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मुमताज कादरी को आज फांसी देने से पाकिस्तान में मजहबी मानसिकता पर इंसानी कानूनों की जीत हुई

Sanjay Tiwari : मजहबी मानसिकता पर इंसानी कानूनों की जीत… आज 29 फरवरी का दिन पाकिस्तान के लिए ऐतिहासिक हो गया है। ऐतिहासिक इस लिहाज से कि मजहबी मानसिकता पर इंसानी कानून की जीत हुई है और इस्लामिक कानून के पैरोकार परकटे पक्षी की तरह फड़फड़ा रहे हैं। अव्वल तो भोर में मुमताज कादरी को फांसी दे दी गयी। यह मुमताज कादरी वही शख्स है जिसने पंजाब के होम मिनिस्टर सलमान तासीर के सीने में अपनी एके-४७ से सत्ताइस गोलियां उतार दी थी। वैसे तो वह उनका सरकारी बॉडीगार्ड था लेकिन उसने पाया कि होम मिनिस्टर साहब मजहब निंदा कानून को गलत बता रहे हैं। बस फिर क्या था। एक मुस्लिम होने के नाते उसका “फर्ज” बनता था कि वह अल्लाह निंदक को मौत की सजा दे दे, सो उसने दे दिया।

<p>Sanjay Tiwari : मजहबी मानसिकता पर इंसानी कानूनों की जीत... आज 29 फरवरी का दिन पाकिस्तान के लिए ऐतिहासिक हो गया है। ऐतिहासिक इस लिहाज से कि मजहबी मानसिकता पर इंसानी कानून की जीत हुई है और इस्लामिक कानून के पैरोकार परकटे पक्षी की तरह फड़फड़ा रहे हैं। अव्वल तो भोर में मुमताज कादरी को फांसी दे दी गयी। यह मुमताज कादरी वही शख्स है जिसने पंजाब के होम मिनिस्टर सलमान तासीर के सीने में अपनी एके-४७ से सत्ताइस गोलियां उतार दी थी। वैसे तो वह उनका सरकारी बॉडीगार्ड था लेकिन उसने पाया कि होम मिनिस्टर साहब मजहब निंदा कानून को गलत बता रहे हैं। बस फिर क्या था। एक मुस्लिम होने के नाते उसका "फर्ज" बनता था कि वह अल्लाह निंदक को मौत की सजा दे दे, सो उसने दे दिया।</p>

Sanjay Tiwari : मजहबी मानसिकता पर इंसानी कानूनों की जीत… आज 29 फरवरी का दिन पाकिस्तान के लिए ऐतिहासिक हो गया है। ऐतिहासिक इस लिहाज से कि मजहबी मानसिकता पर इंसानी कानून की जीत हुई है और इस्लामिक कानून के पैरोकार परकटे पक्षी की तरह फड़फड़ा रहे हैं। अव्वल तो भोर में मुमताज कादरी को फांसी दे दी गयी। यह मुमताज कादरी वही शख्स है जिसने पंजाब के होम मिनिस्टर सलमान तासीर के सीने में अपनी एके-४७ से सत्ताइस गोलियां उतार दी थी। वैसे तो वह उनका सरकारी बॉडीगार्ड था लेकिन उसने पाया कि होम मिनिस्टर साहब मजहब निंदा कानून को गलत बता रहे हैं। बस फिर क्या था। एक मुस्लिम होने के नाते उसका “फर्ज” बनता था कि वह अल्लाह निंदक को मौत की सजा दे दे, सो उसने दे दिया।

हालांकि २०११ में हुए इस हत्याकांड के बाद पाकिस्तान में नागरिक समाज और कट्टरपंथी जमातें आमने सामने खड़ी हो गयी थीं। पाकिस्तान की कट्टरपंथी और मजहबी जमातों ने जमकर उसका साथ दिया लेकिन नागरिक कानून के आगे उनकी एक न चली। जावेद अहमद घामड़ी जैसे मॉडरेट मौलवियों और धर्म प्रचारकों ने भी मुमताज कादरी की फांसी का समर्थन किया और हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट, प्रेसिडेन्ट कहीं से भी उसे कोई राहत नहीं मिली और उसे वहीं भेज दिया गया जहां उसने सलमान तासीर को भेजा था।

दूसरा आज पाकिस्तान के पंजाब में ही महिला सुरक्षा कानून को मंजूरी मिल गयी है। कानून लगभग वैसा ही है जैसा दो साल पहले भारत में बना था फर्क सिर्फ इतना है कि कानून का दुरुपयोग करनेवाली महिला को भी सख्त सजा का प्रावधान किया गया है। औरत के साथ छेड़छाड़, शारीरिक मानसिक और आर्थिक शोषण, पीछा करना, यौन आक्रमण आदि को कानूनन अपराध का दर्जा दे दिया गया है। मौलवियों को इस कानून का विरोध करना ही था और वे कर भी रहे हैं। जमात-ए-उलमा-ए-इस्लाम के मौलाना फजलुर्रहमान ने कहा है कि यह कानून शरीया लॉ के खिलाफ है। पंजाब के चीफ मिनिस्टर शाहबाज शरीफ अब तक पंजाब के सेवक थे अब अपने ही घर के नौकर बन गये हैं।

जो भी हो आज के दिन पाकिस्तान में घटित दो बड़ी घटनाएं अच्छा संकेत हैं जो बताती हैं कि मजहब के नाम पर बना पाकिस्तान मजहबी मानसिकता से बाहर निकलकर इंसानी कानूनों के जरिए अपना भविष्य बनाने की कोशिश कर रहा है जो मजहबी मानसिकता पर इंसानी कोशिशों की जीत है।

वेब जर्नलिस्ट संजय तिवारी के फेसबुक वॉल से.

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