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लखनऊ की दल्ला मीडिया सहित आईपीएस एसोशिएशन भी इस मुद्दे पर क्यों दुबकी हुई है कायरों की तरह : दयानंद पांडेय

Dayanand Pandey : हमारे आज के हीरो अमिताभ ठाकुर। मुलायम सिंह यादव की धमकी भरी गुंडई का पूरी ताकत से विरोध करने वाले इस अकेले जांबाज़ पुलिस अफसर को बहुत बड़ा वाला वाला सैल्यूट! बस अफ़सोस यही है कि लखनऊ की दल्ला मीडिया सहित आईपीएस एसोशिएशन भी इस मुद्दे पर क्यों दुबकी हुई है कायरों की तरह? आईपीएस एसोसिएशन आख़िर किस की मिजाजपुर्सी खातिर है? क्या सिर्फ़ सत्ता के तलवे चाटने के लिए? बताईए भला भड़ास4मीडिया न होता, फ़ेसबुक न होता, तो अमिताभ ठाकुर की यह आवाज़ भला कौन उठाता? जब कि यह आडियो टेप सोशल साइट्स पर कल ही वाइरल हो गया था। लेकिन लखनऊ के अखबारों या चैनलों ने इस खबर पर सांस नहीं ली। तो क्यों नहीं ली? आज कुछ खांसी-जुकाम की तरह इस ख़बरऔर यह आईपीएस एसोशिएशन किस अनहोनी के इंतज़ार में ख़ामोश बैठी है? लानत है इस मीडिया और इस आईपीएस एसोशिएशन पर।

<p>Dayanand Pandey : हमारे आज के हीरो अमिताभ ठाकुर। मुलायम सिंह यादव की धमकी भरी गुंडई का पूरी ताकत से विरोध करने वाले इस अकेले जांबाज़ पुलिस अफसर को बहुत बड़ा वाला वाला सैल्यूट! बस अफ़सोस यही है कि लखनऊ की दल्ला मीडिया सहित आईपीएस एसोशिएशन भी इस मुद्दे पर क्यों दुबकी हुई है कायरों की तरह? आईपीएस एसोसिएशन आख़िर किस की मिजाजपुर्सी खातिर है? क्या सिर्फ़ सत्ता के तलवे चाटने के लिए? बताईए भला भड़ास4मीडिया न होता, फ़ेसबुक न होता, तो अमिताभ ठाकुर की यह आवाज़ भला कौन उठाता? जब कि यह आडियो टेप सोशल साइट्स पर कल ही वाइरल हो गया था। लेकिन लखनऊ के अखबारों या चैनलों ने इस खबर पर सांस नहीं ली। तो क्यों नहीं ली? आज कुछ खांसी-जुकाम की तरह इस ख़बरऔर यह आईपीएस एसोशिएशन किस अनहोनी के इंतज़ार में ख़ामोश बैठी है? लानत है इस मीडिया और इस आईपीएस एसोशिएशन पर।</p>

Dayanand Pandey : हमारे आज के हीरो अमिताभ ठाकुर। मुलायम सिंह यादव की धमकी भरी गुंडई का पूरी ताकत से विरोध करने वाले इस अकेले जांबाज़ पुलिस अफसर को बहुत बड़ा वाला वाला सैल्यूट! बस अफ़सोस यही है कि लखनऊ की दल्ला मीडिया सहित आईपीएस एसोशिएशन भी इस मुद्दे पर क्यों दुबकी हुई है कायरों की तरह? आईपीएस एसोसिएशन आख़िर किस की मिजाजपुर्सी खातिर है? क्या सिर्फ़ सत्ता के तलवे चाटने के लिए? बताईए भला भड़ास4मीडिया न होता, फ़ेसबुक न होता, तो अमिताभ ठाकुर की यह आवाज़ भला कौन उठाता? जब कि यह आडियो टेप सोशल साइट्स पर कल ही वाइरल हो गया था। लेकिन लखनऊ के अखबारों या चैनलों ने इस खबर पर सांस नहीं ली। तो क्यों नहीं ली? आज कुछ खांसी-जुकाम की तरह इस ख़बरऔर यह आईपीएस एसोशिएशन किस अनहोनी के इंतज़ार में ख़ामोश बैठी है? लानत है इस मीडिया और इस आईपीएस एसोशिएशन पर।

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तो क्या जातिवादी समाजवादी मुलायम सिंह यादव ने आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर को फोन पर धमका कर सेक्यूलरिज्म की रक्षा की है? क्यों कि किसी भी सेक्यूलरिस्ट ने इस बाबत मुलायम की निंदा नहीं की है। सारे जातिवादी भी खामोश हैं। अलबत्ता कुछ लोग ज़रा ठहर कर सही , पर पूरी कायरता से अमिताभ को भाजपाई बताने की दोगलई में लग गए हैं। कुछ तो पूरी मूर्खता के साथ यह भी कह रहे हैं कि यह टेप ही फर्जी है। मुलायम या समाजवादी पार्टी तो इस प्रसंग पर इस कदर ख़ामोश हैं कि जैसे उन का खून सूख गया हो! एक तो अमिताभ ठाकुर भाजपाई नहीं हैं हाल-फ़िलहाल। और फिर अगर कोई भाजपाई है भी तो क्या मुलायम जैसे व्यक्ति को इस तरह किसी अधिकारी को धमकी देना भी क्या अपराध नहीं है?

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यह अमिताभ ठाकुर और सूर्य प्रताप सिंह हैं। दोनों ही वर्तमान उत्तर प्रदेश सरकार के आंख की किरकिरी हैं। दोनों ही सरकार की नाजायज हरकतों और कार्यों को खुली चुनौती देते हुए। अमिताभ ठाकुर आई पी एस हैं तो सूर्य प्रताप सिंह आई ए एस। अमिताभ ठाकुर तो सीधे मुलायम सिंह यादव की धमकी के निशाने पर आ गए हैं । सूर्य प्रताप सिंह को भी सीधी धमकी तो नहीं लेकिन बार-बार प्रकारांतर से उन्हें भी अखिलेश सरकार धमकाती रहती है। और सूर्य प्रताप सिंह इस धमकी को सर जी , सर जी कह कर इन धमकियों को चिढ़ाते रहते हैं। और अखिलेश सरकार में इतना साहस नहीं हो पाता कि सूर्य प्रताप सिंह के ख़िलाफ़ कोई वैधानिक कार्रवाई करने की हिमाकत कर सके। तय मानिए कि सब कुछ के बावजूद अखिलेश सरकार और उन के पिता मुलायम सिंह यादव अमिताभ ठाकुर का कुछ नहीं बिगाड़ सकेंगे न कोई वैधानिक कार्रवाई कर सकेंगे। इस सरकार में अब नैतिक साहस शून्य के स्तर पर जा गिरा है। जो भी हो व्यवस्था में रह कर भी व्यवस्था को चुनौती देना आसान नहीं होता। सो आज की तारीख़ में इन दोनों रणबांकुरों के खूब बड़ा वाला सैल्यूट!

लखनऊ के वरिष्ठ पत्रकार और साहित्यकार दयानंद पांडेय के फेसबुक वॉल से.

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