लखनऊ । आइसा के प्रदेश अघ्यक्ष सुधांशु बाजपेई पर जनलेवा हमले, लखनऊ विश्वविद्यालय में बढ़ रही केसरिया ताकतों की अलोकतांत्रिक गतिविधियों तथा देश के अन्दर शिक्षा व संस्कृति के क्षेत्र के भगवाकरण के विरोध में आल इंडिया पीपुल्स फोरम की ओर से जीपीओ पार्क स्थित गांधी प्रतिमा पर धरना दिया गया तथा इससे संबधित ज्ञापन प्रदेश के मुख्यमंत्री को भेजा गया। ज्ञापन में उनसे मांग की गई कि आइसा नेता पर जानलेवा हमले करने वालों को गिरफ्तार किया जाय, उन्हें विवि छात्रावास से निष्कासित किया जाय, विश्वविद्यालय में संघ परिवार की अराजक गतिविधयों पर रोक लगाई जाय ताकि संस्थान में शैक्षणिक माहौल बना रहे।
ज्ञापन में कहा गया है कि 27 सितम्बर को आइसा का एक छात्र दल सुधांशु बाजपेई के नेतृत्व में शहीद भगत सिंह जयंती की तयारी को लेकर प्रचार अभियान चला रहा था उसी वक्त कुछ अराजक तत्वों आइसा की छात्र नेता पूजा शुक्ला पर अमर्यादित रिमार्क कसे। आइसा नेता सुधांशु बाजपेई उस इसका विरोध किया। इस घटना के बाद १ ओक्टूबर को सुधांशु पर इन तत्वों ने हमला कर दिया जिसमे वे इस कदर घायल हो गये कि उनके सिर में चार टांके लगाने पड़े।
प्रॉक्टर ने इन छात्रों के विरुद्ध अविलम्ब कार्रवाई करने का आश्वसन दिया। उनके खिलाफ मुकदमे भी दर्ज किये गये। लेकिन करीब बीस दिन से अधिक बीत जाने के बाद भी विवि प्रशासन तथा जिला प्रशासन की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई। बताया जाता है कि हमला करने वाले छात्रों का संबंध विद्यार्थी परिषद से है। विवि में इस तरह की घटनाएं बढ़ रही हैं। विवि प्रशासन संघ परिवार के दबाव में है। इसी मुद्दे को लकर आज एआईपीएफ ने धरना दिया जिसका नेतृत्व फोरम की राष्ट्रीय अभियान समिति की नेता ताहिरा हसन ने किया।
धरने में लेखक, कलाकार, सामाजिक कार्यकर्ता तथा विभिन्न जन संगठनों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया तथा इस मौके पर हुई सभा को संबोधित किया। इनमें भाकपा माले के जिला प्रभारी कामरेड रमेश सिंह सेंगर, जसम के प्रदेश अध्यक्ष कौशल किशोर, वर्कर्स कौसिल के के के शुक्ला, इप्टा की कल्पना पाण्डेय, निर्माण मजदूर यूनियन के सुरेन्द्र प्रसाद, रिहाई मंच के शाहनवाज आलम, कवि उमेश चन्द्र, भकपा माले की मीना सिंह, आइसा के सुधांशु बाजपेई, पूजा शुक्ला व नीतीश कन्नौजिया आदि ने संबोधित किया। वक्ताओं का कहना था कि मोदी सरकार के आने के बाद सांप्रदायिक ताकतों के हौसले बुलन्द हैं। उनके द्वारा लोकतांत्रिक अधिकारों पर हमले बढ़े हैं। उत्तर प्रदेश की ‘समाजवादी‘ सरकार मूक दर्शक बनी हुई है। शिक्षा, संस्कृति के क्षेत्र का भगवाकरण किया जा रहा है। उेसे में जरूरी हो गया है कि फाासीवाद के इस बढ़ते खतरे के विरुद्ध प्रगतिशीन व संघर्षशील ताकतों को एकजुट किया जाय क्योंकि जनसंघर्ष ही आज का विकल्प है। इसी के द्वारा फसीवाद को पराजित किया जा सकता है।
तहिरा हसन
सदस्य, राष्ट्रीय अभियान समिति, एआईपीएफ
मो 9628281631
कौशल किशोर
जिला संयोजक, एआईपीएफ
मो 8400208031