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दुख-सुख

मोदी की तरह अधिक काम के लिए दण्डित किया गया हूं : अमिताभ ठाकुर

निलंबित आईपीएस अफसर अमिताभ ठाकुर ने आज उत्तर प्रदेश सरकार के माध्यम से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिख कर कहा है कि उन्हें अपने काम में लापरवाही या अनियमितता के लिए नहीं, अधिक काम करने के लिए निलंबित किया गया है. अमिताभ ने कहा है कि उन्हें 13 जुलाई 2015 को निलंबित करते हुए 15 बिन्दुओं पर आरोपपत्र दिया गया था जिसमे एक भी आरोप उनके आईजी नागरिक सुरक्षा के रूप में काम की लापरवाही से नहीं जुड़ा था बल्कि तमाम आरोप उनके द्वारा पीड़ितों को न्याय दिलाने और सामाजिक कार्यों में भाग लेने से जुड़े थे.

<p>निलंबित आईपीएस अफसर अमिताभ ठाकुर ने आज उत्तर प्रदेश सरकार के माध्यम से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिख कर कहा है कि उन्हें अपने काम में लापरवाही या अनियमितता के लिए नहीं, अधिक काम करने के लिए निलंबित किया गया है. अमिताभ ने कहा है कि उन्हें 13 जुलाई 2015 को निलंबित करते हुए 15 बिन्दुओं पर आरोपपत्र दिया गया था जिसमे एक भी आरोप उनके आईजी नागरिक सुरक्षा के रूप में काम की लापरवाही से नहीं जुड़ा था बल्कि तमाम आरोप उनके द्वारा पीड़ितों को न्याय दिलाने और सामाजिक कार्यों में भाग लेने से जुड़े थे.</p>

निलंबित आईपीएस अफसर अमिताभ ठाकुर ने आज उत्तर प्रदेश सरकार के माध्यम से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिख कर कहा है कि उन्हें अपने काम में लापरवाही या अनियमितता के लिए नहीं, अधिक काम करने के लिए निलंबित किया गया है. अमिताभ ने कहा है कि उन्हें 13 जुलाई 2015 को निलंबित करते हुए 15 बिन्दुओं पर आरोपपत्र दिया गया था जिसमे एक भी आरोप उनके आईजी नागरिक सुरक्षा के रूप में काम की लापरवाही से नहीं जुड़ा था बल्कि तमाम आरोप उनके द्वारा पीड़ितों को न्याय दिलाने और सामाजिक कार्यों में भाग लेने से जुड़े थे.

उन्होंने 24 घंटे में इन आरोपों का जवाब दे दिए लेकिन 04 माह बीतने के बाद भी उनका निलंबन समाप्त नहीं किया गया है. उन्होंने कहा कि उन्हें अपने निलंबन और आरोपपत्र से प्रधानमंत्री द्वारा अपनी चीन यात्रा के दौरान 16 मई 2015 को कही बात याद आ जाती है कि उनकी आलोचना ज्यादा काम करने के लिए की जाती है पर अगर ज्यादा काम गुनाह है तो वे सौ बार ये गुनाह करेंगे. अतः अमिताभ ने श्री मोदी से अपने स्तर से उनके मामले को देखते हुए न्याय दिलाने का अनुरोध किया है.

Being punished like Modi for more work: Amitabh

Suspended IPS officer Amitabh Thakur today sent a letter through the State government to Prime Minister Narendra Modi saying that he has been suspended not for dereliction of duty or impropriety in official work but for working more. Amitabh said he was suspended on 13 July 2015 and given a charge sheet within 15 charges, none of which were related with his work as IG Civil defence but were related with his having assisted people in getting justice or for his social works. He presented his reply within 24 hours but has not been reinstated till date.

He said his suspension and charge sheet makes him remember the Prime Minister’s statement made on 16 May 2015 during his China visit when he said that he was being criticized for working more but he would continue doing so. Hence, Amitabh has requested Sri Modi to get the matter enquired at his end and give him justice.

सेवा में,
श्री नरेन्द्र मोदी,
मा० प्रधानमंत्री,
भारत सरकार,
नयी दिल्ली  
विषय- अधिक कार्य करने के लिए दण्डित किये जाने विषय
महोदय,

कृपया अनुरोध है कि मैं उत्तर प्रदेश कैडर का 1992 बैच का आईपीएस अफसर हूँ. मुझे उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा कार्यालय ज्ञाप दिनांक 13/07/2015 के माध्यम से विभिन्न आरोपों का दोषी बताते हुए निलंबित किया गया है और उसी दिन मुझे आरोपपत्र भी प्रस्तुत कर दिया गया. आरोपपत्र में मुझपर 15 आरोप लगाए गए. मुझे यह आरोपपत्र दिनांक 15/07/2015 को प्राप्त हुआ और मैंने मात्र 24  घंटों के अन्दर लगभग 30 पृष्ठों का अपना स्पष्टीकरण उत्तर प्रदेश सरकार को प्रेषित कर दिया. इसके बाद भी मैं पिछले 04 माह से निलंबित रखा गया हूँ.

