मध्यप्रदेश मे मीडिया को साधने और उसे गले-गले तक उपकृत करने मे भाजपा सरकार कमोबेश काँग्रेस सरकारों के नक्शे कदम पर चल रही है। बड़ी वजह यह कि कांग्रेसी सरकारों ने भाजपा समर्थक और उससे जुड़े मीडिया को भी खूब उपकृत किया। दूसरे भ्रष्टाचार और सत्ता के बेजा दुरुपयोग की वजह से काँग्रेस सरकारें भी मीडिया से डरी रहती थीं और यह सरकार भी सहमी रहती है।
नेशनल हेराल्ड के दशकों पहले बंद हो जाने के बाद यशपाल कपूर, तनवंत सिंह कीर तथा अन्य सदस्यों वाले ट्रस्ट ने 2007-2009 मे भोपाल मे लगभग मुफ्त मे मिली जमीन को गलत तरीके से बेच दिया और अब इस पर बहुमंजिला शपिंग माल और ऑफिस शान से चल रहे हैं। इसके बावजूद शिवराज सरकार इस पर हाथ भी नहीं डाल पा रही है। यह स्थिति तब है जब भोपाल विकास प्राधिकरण जमीन का आवंटन रद्द कर चुकी है..? अर्जुनसिंह द्वारा कौड़ियों मे बांटे गए भूखंडों का दुरुपयोग करने मे बड़े मीडिया ग्रुप भी पीछे नहीं हैं। यूएनआई जैसी प्रतिष्ठित राष्ट्रीय न्यूज़ एजेंसी ने ऑफिस के नाम पर कबाड़े भूखंड पर बहुमंजिला इमारत तान कर उसे किराए पर उठा दिया या फिर बेच दिया है।
एजेंसी का ऑफिस बेशर्मी के साथ पहले की तरह न्यू मार्केट की प्राइम लोकेशन मे सरकारी बंगले मे चल रहा है। इसके अलावा कई सयाने तो मोटी रकम मे जमीन बेच कर लाखों के वारे-न्यारे कर चुके हैं। सरकार के बैकफुट पर आने की वजह यह है कि नियम-कानून की खुलेआम धज्जियां उड़ाने मे उसके अपने मीडियावाले भी शामिल हैं। दूसरे मीडिया से खौफजदा सरकार बर्र के छत्ते मे हाथ डालने से भी बचना चाहती है। तो फिर दिल्ली मे नेशनल हेराल्ड को लेकर हाय तोबा क्यों मचाई जा रही है..?