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ISIS के माध्यम से एशिया के बड़े उपभोक्ता बाजार और खाड़ी देशों के तेल पर अमेरिका करेगा कब्ज़ा!

तीसरे विश्व युद्ध की दस्तक… रूस, फ्रांस, सीरिया एवं इराक एक मोर्चे आ चुके हैं… भारत को भी इनके साथ आना पड़गा… ध्रुवीकरण ऐसे ही बढ़ता जायेगा… तीसरे विश्व युद्ध के बाद पूरा विश्व अमेरिका के पैरों तले होगा… अमेरिका पूरे विश्व बाजार का एकमात्र शासक होगा… यही उद्देश्य है ISIS के पीछे…. अमेरिका इस्तेमाल कर रहा है ISIS और इस्लाम को एक हथियार के बतौर…

<p><strong>तीसरे विश्व युद्ध की दस्तक... रूस, फ्रांस, सीरिया एवं इराक एक मोर्चे आ चुके हैं... भारत को भी इनके साथ आना पड़गा... ध्रुवीकरण ऐसे ही बढ़ता जायेगा... तीसरे विश्व युद्ध के बाद पूरा विश्व अमेरिका के पैरों तले होगा... अमेरिका पूरे विश्व बाजार का एकमात्र शासक होगा... यही उद्देश्य है ISIS के पीछे.... अमेरिका इस्तेमाल कर रहा है ISIS और इस्लाम को एक हथियार के बतौर...</strong></p>

तीसरे विश्व युद्ध की दस्तक… रूस, फ्रांस, सीरिया एवं इराक एक मोर्चे आ चुके हैं… भारत को भी इनके साथ आना पड़गा… ध्रुवीकरण ऐसे ही बढ़ता जायेगा… तीसरे विश्व युद्ध के बाद पूरा विश्व अमेरिका के पैरों तले होगा… अमेरिका पूरे विश्व बाजार का एकमात्र शासक होगा… यही उद्देश्य है ISIS के पीछे…. अमेरिका इस्तेमाल कर रहा है ISIS और इस्लाम को एक हथियार के बतौर…

Geetali Saikia : कोई संदेह नही है की ज्यादातर इस्लामिक देश अंतरकलह और बाह्य समस्याओ से जूझ रहे हैं इसके पीछे जिम्मेदार है उनकी धार्मिक कट्टरवादिता. धार्मिक कट्टरता के कारण ज्यादातर मुसलमान धर्मभक्त होते हैं और उनकी देशभक्ति पर अक्सर धर्मभक्ति हावी हो जाया करती है ..धर्म कोई भी हो , कट्टरता जाहिलियत की निशानी है , कट्टरता पढ़े लिखे लोगो को भी बेवकूफों की जमात में खड़ी कर देती है.

ISIS एक धोखा है, एक बहाना है। ये सही है कि इस संगठन का नाम, उद्देश्य आतंक करने का तरीका आदि सब कुछ इस्लाम के नाम पर चल रहा है .परन्तु आराम से सोचिये ! जरा की इसके पीछे का हिडेन एजेंडा क्या हो सकता है?

ISIS के बारे में आप लोगों ने काफी कुछ होमवर्क करके रखा है इस पर बोलने की जरुरत नहीं .इस्लाम के बहाने isis का गन्दा खेल दुनिया के सामने है और उस पर दुखद ये होता है की ISIS , अल कायदा जैसों संगठनो के बचाव में भारत में न सिर्फ बयान दिए जाते हैं बल्कि उनके इस खुनी खेल को तर्कों से सही साबित करने की कोशिश भी की जाती है…और इतने पर भी कुछ लोगों को भारत असहिष्णु देश लगता है।

खैर! मुझे सबसे बड़ा आश्चर्य इस बात पर लगता है कि आतंकवाद के नाम पर इराक और अफगानिस्तान में जबरदस्ती शांति की स्थापना करने वाला राष्ट्र अमेरिका ISIS के नाम पर चुप्पी क्यों साध लेता है। अमेरिका का यह दोहरा मानदंड कही न कही से तीसरे विश्व युद्ध की सम्भावना को मजबूत करता है. इसे समझने के लिए थोडा पीछे चलते हैं…

