Connect with us

Hi, what are you looking for?

दुख-सुख

वेतन के लिए रिपोर्टर ने चैनल मालिक और संपादक को लिखा भावुक पत्र

संपादक/ मालिकान
के.न्यूज
मालरोड, कानपुर
महोदय,

असहज परिस्थतियों में आपको ये पत्र लिख रहा हूं। क्यों कि आज जिस असहज परिस्थितियों मे मैं हूं कही न कही उसके लिए आप लोग भी जिम्मेदार हू। पिछले एक साल से मैं आपके चैनल के लिए काम कर रहा हूं। लेकिन वेतन के नाम पर आपने दिया तो महज 10 हजार रूपया। शेष वेतन के नाम पर आप लोगो ने सिवाय आश्वासन के कुछ नहीं दिया। जब कि मेरे घर की जरूरते आपके आश्वासन से पूरी नहीं होती। मैने ये एक साल का समय किस तरह से काटा है, न्यूज रूम में बैठे आप लोग ये कभी भी नहीं जान पायेंगे। नहीं जान पायेंगे एक में रहने वाले अपनी जरूरतों को कैसे पूरी करते हैं। सारी जरूरतों को तो काटा-छाटा नहीं जा सकता, जब तीन महीने की छोटी सी बच्ची हो तो कोई कैसे उसकी जरूरतों को मार सकता है। लेकिन मेरे साथ यही हुआ मैने उसकी जरूरतों के आकार को लगातार छोटा किया।

<p>संपादक/ मालिकान<br />के.न्यूज<br />मालरोड, कानपुर<br />महोदय,<br /><br />असहज परिस्थतियों में आपको ये पत्र लिख रहा हूं। क्यों कि आज जिस असहज परिस्थितियों मे मैं हूं कही न कही उसके लिए आप लोग भी जिम्मेदार हू। पिछले एक साल से मैं आपके चैनल के लिए काम कर रहा हूं। लेकिन वेतन के नाम पर आपने दिया तो महज 10 हजार रूपया। शेष वेतन के नाम पर आप लोगो ने सिवाय आश्वासन के कुछ नहीं दिया। जब कि मेरे घर की जरूरते आपके आश्वासन से पूरी नहीं होती। मैने ये एक साल का समय किस तरह से काटा है, न्यूज रूम में बैठे आप लोग ये कभी भी नहीं जान पायेंगे। नहीं जान पायेंगे एक में रहने वाले अपनी जरूरतों को कैसे पूरी करते हैं। सारी जरूरतों को तो काटा-छाटा नहीं जा सकता, जब तीन महीने की छोटी सी बच्ची हो तो कोई कैसे उसकी जरूरतों को मार सकता है। लेकिन मेरे साथ यही हुआ मैने उसकी जरूरतों के आकार को लगातार छोटा किया।</p>

संपादक/ मालिकान
के.न्यूज
मालरोड, कानपुर
महोदय,

असहज परिस्थतियों में आपको ये पत्र लिख रहा हूं। क्यों कि आज जिस असहज परिस्थितियों मे मैं हूं कही न कही उसके लिए आप लोग भी जिम्मेदार हू। पिछले एक साल से मैं आपके चैनल के लिए काम कर रहा हूं। लेकिन वेतन के नाम पर आपने दिया तो महज 10 हजार रूपया। शेष वेतन के नाम पर आप लोगो ने सिवाय आश्वासन के कुछ नहीं दिया। जब कि मेरे घर की जरूरते आपके आश्वासन से पूरी नहीं होती। मैने ये एक साल का समय किस तरह से काटा है, न्यूज रूम में बैठे आप लोग ये कभी भी नहीं जान पायेंगे। नहीं जान पायेंगे एक में रहने वाले अपनी जरूरतों को कैसे पूरी करते हैं। सारी जरूरतों को तो काटा-छाटा नहीं जा सकता, जब तीन महीने की छोटी सी बच्ची हो तो कोई कैसे उसकी जरूरतों को मार सकता है। लेकिन मेरे साथ यही हुआ मैने उसकी जरूरतों के आकार को लगातार छोटा किया।

चंद रोज बाद दिपावली है, दिपावली यानि रोशनी का त्यौहार। लेकिन मैं सोचता हूं मेरे घर तक कैसे रोशनी पहुंचेगी। क्यों मेरे पास तो मेरे हक के पैसे तक नहीं पहुंचते। मेरी छोटी सी बच्ची की ये पहली दिपावली है, वो अभी इतनी छोटी है कि बोल नहीं सकती। लेकिन मै तो बोल और समझ सकता हूं। मैं कब से आपसे सिर्फ इतना ही कह रहा हूं कि मेरा वेतन दे दीजिए साहब लोगों लेकिन मैं समझ नहीं पा रहा हूं कि आप लोग मेरा वेतन क्यों रोके हुए है। क्या मेरी बेटी की पहली दिपावली भी अंधेरे में कटेगी। क्या मैं अपने घर वालो को एक छोटी सी खुशी तक नहीं पहुंचा सकता। आखिर क्यों? न्यूज रूम में बैठकर किसी घटना का स्क्रिप्ट लिख कर पीड़ित के हक में बात करना और बात है, जब कि जिदंगी की पथरिली जमीन पर रोज की जरूरतों के साथ संघर्श करना बेहद कठिन। मेरे हक की कहानी आपके खबर का हिस्सा शायद कभी नहीं बन पाये।

मेरी जरूरते आज भी हर सुबह मुझे जगा देती है। और मै दिन भर दौड़ता-फिरता हूं। मुझे सिर्फ इतना ही कहना है, कि अगर आप मेरा बकाया वेतन दिपावली से पहले दे देंगे तो मेरे घर तक भी खुशिया पहुंच जायेगी नहीं तो मेरी बच्ची की जरूरतें मर जायेंगी। सोच कर देखियेगा इसका जिम्मेदार कौन होगा। आशा करता हूं आप इस बारे में संवेदनशीलता के साथ सोचते हुए मेरा बकाया वेतन दे देंगे ताकि मेरे घर भी दिपावली भी खुशिया पहुंच सके।

प्रहलाद गुप्ता
रिपोर्टर
के.न्यूज
वाराणसी।

You May Also Like

Uncategorized

मुंबई : लापरवाही से गाड़ी चलाने के मामले में मुंबई सेशन कोर्ट ने फिल्‍म अभिनेता जॉन अब्राहम को 15 दिनों की जेल की सजा...

ये दुनिया

रामकृष्ण परमहंस को मरने के पहले गले का कैंसर हो गया। तो बड़ा कष्ट था। और बड़ा कष्ट था भोजन करने में, पानी भी...

ये दुनिया

बुद्ध ने कहा है, कि न कोई परमात्मा है, न कोई आकाश में बैठा हुआ नियंता है। तो साधक क्या करें? तो बुद्ध ने...

सोशल मीडिया

यहां लड़की पैदा होने पर बजती है थाली. गर्भ में मारे जाते हैं लड़के. राजस्थान के पश्चिमी सीमावर्ती क्षेत्र में बाड़मेर के समदड़ी क्षेत्र...

Advertisement