: इतना और ऐसा विरोध क्यों है भाई? : आज दो फिल्में रिलिज़ हुई हैं- ‘बाजीराव मस्तानी’ और ‘दिलवाले’…. देश के कई शहरों से दोनों की फिल्मों का विरोध किया जा रहा है….फिल्म ‘बाजीराव मस्तानी’ एक ऐतिहासिक फिल्म हैं। इस फिल्म का विरोध इस आरोप के साथ किया जा रहा है कि फिल्म की नायिका ‘मस्तानी’ के गलत इतिहास को पेश किया गया है। अगर फिल्म में गलत इतिहास पेश किया है तो उसका मर्यादित विरोध कर बाकी काम सेंसर बोर्ड पर छोड़ दिया जाना चाहिए….
वहीं, दूसरी फिल्म ‘दिलवाले’ का विरोध अभिनेता शाहरुख ख़ान के अहिष्णुता वाले बयान की वजह से किया जा रहा है…. मेरा मानना है कि किसी को देश में असहिष्णुता की फिलिंग होती है तो ये उसका निजी विचार है… इसके विपरीत किसी को देश में सहिष्णुता की फिलिंग होती है तो ये उसका निजी विचार है…. किसी को देश में कोई फिलिंग नहीं हो रही तो ये उसका विचार है….. सभी विचारों का सम्मान किया जाना चाहिए….
शाहरुख, आमिर या किसी साहित्यकार के द्वारा देश में असहिष्णुता फील करना, उसका निजी विचार है….. इसे लेकर कट्टरतापूर्ण भाव के साथ विरोध किया जाने तो मैं ठीक नहीं मानता…. विरोध किया भी जाए तो वो शब्दों के माध्यम से तार्किक और मर्यादित होना चाहिए….किसी एक के निजी बयान की वजह से पूरी फिल्म को प्रभावित करना उचित नहीं ठहराया जा सकता…. इसी तरह किसी भी विषय को लेकर किसी के भी कट्टरतापूर्ण भावों को तो बिल्कुल भी उचित नहीं कहा जा सकता.. ऐसा मेरा मानना है… आप भी अपने विचार मुझसे शेयर कर सकते हैं… सभी के मर्यादित और तार्किक विचारों का स्वागत है….
लेखक संदीप कुमार श्रीवास्तव से संपर्क [email protected] या 09636263248, 09891565812, 0752606535 के जरिए किया जा सकता है.