आज से महज दो या ढाई वर्ष पहले ISIS का इतना न तो आतंक था न ही इतना नाम था. आतंक की दुनिया में अल क़ायदा का ही नाम सबसे बड़ा था। परन्तु ध्यान से देखें तो उसी समय अमेरिका और सीरिया के रिश्तों में काफी तल्खी नजर आई थी । मामला कुछ यहाँ तक पहुंचा था कि अमेरिकन राष्ट्रपति बराक ओबामा ने सीरिया पर आक्रमण करने का लगभग निश्चय कर ही लिया था ।इसी समय रूस ने एंट्री मारी और ब्लादिमीर पुतिन के “हम सीरिया को दूसरा इराक नहीं बनने देंगे ” वाले बयान के बाद से ही अमेरिका ने पैर पीछे खीचें। तब तक सीरिया में ISIS का नाम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बिलकुल भी न था. एक तरफ रूस के दबाव में अमेरिका ने सीरिया से कदम पीछे खींचे उसके कुछ दिन बाद से ही ISIS का खौफ सीरिया में मंडराने लगा.

महज कुछ महीनो में ही एक संगठन का विश्व स्तर पर नजर आना इतना आसान होता है क्या? कहा से हुयी इतनी फंडिंग? किसने दी ट्रेनिंग? हथियार किसने दिए? लश्कर में इस्तेमाल होने वाली गाड़ियां कौन देता है? इस्लाम जाहिलों का समूह है, ये धर्म के नाम पर मरने मारने पर उतर आते है. पर बात अब सिर्फ इतनी ही नहीं है? कोई इस्लामिक जाहिलियत को इस्तेमाल कर रहा है.. कोई इस्लाम के द्वारा ही इस्लाम को मिटा रहा है .. अल्लाह के नाम पर isis में भर्तियां की जाती हैं और इन जाहिलो का इस्तेमाल वैश्विक ध्रुविकरण में किया जा रहा है..

सोचिये! ISIS एशिया में है, अरब में फैला है, यूरोप में पंहुचा पर अमेरिका में क्यों नहीं. इराक और अफगानिस्तान का हमले की जवाबी आतंकी कार्यवाही पेरिस में क्यों?

पेरिस की इस घटना के बाद फ़्रांस सीरिया में ISIS के ठिकानों पर जरूर बमबारी करेगा क्योंकि भारत की तरह वहाँ न तो आतंकियों के सपोर्ट में मोमबत्तियां जलती हैं न ही रात में अदालत खुलवाई जाती है। इससे सीरिया को ISIS से निपटने में सहायता होगी। रूस पहले से ही सीरिया के साथ है। कुल मिलाकर रूस, फ्रांस, सीरिया एवं इराक एक मोर्चे आ चुके हैं। आने वाले दिनों में और भी देशों में आतंकी हमले हो सकते हैं.. लिहाजा ध्रुवीकरण ऐसे ही बढ़ता जायेगा…

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वर्ल्ड वार-3 की स्थिति क्या अब भी आपको नहीं दिखती?

इस विश्व युद्ध में भारत तटस्थ नहीं रह पायेगा और विश्व के सारे देश मिलकर भी अमेरिका को नहीं हरा पाएंगे। परिणाम ये होगा की एशिया के बड़े उपभोक्ता बाजार और खाड़ी देशों के तेल पर अमेरिका का कब्ज़ा हो जायेगा और पूरा विश्व अमेरिका के पैरों तले होगा। अमेरिका पूरे विश्व बाजार का एकमात्र शासक होगा।

यही उद्देश्य है ISIS के पीछे.. इस्लाम एक हथियार है। इस बहाने अल्लाह के नाम पर फ्री में सैनिक मिलते रहेंगे। ISIS एक ट्रोजन हॉर्स है। ISIS एक रिलीजियस बम है जिसकी पिन किसी और के हाथ में हैं।

समझो रे अल्लाह के बन्दों। धर्मभक्त नहीं देश भक्त बनो…क्रिया प्रतिक्रिया के चक्कर में न पड़ो वरना तीसरे विश्व युध्द के बाद गूगल में भी सर्च करने से नहीं मिलोगे.

सुन रहा है न तू….

गुवाहाटी निवासी सोशल मीडिया एक्टिविस्ट गीताली सैकिया के फेसबुक वॉल से.

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