Connect with us

Hi, what are you looking for?

प्रदेश

दक्षिण अफ्रीका सरकार ने बस्तर के हर्बल किसान से किया अनुबंध

कोण्डागांव: पिछले लगभग 18 वर्षों से कोण्डागांव की धरा पर सफलतापूर्वक जैविक खेती कर रहे डॉ.राजाराम त्रिपाठी ने यूं तो इस क्षेत्र में कई सफलतायें अर्जित की है। लेकिन दक्षिण अफ्रीका सरकार के अधिकारियों व उनके दूतावास के अधिकारियों के बस्तर आकर अपने देश के लिये सुगंधित पौधों की जैविक खेती को चरणबद्ध तरीके से सीखने के लिये अनुबंध करना एक सपने के साकार होने जैसा है।

कोण्डागांव: पिछले लगभग 18 वर्षों से कोण्डागांव की धरा पर सफलतापूर्वक जैविक खेती कर रहे डॉ.राजाराम त्रिपाठी ने यूं तो इस क्षेत्र में कई सफलतायें अर्जित की है। लेकिन दक्षिण अफ्रीका सरकार के अधिकारियों व उनके दूतावास के अधिकारियों के बस्तर आकर अपने देश के लिये सुगंधित पौधों की जैविक खेती को चरणबद्ध तरीके से सीखने के लिये अनुबंध करना एक सपने के साकार होने जैसा है।


       इस एमओयू के होने के बाद मां दंतेश्वरी हर्बल के संस्थापक डॉ.राजाराम त्रिपाठी ने बताया कि यह नर्सिंग बस्तर और छग के लिये नहीं अपितु पूरे देश के लिये गर्व का विषय हो सकता है, क्योंकि बस्तर जैसे पिछड़े क्षेत्र से एक बड़े देश ने कुछ सीखने के लिये बेझिझक एमओयू किया है। जोकि दक्षिण अफ्रीका देश की हर्बल खेती सीखने की ललक को दर्शाता है, पर खेद का विषय यह है कि उनके द्वारा इसी तकनीक को अपने प्रदेश व देश को निशुल्क सिखाने के बावजूद भी बड़ी कम संख्या में भारतीय लोग उनसे सम्पर्क करते हैं। साथ ही केन्द्र व राज्य शासन की ओर से भी इस दिशा में आगे बढ़ने के लिये ग्रामीण और शहरी बेरोजगारों के लिये कोई व्यावहारिक योजना नहीं है। सचाई तो यही है कि किसान और शासन के बीच हर्बल खेती को जमीनी स्तर पर जोड़ने वाली कोई अभिनव योजना अभी तक नहीं बन सकी है। जो योजनायें बनी हुई हैं वह कागजों पर आंकड़ों की महज बाजीगरी के अलावा कुछ नहीं है।
     डॉ.त्रिपाठी ने बताया कि बस्तर में पिछले 16 सालों से जैविक खेती में कार्य कर रही मां दंतेश्वरी हर्बल व दक्षिण अफ्रीका सरकार के माध्यम हुए अनुबंध में मुख्य रूप से सुगधिंत फूलों की जैविक खेती की तकनीक, प्रोसेसिंग और ऑरगैनिक मेडीसनल प्लांट के लिये एमओयू किया गया है। पायलेट प्रोजेक्ट के तहत अभी 500 एकड़ में प्रयोग आरंभ किया जायेगा। जिसके बाद इस प्रोजेक्ट को 5000 एकड़ तक किया जाना प्रस्तावित किया गया है।दक्षिण अफ्रीका सरकार के प्रतिनिधि मण्डल में मिस्टर एमखुलीली मनखजाना कृषि मंत्री के कांउसलर, डॉ.पोंचोमोकालिया एचओडी व मुख्य सचिव नार्थ वेस्ट प्रोविंस, मिस्टर लेवोगेंग मोलेटसने कार्यकारी सीईओ एनडब्लूडीसी, मिस्टर डेरिक मोचे सीईओ कृषि ने सीईओ एमडीएचपी डॉ.राजाराम त्रिपाठी के साथ उक्त एमओयू किया है।
     बैंक मैनजर की नौकरी को छोड़ कर पूरे आत्म विश्वास से जैविक खेती में कदम रखने वाले डॉ त्रिपाठी ने दावा किया है कि अगर भारत देश अपनी पुरातन परम्परा के साथ नयी तकनीक अपनाते हुये हर्बल खेती और खास तौर से जैविक औषधि खेती को प्रधानता दे, तो पूरे विश्व में न सिर्फ अपनी धाक जमा सकता है, अपितु बेरोजगारी, भुखमरी,नक्सलवाद, अशिक्षा, शिशु मृत्यु दर, गर्भवती माता की मृत्यदर,  निर्धनता, बीमारी आदि की समस्याओं से बड़ी आसानी से निजात पा सकता है। आंकड़े साक्षी है कि आधे से ज्यादा अपराध बेरोजगार युवा मजबूरीवश कर रहे हैं। आज पूरे विश्व में जैविक उत्पादों की धूम मची है और एक वैश्विक बाजार का निर्माण हो रहा है।

You May Also Like

Uncategorized

मुंबई : लापरवाही से गाड़ी चलाने के मामले में मुंबई सेशन कोर्ट ने फिल्‍म अभिनेता जॉन अब्राहम को 15 दिनों की जेल की सजा...

ये दुनिया

रामकृष्ण परमहंस को मरने के पहले गले का कैंसर हो गया। तो बड़ा कष्ट था। और बड़ा कष्ट था भोजन करने में, पानी भी...

ये दुनिया

बुद्ध ने कहा है, कि न कोई परमात्मा है, न कोई आकाश में बैठा हुआ नियंता है। तो साधक क्या करें? तो बुद्ध ने...

सोशल मीडिया

यहां लड़की पैदा होने पर बजती है थाली. गर्भ में मारे जाते हैं लड़के. राजस्थान के पश्चिमी सीमावर्ती क्षेत्र में बाड़मेर के समदड़ी क्षेत्र...

Advertisement