अनुरोध करूँगा कि मुझपर जितने भी आरोप लगाए गए हैं उनमे कोई भी आरोप मेरे सरकारी कार्य नहीं करने अथवा सरकारी कार्य में लापरवाही, गड़बड़ी या अनियमितता करने से नहीं जुड़ा है. लगभग सारे आरोप इस बात के हैं कि मेंने सरकारी कार्य के अलावा अतिरिक्त श्रम करके कई सारे अन्य कार्य क्यों किये. उदहारण के लिए मुझपर यह आरोप है कि मैंने व्यापक जनहित में कई सारी जनहित याचिकाएं की, मुझ पर यह आरोप है कि रामपुर शहर में वाल्मीकि बस्ती में गरीब वाल्मीकि लोगों के घरों को जबरदस्ती उजाड़े जाने के मामले में मैंने अपनी पत्नी सामाजिक कार्यकर्ता डॉ नूतन ठाकुर के साथ मिलकर इन गरीब लोगों की जायज़ मांग, जिसे बाद में स्वयं प्रशासन ने भी स्वीकार किया, में उनका साथ क्यों दिया. इसी प्रकार मुझपर यह आरोप है कि मैंने शाहजहांपुर में पुलिस वालों द्वारा एक मंत्री के कथित शह पर एक पत्रकार को जिन्दा जला देने के आरोपों के सम्बन्ध में उस पत्रकार के परिवार वालों की विधिक और मानसिक सहायता क्यों की अथवा उत्तराखंड के डीजीपी द्वारा कथित रूप से वन विभाग की जमीन के सम्बन्ध में अनियमितता करने और उनकी बात नहीं मानने पर एक उपनिरीक्षक को प्रताड़ित करने पर इस प्रकरण में उस उपनिरीक्षक की विधिक मदद करने का प्रयास क्यों किया. इसी प्रकार आरोप संख्या 13 में मुझ पर पांच अलग-अलग प्रकरणों में विभिन्न मौकों पर पीड़ित व्यक्ति को न्याय दिलाने में मदद करने का आरोप लगाया गया जिसमे ठगे जाने पर एफआईआर दर्ज नहीं होने, पेड़ काटने की शिकायत करने पर पुलिस वालों द्वारा प्रताड़ित करने जैसे प्रकरण भी शामिल थे. निष्कर्ष यह कि इनमे अधिकतर आरोपों में मेरे द्वारा व्यक्तिगत स्तर पर सामाजिक कार्यों में की गयी सक्रियता को ग़लत बताया गया है जबकि आईपीएस अफसरों से जुड़े आचरण नियमावली के नियम 13 में हमें सामाजिक कार्यों  में बिना अनुमति सहभागिता का अधिकार दिया गया है और महोदय द्वारा मा० प्रधानमंत्री का पद ग्रहण करने के बाद दिनांक 06/08/2014 को संशोधित आचरण नियमावली में सम्मिलित नियम 3(1ए) में यह स्पष्ट रूप से संविधान की भावना की रक्षा करने, जनता और ख़ास कर गरीब तबकों के प्रति संवेदनशील रहने, पूरी ईमानदारी से जनहित से जुड़े प्रत्येक प्रश्न पर अपने स्तर से यथासंभव जनता के लोगों की मदद करने जैसी बातें शामिल की गयी हैं.

निवेदन करूँगा कि इस आरोपपत्र के पीछे मुख्य कारण मेरी और मेरी पत्नी डॉ नूतन ठाकुर की सामाजिक सक्रियता और इससे उत्तर प्रदेश शासन और प्रशासन के कई ताकतवर लोगों का अहित होना और उनका परेशान होना है, जिसमे मेरी पत्नी द्वारा ताकतवर इंजिनीयर श्री यादव सिंह के खिलाफ जनहित याचिका, उत्तर प्रदेश के खनन मंत्री श्री गायत्री प्रजापति द्वारा अवैध खनन की शिकायत आदि शामिल हैं. मेरे निलंबन का तात्कालिक कारण पूर्व मुख्यमंत्री श्री मुलायम सिंह द्वारा मुझे फोन पर धमकी देने के मामले में मेरे द्वारा एफआईआर लिखवाने का प्रयास करना था.
यह भी अनुरोध है कि मेरे इस पूरे आरोपपत्र में मेरी नियुक्ति के स्थान नागरिक सुरक्षा कार्यालय में मेरे कम काम करने, काम नहीं करने, लापरवाही करने के एक भी आरोप नहीं हैं. इस निलंबन आदेश में नागरिक सुरक्षा निदेशक की कोई रिपोर्ट नहीं कि मैं ठीक से काम नहीं कर रहा, गलत काम कर रहा हूँ आदि. सच्चाई यह है कि मैं पूरी तन्मयता से अपना शासकीय कार्य कर रहा था और उसमे किसी प्रकार की कोई कमी नहीं थी. मुझे दण्डित इस बात के लिए किया गया कि इसके बाद अपने बचे समय में अपना धन खर्च कर अपनी उर्जा का प्रयोग कर मैं निजी हैसियत में सामाजिक कार्य अथवा लोगों की मदद क्यों करता हूँ.

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निश्चित रूप से यह एक व्यक्ति द्वारा उसे ज्यादा काम करने के लिए दण्डित किया जाने की स्थिति है. भले यह छोटा मुंह बड़ी बात लगे पर यदि मैं कह सकूँ तो मुझे अपना यह आरोपपत्र देख कर महोदय द्वारा चीन के तीन दिवसीय दौरे पर दिनांक 16/05/2015 को कही गयी यह बात एकदम से याद आ जाती है-“But it is my bad luck that I am being criticised for working more. If working more is a crime, I will keep doing it. My commitment is to the people.” (अगर ज्यादा काम गुनाह है तो सौ बार ये गुनाह करूँगा।) कई बार मुझे भी यही जान पड़ता है कि मुझे ज्यादा काम करने के गुनाह के लिए दण्डित किया जा रहा है.

अमिताभ ठाकुर
लखनऊ

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