Shambhu Nath Shuklla : अच्छा हुआ कि गाजियाबाद स्मार्ट सिटी बन गया। वर्ना अभी तक टीएचए (ट्रांस हिंडन एरिया यानी वसुंधरा, वैशाली, इंदिरापुरम और कौशाम्बी) के लोग खुद को दिल्ली का वासी बताया करते थे। वे फख्र से बताते थे कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया का पड़ोसी हूं। बेचारे गाजियाबाद शहर जाने में शरमाते थे मगर सारे सरकारी काम गाजियाबाद घंटाघर व राजनगर कलेक्ट्रेट से होते। फर्जी पते लगाकर दिल्ली से गाडिय़ां रजिस्टर्ड कराते और डीएल बनवाते।
इस एरिया का आम आदमी दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल से लेकर एलजी नजीब जंग और कमिश्नर बस्सी को तो जानता था पर गाजियाबाद के एसएसपी धर्मेंद्र यादव हैं या नरेंद्र यादव अथवा जगमोहन यादव, यह नहीं बता पाता था। गाजियाबाद के डीएम विमलचंद्र शर्मा ने तो एक बार मुझसे एक स्कूल के प्रिंसीपल के बारे में कह दिया कि क्या करूं टीएचए में मेरी एक प्रिंसीपल तक नहीं सुनता। आप केजरीवाल के स्टाफ से कहो और केजरीवाल की टीम गाजियाबाद के नाम से पिनक जाया करती। ऊपर से गाजियाबाद फिल्म ने और उसकी इमेज ध्वस्त कर दी। लेकिन अब स्मार्ट सिटी बन जाने से गाजियाबाद के दिन बहुर गए और टीएचए के लोगों का सौभाग्य भी जागा।
अब गाजियाबाद रेलवे स्टेशन पर राजधानी भी रुका करेंगी वर्ना धड़ाधड़ निकल जाया करतीं और इस चक्कर में हमारी कानपुर शताब्दी लेट हो जाया करती। अब गाजियाबाद की सड़कें तो दिल्ली व ग्रेटर नोएडा से भी बेहतर हो जाएंगी। महात्मा बुद्घ चौक पर जाम नहीं लगेगा और वसुंधरा थाने के सामने जब्त किए गए ट्रक सड़क घेर कर नहीं खड़े होंगे। कौशांबी बस अड्डे पर तो अभी से स्विटजरलैंड से ऐसी शानदार और जानदार बसें मंगाई गई हैं कि वॉल्वो इसके आगे पानी भरे। इसमें एक ऐसा यंत्र लगा है जो ड्राइवर के शराब पीते ही खड़ी हो जाया करेंगी। स्मार्ट सिटी का स्मार्ट सपना दिखाने के लिए शहरी विकास मंत्रालय को आभार!
वरिष्ठ पत्रकार शंभूनाथ शुक्ला के फेसबुक वॉल से.