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हेमंत तिवारी के आंसुओं पर मत जाना, चाहें दूसरे किसी को भी जिताना

लखनऊ में राज्य स्तर मान्यता प्राप्त संवाददाता समिति में रोज नए नए तमाशे देखने को मिल रहे है. कल पत्रकारों की एकता के लिए बुलाई गई बैठक में मान्यता प्राप्त संवाददाता समिति के अध्यक्ष हेमंत तिवारी सुबक सुबक कर आसुंओ के साथ रोये और अपनी सफाई देते हुए कहा कि उन्होंने पैसा नहीं कमाया है. पत्रकारों ने कहा कि इनके घड़ियाली आसुंओ पर मत जाओ. पिछले चुनाव में भी हेमंत इसी तरह सुबक सुबक कर रोये थे और लोगो ने भरोसा करके उन्हें जिता दिया था. मगर जीतने के बाद हेमंत ने जो गुल खिलाये उससे सब पत्रकार आहत हैं.

<p>लखनऊ में राज्य स्तर मान्यता प्राप्त संवाददाता समिति में रोज नए नए तमाशे देखने को मिल रहे है. कल पत्रकारों की एकता के लिए बुलाई गई बैठक में मान्यता प्राप्त संवाददाता समिति के अध्यक्ष हेमंत तिवारी सुबक सुबक कर आसुंओ के साथ रोये और अपनी सफाई देते हुए कहा कि उन्होंने पैसा नहीं कमाया है. पत्रकारों ने कहा कि इनके घड़ियाली आसुंओ पर मत जाओ. पिछले चुनाव में भी हेमंत इसी तरह सुबक सुबक कर रोये थे और लोगो ने भरोसा करके उन्हें जिता दिया था. मगर जीतने के बाद हेमंत ने जो गुल खिलाये उससे सब पत्रकार आहत हैं.</p>

लखनऊ में राज्य स्तर मान्यता प्राप्त संवाददाता समिति में रोज नए नए तमाशे देखने को मिल रहे है. कल पत्रकारों की एकता के लिए बुलाई गई बैठक में मान्यता प्राप्त संवाददाता समिति के अध्यक्ष हेमंत तिवारी सुबक सुबक कर आसुंओ के साथ रोये और अपनी सफाई देते हुए कहा कि उन्होंने पैसा नहीं कमाया है. पत्रकारों ने कहा कि इनके घड़ियाली आसुंओ पर मत जाओ. पिछले चुनाव में भी हेमंत इसी तरह सुबक सुबक कर रोये थे और लोगो ने भरोसा करके उन्हें जिता दिया था. मगर जीतने के बाद हेमंत ने जो गुल खिलाये उससे सब पत्रकार आहत हैं.

हेमंत के लिए बुरी खबर यह भी हुई कि उसकी धोखाधड़ी से तंग आकर उसके गुट के चुनाव अधिकारी रहे ज्ञानेन्द्र शुक्ल ने भी खुद को चुनाव से दूर कर लिया है. विनय राय समेत सौ से अधिक पत्रकारों ने ज्ञानेन्द्र शुक्ल के चुनाव अधिकारी पद से हट जाने के बाद खुद को अलग करते हुए फैसला किया कि वो लोग वोट नहीं डालेंगे. हेमंत गट के मुख्य निर्वाचन अधिकारी वीर विक्रम बहादुर मिश्रा पहले ही खुद को हेमंत गुट के चुनाव से अलग कर चुके हैं. इन हालात के बाद लग यही रहा है कि चुनाव औपचारिकता होगा और असली चुनाव तीस अगस्त को ही होगा.

कल प्रभात त्रिपाठी समेत कई पत्रकारों ने बैठक बुलाई थी. मुद्दा था पत्रकरों की एकता ना टूटे और एक ही चुनाव हो. मगर इस बैठक में भी कोई फैसला ना हो सका. हंगामे के बीच आरोप प्रत्यारोप चलते रहे. उधर दूसरे गुट के लोगों के पास कल लगभग पचास लोगों ने वोट डाल दिए जिनके वोट लिफाफे में बंद कर दिए गए. यह वो लोग थे जो त्यौहार के चलते अपने घर जा रहे थे. कल बैठक के बाद हेमंत गुट निराश हो गया है. अब यह गुट कोशिश कर रहा है कि तीस अगस्त को होने वाले चुनाव में किसी तरह हंगामा किया जाये. अब देखना मजेदार यह होगा कि तीस अगस्त को बाजी किसके हाथ लगेगी. अब तो लखनऊ का हर पत्रकार कहने लगा है कि हेमंत तिवारी के छलावे में मत आना, चाहें जिस किसी को भी जिताना.

लखनऊ से एक पत्रकार द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित.

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