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हाशिमपुरा का इंसाफ मांगने पर रिहाई मंच नेताओं पर सपा सरकार ने करवाया मुकदमा

लखनऊ 12 सितम्बर 2015। रिहाई मंच ने 26 अप्रेल 2015 को हाशिमपुरा जनसंहार मामले में प्रदेश सरकार की इंसाफ विरोधी भूमिका पर आयोजित कार्यक्रम में शामिल मानवाधिकार नेताओं और बुद्धिजीवियों पर मुकदमा दायर करने को सपा सरकार की साम्प्रदायिक नीतियों का एक और नजीर बताया है। संगठन ने जारी प्रेस विज्ञप्ति मंे इस घटना को पूरे देश में संघ परिवार से जुड़े संगठनों, भाजपा की राज्य सरकारों और सपा जैसी कथित धर्मनिरपेक्ष सरकारों द्वारा न्याय, धर्मनिरपेक्षता और प्रगतिशील मूल्यों पर जारी हमलों की कड़ी बताते हुए इसके खिलाफ संघर्ष को और तेज करने की बात कही है।

<p>लखनऊ 12 सितम्बर 2015। रिहाई मंच ने 26 अप्रेल 2015 को हाशिमपुरा जनसंहार मामले में प्रदेश सरकार की इंसाफ विरोधी भूमिका पर आयोजित कार्यक्रम में शामिल मानवाधिकार नेताओं और बुद्धिजीवियों पर मुकदमा दायर करने को सपा सरकार की साम्प्रदायिक नीतियों का एक और नजीर बताया है। संगठन ने जारी प्रेस विज्ञप्ति मंे इस घटना को पूरे देश में संघ परिवार से जुड़े संगठनों, भाजपा की राज्य सरकारों और सपा जैसी कथित धर्मनिरपेक्ष सरकारों द्वारा न्याय, धर्मनिरपेक्षता और प्रगतिशील मूल्यों पर जारी हमलों की कड़ी बताते हुए इसके खिलाफ संघर्ष को और तेज करने की बात कही है।</p>

लखनऊ 12 सितम्बर 2015। रिहाई मंच ने 26 अप्रेल 2015 को हाशिमपुरा जनसंहार मामले में प्रदेश सरकार की इंसाफ विरोधी भूमिका पर आयोजित कार्यक्रम में शामिल मानवाधिकार नेताओं और बुद्धिजीवियों पर मुकदमा दायर करने को सपा सरकार की साम्प्रदायिक नीतियों का एक और नजीर बताया है। संगठन ने जारी प्रेस विज्ञप्ति मंे इस घटना को पूरे देश में संघ परिवार से जुड़े संगठनों, भाजपा की राज्य सरकारों और सपा जैसी कथित धर्मनिरपेक्ष सरकारों द्वारा न्याय, धर्मनिरपेक्षता और प्रगतिशील मूल्यों पर जारी हमलों की कड़ी बताते हुए इसके खिलाफ संघर्ष को और तेज करने की बात कही है।

रिहाई मंच नेता राजीव यादव और शाहनवाज आलम ने कहा है कि 16 लोगों पर नामजद और 35 अज्ञात लोगों पर मुकदमा दर्ज होने के चार महीने बाद उन्हें इसकी सूचना दिया जाना साबित करता है कि पुलिस बहुत ठंडे दिमाग से और आपराधिक षडयंत्र के तहत मुकदमे पर कार्रवाई करना चाहती है। उन्होंने कहा कि सपा सरकार ने जिन 16 लोगों पर मुकदमा किया है उनमें एडवोकेट मोहम्मद शुऐब अध्यक्ष रिहाई मंच, शाहनवाज आलम और राजीव यादव प्रवक्ता रिहाई मंच, कौशल किशोर प्रदेश अध्यक्ष जन संस्कृति मंच, प्रोफेसर रमेश दीक्षित, प्रोफेसर धरमेंद्र कुमार, कला महाविद्यालय लखनऊ विश्वविद्यालय, वरिष्ठ कवि और पत्रकार अजय सिंह, ट्रेड यूनियन नेता मोहम्मद अहमद, 1980 के मुरादाबाद पुलिस फायरिंग कांड के पीडि़त मौलाना रईस, अधिवक्ता मोहम्मद शमी, नागरिक परिषद के अध्यक्ष रामकृष्ण, ऐकेडमिशियन इमरान सिद्दीकी, लेखक और सामाजिक कार्यकता सत्यम वर्मा, सामाजिक कार्यकर्ता हाजी फहीम सिद्दीकी और शकील कुरैशी हैं। जिन पर दंगा भड़काने समेत 147, 143, 186, 188, 341 और 187 की धाराएं लगाई गई हैं।

रिहाई मंच नेताओं ने कहा है कि मानवाधिकारों और इंसाफ का सवाल उठाने वालों पर मुकदमा करके मुलायम सिंह ने साफ कर दिया है कि नरेंद्र मोदी सार्वजनिक तौर पर उनकी इसीलिए तारीफ कर रहे हैं कि उनकी सरकार वह सबकुछ कर रही है जो संघ परिवार अपनी बदनामी का रिस्क उठा कर पानसरे और कलबुर्गी की हत्या करके कर रहा है। इसतरह मुलायम सिंह भाजपा को दबनामी से बचाने के लिए खुद उसका साम्प्रदायिक और फासीवादी एजंेडा आगे बढ़ा रहे हैं। उन्होंने कहा कि जिस अमीनाबाद थाने ने मानवाधिकार नेताओं, कवियों, दंगा पीड़ित और बुद्धिजीवियों पर दंगा भड़काने का मुकदमा दर्ज किया है उसी थाने ने रिहाई मंच द्वारा भाजपा विधायकों और मुजफ्फनगर दंगे के आरोपियों संगीत सिंह सोम और सुरेश राणा पर रासुका के तहत जेल में निरुद्ध रहने के दौरान अपने फेसबुक पर भड़काऊ सामग्री पोस्ट करने के खिलाफ दी गई तहरीर पर एफआईआर तक दर्ज नहीं किया। जो साबित करता है कि सूबे की पुलिस प्रदेश सरकार की नीति के तहत हिंदुत्ववादी तत्वों को संरक्षण दे रही है और इंसाफ का सवाल उठाने वालों का दमन कर रही है। इसी रणनीति के तहत मुजफ्फरनगर से लेकर फैजाबाद दंगे तक के आरोपी हिंदुत्वादी तत्वों को जमानत तक दिया जा रहा है। विज्ञिप्ति में कहा गया है कि रिहाई मंच सपा सरकार के इस लोकतंत्र विरोधी और साम्प्रदायिक हरकत के खिलाफ प्रदेश व्यापी अभियान चलाएगा।

द्वारा जारी-
शाहनवाज आलम
(प्रवक्ता, रिहाई मंच)

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