अगर आप जनसत्ता और इंडियन एक्सप्रेस की प्रिंट लाइन को देखें तो उसमें आजकल दिल्ली कहीं नहीं लिखा नजर आ रहा है। बहादुर शाह जफर मार्ग दिल्ली से नोएडा चले जाने के बाद कानूनी तौर पर ये अखबार अब दिल्ली का अखबार नहीं रहा। वह उत्तर प्रदेश का अखबार हो गया। आरएनआई के अनुसार जो अखबार जिस प्रदेश से पंजीकृत है उसे वहीं से प्रकाशित होना चाहिए।
नोएडा से प्रकाशित होने वाला अखबार अपने मुख्य पृष्ठ पर दिल्ली नहीं लिख सकता, यह गैर कानूनी है। यह उसी तरह से है जैसे नई दुनिया जो कहता तो है राष्ट्रीय संस्करण लेकिन है वह गाजियाबाद का अखबार। इस मामले में जागरण वाले चालाक हैं। सब कुछ नोएडा में कराते हैं लेकिन पता आईएनएस का देते हैं ताकि दिल्ली का अखबार कहलाये। अब तो सरकार को आईटीओ की एक्सप्रेस बिल्डिंग को कामर्शियल घोषित कर देना चाहिए क्योंकि वह अब अखबार तो छापता ही नहीं। केवल किराए पर ऑफिस है। वह भी अखबार का नहीं, जिसके लिए सरकार ने ज़मीन दी थी।