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अपने ही देश में भगौड़े की तरह जीने को मजबूर हामिद मीर, बुलेटप्रूफ कार में भी उन्हें लगता है डर

इस्लामाबाद। पाकिस्तान के मशहूर पत्रकार हामिद मीर इन दिनों एक भगौड़े की तरह जिंदगी जीने को मजबूर हैं। कोई नहीं जानता कि वे रात को कहां रूकेंगे, कहां जा रहे हैं और किस रास्ते से जाते हैं। पिछले साल अपने ऊपर हुए आतंकी हमले के बाद मीर इस तरह से रहने को मजबूर हुए हैं। वे पाकिस्तान के जिओ न्यूज में काम करते हैं और यहां उनके दफ्तर के पर्दे हमेशा गिरे रहते हैं। वे दो मोबाइल फोन काम में लेते हैं और कुछ दिनों पहले अपने तीन घरों में बदल-बदलकर रहते थे और अपनी लोकेशन अपने दोस्तों तक को नहीं बताते हैं।

<p>इस्लामाबाद। पाकिस्तान के मशहूर पत्रकार हामिद मीर इन दिनों एक भगौड़े की तरह जिंदगी जीने को मजबूर हैं। कोई नहीं जानता कि वे रात को कहां रूकेंगे, कहां जा रहे हैं और किस रास्ते से जाते हैं। पिछले साल अपने ऊपर हुए आतंकी हमले के बाद मीर इस तरह से रहने को मजबूर हुए हैं। वे पाकिस्तान के जिओ न्यूज में काम करते हैं और यहां उनके दफ्तर के पर्दे हमेशा गिरे रहते हैं। वे दो मोबाइल फोन काम में लेते हैं और कुछ दिनों पहले अपने तीन घरों में बदल-बदलकर रहते थे और अपनी लोकेशन अपने दोस्तों तक को नहीं बताते हैं।</p>

इस्लामाबाद। पाकिस्तान के मशहूर पत्रकार हामिद मीर इन दिनों एक भगौड़े की तरह जिंदगी जीने को मजबूर हैं। कोई नहीं जानता कि वे रात को कहां रूकेंगे, कहां जा रहे हैं और किस रास्ते से जाते हैं। पिछले साल अपने ऊपर हुए आतंकी हमले के बाद मीर इस तरह से रहने को मजबूर हुए हैं। वे पाकिस्तान के जिओ न्यूज में काम करते हैं और यहां उनके दफ्तर के पर्दे हमेशा गिरे रहते हैं। वे दो मोबाइल फोन काम में लेते हैं और कुछ दिनों पहले अपने तीन घरों में बदल-बदलकर रहते थे और अपनी लोकेशन अपने दोस्तों तक को नहीं बताते हैं।

पिछले साल मीर कराची एयरपोर्ट से जब अपने दफ्तर जा रहे थे तो सड़क पर उनकी कार के करीब एक खड़े शख्स ने उन पर गोलियां चलाना शुरू कर दिया। इसके बाद दो बाइकों पर सवार चार लोगों ने उनकी कार का पीछा करना शुरू कर दिया और खुलेआम गोलियां बरसाई। इस हादसे में मीर को दाएं कंधे, दायीं जांघ, पेट और ब्लेडर में गोली लगी थी। हामिद पर यह हमला पाकिस्तानी तालिबान ने कराया था और उसने कहा था कि सेक्युलर एजेंडे और तालिबान विरोधी बातों के चलते उन पर हमला किया गया। अमरीकी अखबार “वाशिंगटन पोस्ट” के अनुसार उस हमले के बाद से मीर अपनी सुरक्षा को लेकर खासी सतर्कता बरतते हैं लेकिन जब वे अपनी कार में सवार होकर दफ्तर के लिए निकलते हैं तो उनका डर फिर से उन्हें घेर लेता है। बुलेटप्रूफ कार में बैठे हुए हामिद की निगाहें ट्रैफिक और आसपास खड़ी कारों पर होती है। वे इस दौरान कोई फोन नहीं उठाते।

हामिद मीर एक मुखर पत्रकार वारिस मीर के बेटे हैं, 48 साल की उम्र में वारिस की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई थी। उनके पिता ने 1971 में बांग्लादेश की आजादी के मौके पर कई बांग्लाभाषी छात्रों को अपने घर में पनाह दी थी। पाकिस्तान की पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो के कहने पर हामिद पत्रकारिता में आए। हालिया दिनों में हुए हमलों और लगातार मिल रही धमकियों के कारण हामिद बुरी तरह से हिल गए हैं। इसी के चलते अब वे विवादित मुद्दों पर कमेंट देने से बचते हैं। बकौल अमरीकी अखबार पत्रकारिता से ज्यादा जिंदा रहना उनका मकसद रह गया है। अब वे बलूचिस्तान के बारे में न के बारे में रिपोर्ट करते हैं।

हामिद ने अपने बच्चों और पत्नी को पाकिस्तान से बाहर भेज दिया है। हालांकि वे पाकिस्तान छोड़कर नहीं गए, इस बारे में उन्होंने बताया कि, अगर मैं ऎसा करता तो देश के युवा पत्रकारों को निराशा होती। 2009 में मलाला युसुफजई को आतंकियों को गोली मारने की घटना के बाद हामिद ने अपने शो के दौरान हमलावरों से पूछा था कि, एक निहत्थी बच्ची पर फायरिंग करने के बाद क्या उन्हें खुद को मुसलमान कहने का हक है? हामिद बताते हैं कि वे उन पर हमला करने वालों को नहीं जानते लेकिन मुझे शक है कि आईएसआई के कुछ तत्व इसमें शामिल थे।

हामिद ने बताया कि, हमले से दो सप्ताह पहले एक वरिष्ठ आईएसआई अधिकारी ने उनसे सेना और परवेज मुशर्रफ के मामले की रिपोर्टिग करने से मना किया था। इस पर मैंने उनसे कहाकि अगर सेना राजनीति में दखल देना बंद कर दे तो मैं भी इस मामले में रिपोर्ट करना बंद कर दूंगा। गौरतलब है कि हामिद ने इस मामले में 44 रिपोर्ट की थी। वे बताते हैं कि उस घटना के एक सप्ताह बाद आईएसआई अफसर उसके घर आए और कहाकि उनका नाम हिटलिस्ट में हैं। इस चेतावनी के कुछ ही दिन बाद हामिद पर हमला हो गया था। आपकों बता दें कि हामिद मीर ने खूंखार आतंकवादी ओसामा बिन लादेन का इंटरव्यू भी लिया था।

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