क्या मोदी सरकार अंदर ही अंदर अयोध्या में राम मंदिर बनाने की तैयारी कर रही है? क्या २०१९ के लोकसभा चुनाव में बीजेपी राम मंदिर के अपने वादे को पूरा करके ही जायेगी? यह सम्भावना उस समय और मजबूत दिखी जब उन्नाव से बीजेपी के सांसद, अयोध्या में विवादित ढांचा विध्वंस के आरोपी और राम जन्म भूमि आंदोलन से जुड़े रहे साक्षी महाराज ने एटा स्थित अपने आश्रम में फिर कहा कि अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण बीजेपी के एजेंडे में है और हम २०१९ के लोकसभा चुनाव में मंदिर बनाने के बाद ही जायेंगे।
उन्नाव के बीजेपी सांसद साक्षी महाराज ने आज एटा में अपने आश्रम में एक बार फिर अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण को अगले लोक सभा चुनाव से पूर्व करवाने की बात कही। उन्होंने कहा कि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का मुद्दा २०१४ के लोकसभा चुनावों में बीजेपी के घोषणा पत्र में भी था और उसी के तहत हम २०१९ के लोक सभा चुनावों में राम मंदिर के निर्माण के बाद ही जायेंगे। साक्षी महाराज ने कहा कि छोटा ही सही, १९९२ में ही कारसेवकों ने अयोध्या में राम मंदिर बना दिया था। उससे पहले अनवरत रूप से कार सेवा पुरम में पत्थर तराशे जा रहे थे।
साक्षी ने कहा कि अयोध्या में मंदिर तीन तरह से ही बन सकता है। एक तो न्यायलय से, दूसरा सहमति से और तीसरा सोमनाथ की तरह से लोकसभा में प्रस्ताव पारित करके। उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश के ६ लाख से अधिक मुसलमानों ने राष्ट्रपति को लिखित में दिया है कि अयोध्या में राम मंदिर बनना चाहिए। उन्होंने कहा कि राम हम सबके पुरखा हैं और पुरखों का सम्मान करना सबका कर्तव्य हैं। उन्होंने कहा कि जब हमने राम मंदिर आंदोलन शुरू किया था तो सभी पार्टियों से समर्थन माँगा था। उसमे केवल बीजेपी ने ही हमारा साथ दिया। २०१४ के घोषणा पत्र में भी बीजेपी ने राम मंदिर बनाने की प्रतिबद्धता व्यक्त की थी।
आगरा में हुई बीफ पार्टी, जे एन यू मामले और हैदराबाद मामले में उन्होंने कहा कि लगता है कि पूरे इस्लाम को और मुसलमानों को बदनाम करने की भी साजिश है। उन्होंने कहा कि इन सारी गतिविधियों में दो षणयंत्र हैं- एक मोदी सरकार को फेल करने का, विवाद में डालने का और दूसरा हिन्दू मुसलमान को बांटने के लिए पूरे मुस्लिम समुदाय को बदनाम करने का। लेकिन अच्छी बात है कि इस्लाम के धर्माचार्य समझदार हैं और वे खुद ही ऐसी बातों का खंडन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि आगरा में हुई बीफ पार्टी की मजिस्ट्रेटी जांच में प्रथम दृष्ट्या प्रमाण नहीं मिले हैं परन्तु फिर भी वे मानव संसाधन विकास मंत्री और प्रदेश के राज्यपाल से इस पूरे मामले की जांच की मांग करेंगे।
राकेश भदौरिया
पत्रकार
एटा / कासगंज
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