घरेलू उद्योग को संरक्षित करने के लिए सरकार ने खाद्य तेलों पर लगने वाली आयात शुल्क को बढ़ा दिया है। वित्त मंत्रालय ने क्रूड खाद्य तेल और रिफाइंड खाद्य तेल पर 5 फीसदी ड्यूटी बढ़ा दी है। अब क्रूड खाद्य तेल इंपोर्ट करने के लिए 12.5 और रिफाइंड क्रूड खाद्य तेल के लिए 20 फीसदी इंपोर्ट ड्यूटी चुकाना होगा। इससे पहले क्रूड खाद्य तेल पर 7.5 फीसदी और रिफाइंड खाद्य तेल पर 15 फीसदी इंपोर्ट ड्यूटी का प्रावधान था। सरकार के इस फैसले से किसानों और कारोबारियों को राहत मिलेगी, लेकिन रिटेल मार्केट में खाद्य तेलों की कीमतें बढ़ने की आशंका है।
वैश्विक बाजार में कीमतें कम होने की वजह से देश में लगातार खाद्य तेलों का इंपोर्ट बढ़ रहा है। वहीं डॉलर के मुकाबले रुपए में आई कमजोरी से इंपोर्ट बिल में बढ़ोत्तरी हुई हैं। खाद्य तेल देश में तीसरा सबसे बड़ा इंपोर्ट होने वाली कमोडिटी है। उद्योग के आंकड़ों के अनुसार जुलाई के दौरान देश में रिकॉर्ड 15 लाख टन खाद्य तेलों का इंपोर्ट हुआ है, जो कि 35 प्रतिशत अधिक है। पिछले साल जुलाई के दौरान देश में 11 लाख टन खाद्य तेल इंपोर्ट हुआ था। वहीं नवंबर से जुलाई के दौरान खाद्य तेलों का इंपोर्ट 28 प्रतिशत बढक़र 102 लाख टन पहुंच गया है। सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ने क्रूड खाद्य तेल पर इंपोर्ट ड्यूटी 7.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 25 प्रतिशत और रिफाइंड खाद्य तेल पर 15 प्रतिशत से 45 प्रतिशत करने की मांग की थी। सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर के अनुसार किसानों और घरेलू प्रोसेसिंग इंडस्ट्री के हितों की रक्षा करने के लिए सस्ते तेल के आयात पर रोक लगाने की जरूरत है। अप्रैल से अब तक डॉलर के मुकाबले रुपए में 6 फीसदी तक की गिरावट दर्ज की जा चुकी है। वहीं ग्लोबल मार्केट में कीमतें कम होने से खाद्य तेलों का इंपोर्ट लगातार बढ़ रहा है।