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गऊमाता मेरे सपने में…!

आजकल गऊमाता का जमाना है। अचानक रातों रात गऊमाता महत्वपूर्ण हो चली हैं। हर कोई गऊमाता को अपनी प्राथमिकताओं में सबसे पहले व्यक्त करने को आमादा है। सड़क से लेकर संसद तक गऊमाता की ही चर्चा हो रही है। गाय छाप नेता, गाय छाप राजनीति करने में अपने आप को भली प्रकार व्यस्त रखे हुए हैं।

<p>आजकल गऊमाता का जमाना है। अचानक रातों रात गऊमाता महत्वपूर्ण हो चली हैं। हर कोई गऊमाता को अपनी प्राथमिकताओं में सबसे पहले व्यक्त करने को आमादा है। सड़क से लेकर संसद तक गऊमाता की ही चर्चा हो रही है। गाय छाप नेता, गाय छाप राजनीति करने में अपने आप को भली प्रकार व्यस्त रखे हुए हैं।</p>

आजकल गऊमाता का जमाना है। अचानक रातों रात गऊमाता महत्वपूर्ण हो चली हैं। हर कोई गऊमाता को अपनी प्राथमिकताओं में सबसे पहले व्यक्त करने को आमादा है। सड़क से लेकर संसद तक गऊमाता की ही चर्चा हो रही है। गाय छाप नेता, गाय छाप राजनीति करने में अपने आप को भली प्रकार व्यस्त रखे हुए हैं।

एक दिन मेरे सपने में गऊमाता आई। लगीं डांटने मुझे, कहने लगीं – तुम लोग मुझे मां का दर्जा देते हो। नालायकों जानते भी हो कि मां होती क्या है? मेरे दूध से लेकर सींग खुर तक का सौदा तुम लोगों ने पहले से ही कर रखा है इसलिए मुझे कामधेनु का नाम दे दिया। हालत यह है कि मेरा जीवन सिर्फ इस बात से उपयोगी या अनुपयोगी मानते हो कि मैं दूध देती हूँ या नहीं। दूधवाला ज्यादा दूध के लिए इंजेक्शन लगाता है। उसे एक आध लीटर दूध जरूर ज्यादा मिल जाता है, लेकिन मेरा तो जीवन ही नर्क हो जाता है। डेयरी में या मुझे पालने वाले मेरी सेवा भी तभी तक करते हैं जब तक कि मैं दुधारू होती हूँ। उसके बाद मेरा कोई भी नहीं है।
मैंने कहा माते, सरकार आपके लिए गौशाला बनाती है, जहां आप अपना जीवन गुजार सकती हैं। गऊमाता बोलीं- तुम यह पढ़ी या सुनी हुई बातें कह रहे हो। अगर हकीकत जानना हो तो कभी जाकर इन गौशालाओं की हालत देखना कि जिसे तुम मां कहते हो उसकी वहां आकर क्या हालत हो जाती है। अधिकांश गौपालक दूध बंद होने या मेरी उम्र निकल जाने पर मुझे सड़क का जूठन, कचरा और पन्नी खाने के लिए छोड़ देते हैं। मेरे नाम पर राजनीति तो करते हो पर मेरी समस्याओं का समाधान नहीं खोजते। जिसे तुम माँ कहते हो उसके सुखमय जीवन के लिए है कोई योजना तुम्हारे पास? मैं तुम्हें आदेश देती हूं कि तुम कल तक मेरी समस्याओं का जवाब लाओ, नहीं तो मैं तुम्हें शाप दे दूंगी।
 गऊमाता की गुर्राहट से मेरी नींद खुल गयी। लेकिन सपने की वास्तविकता ने मुझे व्यथित कर दिया। गऊमाता के सवाल रह-रहकर मुझे परेशान करने लगे। मैं आम आदमी भला क्या करता। सो पशुपालन विभाग के मंत्री के पास दौड़ गया। बंगले पर पता लगा कि मंत्री जी अभी सो रहे हैं। आप आफिस पहुंचो वहीं मुलाकात होगी। मैं समय पर आफिस पहुंच गया, चारों ओर सन्नाटा देखकर हैरान था। लेकिन पीए ने बताया कि ये तो रोज का मामला है। ये तो वैसे भी लूपलाइन का विभाग है। घंटेभर के इंतजार के बाद मंत्रीजी डोलते-डोलते पहुंचे। चैबर में पहुंचे तो उनके पीछे पीछे चाय का केतली लेकर प्यादा भी पहुँच गया। आधा घंटा बाद (शायद चाय पीने के बाद) उन्हें बताया गया कि कोई आपसे मिलना चाहता है। गऊमाता के बारे में बात करना चाहता है। मुझे बुलावा आया।
मैंने नमस्कार करके उन्हें सपने वाली बात बताई, साथ ही गऊमाता की धमकी वाली बात भी सुनाई और समस्याओं का समाधान चाहा। पहले तो वे ठठाकर हंसे, फिर कहने लगे- उन्हें कहियेगा, हम मां को क्यों नहीं पहचानेंगे। हमने तो अभी अपनी अम्मा के मोतिया का आपरेशन कराया है। मां देवी होती है वैसे ही गऊमाता भी देवी है। हमने उनके मंदिर भी बनवाए हैं, हमारे देवताओं के साथ उनकी पूजा भी तो करते हैं। हम चाहते हैं कि गऊमाता का पूरा ख्याल रखा जाए। हमारी सरकार इसके लिए प्रतिबद्ध है। हम जागरूकता लाएंगे। हमने बजट में गऊमाता की संरक्षा के लिए विशेष प्रावधान किए हैं। वे पन्नी न खाएं इसलिए हमने पन्नी पर ही रोक लगवा दी। उनके स्वच्छंद विचरण के लिए हमने पक्की सड़कें बना रखीं हैं भले ही शहरों का ट्रैफिक ही क्यों प्रभावित न हो। हम इनके लिए जल्द ही कोई ठोस उपाय करने वाले हैं। ठीक है अभी मुझे निकलना है आप उन्हें बताइएगा।
मैं भी वापस हो लिया, रास्ते भर सोचता रहा कि इन्होंने यह सब किया है तो गऊमाता की हालत इतनी खराब क्यों है? फिर सोचने लगा कि मुझे क्या मैं तो यही जवाब दे दूंगा। पर क्या वो मानेगी, वो गऊमाता है, मेरी माता थोड़ी जो झूठ को भी सच मान लेती है। मेरा शाप तो पक्का है….

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