ और यही मेरा जन्तर मंतर और ताबीज़ है” यह शब्द भारत के चक्रवर्ती सम्राट नरेंद्र मोदी के है जो उन्होंने बिहार चुनाव प्रचार के दौरान मधुबनी में आयोजित एक रैली में लोगों से कहे. इससे पूर्व भी वे बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार की इस बात के लिए आलोचना कर चुके है कि उन्होंने किसी तांत्रिक से मुलाकात की है. प्रधानमन्त्री मोदी ने लालू प्रसाद और नितीश कुमार के महागठबंधन को महास्वार्थबंधन कहते हुए उसे भी जंगलराज व जन्तर मंतर राज से नवाजा. मोदी ने यह भी कहा कि लोग मुसीबत पड़ने पर बाबाओं के पास जाते हैं. उनका पूरा ईशारा नितीश कुमार व उनके सहयोगियों पर था कि वे कितने दकियानूसी विचार वाले हैं जो अब भी बाबा लोगों और तांत्रिकों के पास जाते हैं तथा यंत्र-तंत्र में यकीन करते हैं जबकि दूसरी तरफ मोदी एक आधुनिक विकास पुरुष हैं जो इन अंधविश्वासों पर भरोसा नहीं रखते हैं. वे वैज्ञानिक, तार्किक और प्रगतिशीलता का प्रतिनिधित्व करने वाले नेता हैं.

<p>''भाई मैं जंतर मंतर में भरोसा नहीं करता, मैं लोकतंत्र पर भरोसा करता हूँ और यही मेरा जन्तर मंतर और ताबीज़ है'' यह शब्द भारत के चक्रवर्ती सम्राट नरेंद्र मोदी के है जो उन्होंने बिहार चुनाव प्रचार के दौरान मधुबनी में आयोजित एक रैली में लोगों से कहे. इससे पूर्व भी वे बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार की इस बात के लिए आलोचना कर चुके है कि उन्होंने किसी तांत्रिक से मुलाकात की है. प्रधानमन्त्री मोदी ने लालू प्रसाद और नितीश कुमार के महागठबंधन को महास्वार्थबंधन कहते हुए उसे भी जंगलराज व जन्तर मंतर राज से नवाजा. मोदी ने यह भी कहा कि लोग मुसीबत पड़ने पर बाबाओं के पास जाते हैं. उनका पूरा ईशारा नितीश कुमार व उनके सहयोगियों पर था कि वे कितने दकियानूसी विचार वाले हैं जो अब भी बाबा लोगों और तांत्रिकों के पास जाते हैं तथा यंत्र-तंत्र में यकीन करते हैं जबकि दूसरी तरफ मोदी एक आधुनिक विकास पुरुष हैं जो इन अंधविश्वासों पर भरोसा नहीं रखते हैं. वे वैज्ञानिक, तार्किक और प्रगतिशीलता का प्रतिनिधित्व करने वाले नेता हैं.</p>

”भाई मैं जंतर मंतर में भरोसा नहीं करता, मैं लोकतंत्र पर भरोसा करता हूँ और यही मेरा जन्तर मंतर और ताबीज़ है” यह शब्द भारत के चक्रवर्ती सम्राट नरेंद्र मोदी के है जो उन्होंने बिहार चुनाव प्रचार के दौरान मधुबनी में आयोजित एक रैली में लोगों से कहे. इससे पूर्व भी वे बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार की इस बात के लिए आलोचना कर चुके है कि उन्होंने किसी तांत्रिक से मुलाकात की है. प्रधानमन्त्री मोदी ने लालू प्रसाद और नितीश कुमार के महागठबंधन को महास्वार्थबंधन कहते हुए उसे भी जंगलराज व जन्तर मंतर राज से नवाजा. मोदी ने यह भी कहा कि लोग मुसीबत पड़ने पर बाबाओं के पास जाते हैं. उनका पूरा ईशारा नितीश कुमार व उनके सहयोगियों पर था कि वे कितने दकियानूसी विचार वाले हैं जो अब भी बाबा लोगों और तांत्रिकों के पास जाते हैं तथा यंत्र-तंत्र में यकीन करते हैं जबकि दूसरी तरफ मोदी एक आधुनिक विकास पुरुष हैं जो इन अंधविश्वासों पर भरोसा नहीं रखते हैं. वे वैज्ञानिक, तार्किक और प्रगतिशीलता का प्रतिनिधित्व करने वाले नेता हैं.

सवाल यह है कि क्या वाकई मोदीजी इन सब बातों को नहीं मानते हैं? क्या उन्हें ज्योतिष, तंत्र-मन्त्र और गंडे ताबीज़ एवं अंगूठियों से परहेज़ है? क्या वे बाबा लोगों से दूर रहते हैं? हालाँकि मोदीजी के भाषण के तुरंत बाद ही एक ज्योतिषी बेजान दारूवाला ने उनकी कलई यह दावा करके खोल दी कि मोदी ज्योतिष में यकीन करते है और उन्होंने मोदी की हस्तरेखा देख कर भविष्यवाणी भी की थी. बेजान दारूवाला ने अपने कथन के समर्थन में एक फोटो भी शेयर किया है जिसमे वे मोदी का हाथ पढ़ रहे हैं. हालाँकि यह बहस और विवाद का विषय हो सकता है कि बेजान की भविष्यवाणियां कितनी सही साबित हुयी मगर इतना तो तय है कि मोदी ज्योतिष में यकीन भी करते हैं और हस्तरेखाविदों के समक्ष हाथ भी फैलाते रहते हैं.

