वाराणसी, 23 मई । दुनिया की व्यस्क आबादी का 25 प्रतिशत यानि करीब एक अरब लोग उच्च रक्तचाप यानि हाई ब्लड प्रेशर से पीड़ित हैं। `वर्ल्ड हाईपरटेंशन लीग के अनुसार हर साल करीब 75 लाख लोगों की मौत स्ट्रोक, दिल के दौरे, हार्ट फेल्यर, एन्युरिज्म आदि जैसी कॉर्डियोवैस्कुलर बीमारी से होती है, जिनका मूल कारण उच्च रक्त चाप ही होता है। भारत में 25 वर्ष या इससे अधिक उम्र के 23.1 प्रतिशत पुरुष और 22.6 प्रतिशत महिलाएं इसकी चपेट में हैं। यह जानकारी शहर के जाने माने चिकित्सक और जमुना सेवा सदन एंड हर्ट केयर सेंटर के निदेशक डॉ. ए.के. टंडन ने दी ।
उच्च रक्चचाप के प्रति लोगों में कम जागरुकता को ध्यान में रखते हुए वर्ल्ड हाईपरटेंशन लीग ने हर साल 17 मई को वर्ल्ड हाईपरटेंशन डे यानि उच्च रक्तचाप दिवस के रुप में मनाती रही है । वर्ल्ड हाईपरटेंशन लीग इंटरनेशनल हाईपरटेंशन सोसायटी की एक इकाई है । इस साल भी इस मौके पर वर्ल्ड हाईपरटेंशन लीग ने उच्च रक्चचाप के प्रति लोगों में जागरुरता पैदा करने के लिए कई कार्यक्रम किये । लेकिन सबसे चौंकाने वाले तथ्य इस मौके पर जारी रिपोर्ट में आई है ।
डॉ. टंडन ने बताया कि उच्च रक्तचाप के स्ट्रोक से करीब 51 प्रतिशत तथा कोरोनरी धमनी रोगों से 45 प्रतिशत मौतें होती हैं। दस साल पहले यानि 2004 में दुनियाभर में होने वाली कुल मौतों में से करीब 12.8 प्रतिशत (75 लाख) मौतों के लिए उच्च रक्तचाप को सीधे तौर पर जिम्मेदार माना गया था । भारत में 13 करोड़ 90 लाख से अधिक रोगी हैं जो विश्व के अनियंत्रित उच्च रक्तचाप रोगियों का 15 प्रतिशत हैं। एक सर्वे में पाया गया है कि देश में उच्च रक्तचाप से पीड़ित रोगियों पर किए गए सर्वेक्षण में यह भी पाया गया है कि 70 प्रतिशत रोगी का रक्तचाप आदर्श रक्तचाप नहीं होता है
डॉ. टंडन ने बताया कि भारत में हर नौवाँ व्यक्ति उच्च रक्तचाप से पीड़ित है। उच्च रक्तचाप के बड़े पैमाने पर मौजूद होने के बावजूद ज्यादातर लोग इसकी उपस्थिति से अनजान हैं, क्योंकि आरंभिक चरण में इसके कोई स्पष्ट लक्षण नहीं दिखाई देते हैं। यह अनुमान लगाया गया है कि 45 प्रतिशत से भी कम लोगों को यह पता है कि उन्हें उच्च रक्तचाप है और जिन्हें मालूम हैं उनमें से भी लगभग 10 प्रतिशत ही इलाज करवा रहे हैं। । उन्होंने बताया कि यह एक विस्फोटक स्थिति है क्योंकि उच्च रक्तचाप का अगर लंबे समय तक इलाज ना हो तो यह बढ़ सकता है और जीवन के लिए खतरा उत्पन्न कर सकता है।
डॉ. टंडन ने सलाह दी कि , समय की माँग है कि लोगों को नियमित जाँच के प्रति सचेत बनाया जाए ताकि इसकी शीघ्र ही पहचान हो सके। उन्होंने कहा कि बेहतर निदान और उपचार रूपात्मकता के प्रति प्राथमिक स्वास्थ्य चिकित्सकों में जागरुकता पैदा कर उच्च रक्तचाप की जटिलताओं को कम करने में प्रभावी प्रबंधन किया जा सकता है। डॉ. टंडन के मुताबिक, अनुसंधान से पता चलता है कि जिन लोगों को उच्च रक्तचाप है वे लोग सामान्य रक्तचाप वाले लोगों की तुलना में दो गुना दिल की बीमारियों का शिकार होते हैं। उच्च रक्तचाप पीड़ित व्यक्ति के हृदयाघात की संभावना चार गुना और स्ट्रोक आने की संभावना सात गुना होती है।
डॉ. टंडन ने बताया कि 140/90 एमएमजी को हाई ब्लड प्रेशर या उच्च रक्तचाप कहते हैं। हाई ब्लड प्रेशर रक्त वाहिकाओं दिल, दिमाग, किडनी और अन्य अंगों को क्षति पहुँचा सकता है और कई जटिल बीमारियों जैसे हार्ट अटैक और किडनी की बीमारियों की तरफ ले जा सकता है जिससे मौत भी हो सकती है।
उच्च रक्तचाप को ‘मूक हत्यारे’ के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि यह बिना किसी प्रमुख लक्षण के नुकसान पहुँचा सकता है। इसके पता ना चलने और इलाज में देरी होने के यही कारण हैं।
डॉ. ए.के.टंडन
जमुना सेवा सदन एंड हर्ट केयर सेंटर ,वाराणसी