ना केवल बेजान दारूवाला बल्कि देश भर के कई अन्य तांत्रिकों, ज्योतिषियों और सामुद्रिक शास्त्र के आधार पर भविष्यवाणी करने वाले लोगों की मोदी जी निरंतर सेवा लेते रहे है. लोकसभा चुनाव के दौरान मुझे राजस्थान के भीलवाड़ा शहर में रहने वाले तंत्र ज्योतिषी प्रह्लाद राय सोमाणी ने बताया था कि उन्हें गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ज्योतिषीय विचार विमर्श एवं तंत्र विद्या के ज़रिये भविष्य जानने के लिए अहमदाबाद बुलाते रहते है तथा अपने राज काज के व्यस्ततम समय में से वक़्त निकाल कर दो दो घंटे तक चर्चा करते है. मैंने जिज्ञाषावश उन तंत्र ज्योतिषी सोमाणी से पूंछा कि आपकी जानकारी क्या कहती है मोदी के बारे में? उनका कहना था कि यह आदमी एक बार पार्टी अध्यक्ष बनेगा और बाद में सर्वोच्च पद तक पहुंच जायेगा. हालाँकि ठीक वैसा तो बिलकुल भी नहीं हुआ क्योंकि बिना राष्ट्रीय अध्यक्ष बने ही मोदी प्रधानमंत्री बन गए, मगर फिर भी तंत्र ज्योतिषी प्रह्लाद राय सोमाणी का मोदी बहुत एहतराम करते रहे हैं और उनकी सलाहियत पर चलते भी रहे हैं. आश्चर्य की बात है कि वही मोदी अचानक अब ज्योतिष और तंत्र विद्या के विरोधी हो गए हैं!

इतना ही नहीं, मोदी अपने सार्वजानिक जीवन में सदैव ही बाबाओं की कृपादृष्टि के भी मोहताज़ रहे हैं. सारा देश जानता है कि वे आशाराम जैसे ढोंगी बाबा के बेहद नजदीकी रहे हैं. योग व्यवसायी बाबा रामदेव से उनकी करीबियत किससे छुपी हुयी है? हाल ही में उनके गुरु स्वामी दयानंद महाराज का निधन होने का समाचार देश के मीडिया की ब्रेकिंग न्यूज़ रही है. इसके अलावा भी बाबाओं की उर्वरक धरती गुजरात के मुख्यमंत्री रहते वे अक्सर भांति भांति के बाबाओं के चरणों में नत मस्तक नज़र आते रहे हैं. अब भी उनकी पार्टी और मंत्रिमंडल में बाबा, स्वामी और साध्वियां भरे पड़े हैं. फिर भी वे पूरी ढिठाई से अपने विरोधियों पर निशाना साधते हैं उन्हीं कर्मो व कुकर्मों के लिए, जिनमें वे स्वयं आकंठ लीन हैं.

उनकी एक वरिष्ठ मंत्रिमंडलीय सहयोगी स्मृति जुबिन ईरानी अपने पति के साथ मंत्री बनाए जाने के बाद भीलवाड़ा के ही कारोई गाँव के भृगु संहिता के आधार पर भविष्य बांचने वाले बुजुर्ग पंडित नाथूराम के पास हाथ दिखाने और टोने टोटके करवाने आई थी ,जिस पर देश व्यापी हंगामा मच चुका है .मोदी जी की पार्टी की अधिकृत मान्यता रही  है कि ज्योतिष एक विज्ञान है, जिसे विश्वविद्यालयों में पढाया जाना चाहिए .इस सबके बावजूद भी प्रधानमंत्री मोदी का प्रगतिशील होने का पाखंड समझ से परे है .पर अब यह स्थापित तथ्य है कि जो बातें उनके आचरण के ठीक विपरीत होती है, उन झूठों को भी वे पूरी सह्ज़ता से बोल लेते है. इसी पाखंडी चरित्र के चलते देश में अविश्वास का मौहाल बनता जा रहा है. आज हर कोई जानता है कि जो मोदी कहते हैं, करते उसके ठीक विपरीत हैं. वे जिन बातों और वादों के सहारे सत्तारूढ़ हुए हैं, उन्हें विस्मृत किया जा चुका है. विकास का भुलावा दे कर सत्ता में आये मोदी व्यवहार में विनाश के रास्ते पर आगे बढ़ते दिखाई पड़ रहे है. विचार और व्यवहार (कथनी और करनी) का यही अंतर मोदी को देश में अब तक का सबसे बौना प्रधानमंत्री साबित करता है, जो चुनाव जीत कर भी अब तक देश का भरोसा नहीं जीत पाए हैं.

लेखक भंवर मेघवंशी स्वतंत्र पत्रकार है.

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