Connect with us

Hi, what are you looking for?

दुख-सुख

कब तक झेलें दिल्ली के गड्ढे… डेंगू और बलात्कार के साथ बिहार चुनाव की फिजूल खबरों को…

देश के तमाम न्यूज चैनलों को चूंकि 24 घंटे खबरें दिखाना है, लिहाजा 22 घंटे तो बकवास ही परोसते नजर आते हैं। एक ही खबर को 36 बार दिखाकर जहां दिमाग का दही करते हैं, वहीं नई दिल्ली की तो उन मामूली खबरों को भी नेशनल न्यूज के रूप में परोसा जाता है, जिन्हें शायद लोकल चैनल भी उतना कवरेज ना देते हों। नई दिल्ली की किसी सड़क पर अगर कोई एक गड्ढा हो गया या कचरे का ढेर पड़ा है तो उस पर ये न्यूज चैनल देशभर के दर्शकों का माथा खाते हैं। जबकि दिल्ली से ज्यादा बड़े-बड़े गड्ढे और कचरों के ढेर इंदौर सहित देशभर के अन्य तमाम प्रमुख शहरों में आए दिन की बात है और जनता भी इन खबरों को देखकर इन न्यूज चैनलों के दिमागी दिवालियेपन पर हंसती है।

<p>देश के तमाम न्यूज चैनलों को चूंकि 24 घंटे खबरें दिखाना है, लिहाजा 22 घंटे तो बकवास ही परोसते नजर आते हैं। एक ही खबर को 36 बार दिखाकर जहां दिमाग का दही करते हैं, वहीं नई दिल्ली की तो उन मामूली खबरों को भी नेशनल न्यूज के रूप में परोसा जाता है, जिन्हें शायद लोकल चैनल भी उतना कवरेज ना देते हों। नई दिल्ली की किसी सड़क पर अगर कोई एक गड्ढा हो गया या कचरे का ढेर पड़ा है तो उस पर ये न्यूज चैनल देशभर के दर्शकों का माथा खाते हैं। जबकि दिल्ली से ज्यादा बड़े-बड़े गड्ढे और कचरों के ढेर इंदौर सहित देशभर के अन्य तमाम प्रमुख शहरों में आए दिन की बात है और जनता भी इन खबरों को देखकर इन न्यूज चैनलों के दिमागी दिवालियेपन पर हंसती है।</p>

देश के तमाम न्यूज चैनलों को चूंकि 24 घंटे खबरें दिखाना है, लिहाजा 22 घंटे तो बकवास ही परोसते नजर आते हैं। एक ही खबर को 36 बार दिखाकर जहां दिमाग का दही करते हैं, वहीं नई दिल्ली की तो उन मामूली खबरों को भी नेशनल न्यूज के रूप में परोसा जाता है, जिन्हें शायद लोकल चैनल भी उतना कवरेज ना देते हों। नई दिल्ली की किसी सड़क पर अगर कोई एक गड्ढा हो गया या कचरे का ढेर पड़ा है तो उस पर ये न्यूज चैनल देशभर के दर्शकों का माथा खाते हैं। जबकि दिल्ली से ज्यादा बड़े-बड़े गड्ढे और कचरों के ढेर इंदौर सहित देशभर के अन्य तमाम प्रमुख शहरों में आए दिन की बात है और जनता भी इन खबरों को देखकर इन न्यूज चैनलों के दिमागी दिवालियेपन पर हंसती है।

अभी पिछले दिनों डेंगू को लेकर भी इन न्यूज चैनलों ने ऐसा हल्ला पीटा, मानों पूरे देश में डेंगू सिर्फ नई दिल्ली में ही हो। डेंगू की एक-एक मौत और उसमें भी निजी तथा सरकारी अस्पतालों की लापरवाही की खबरें घंटों-घंटों तक परोसी गई, जबकि उससे अधिक डेंगू, स्वाइन फ्लू से इंदौर और मध्यप्रदेश में ही लोग मारे गए और हमारे इंदौर के एमवाय के साथ-साथ निजी अस्पतालों की कुख्याती तो दिल्ली के अस्पतालों से भी कई गुना अधिक है, जिनकी कहीं कोई खबर इन  न्यूज चैनलों में नजर नहीं आती… नई दिल्ली का प्रदूषण पूरे देश का प्रदूषण है और वहां एक्सीडेंट में होने वाली एक मौत या बलात्कार की घटना पर भी ये न्यूज चैनल ऐसा तूफान मचाते हैं मानों दिल्ली को छोड़कर पूरे देश में महिलाएं – लड़कियां सुरक्षित हैं, जबकि नेशनल क्राइम ब्यूरो के सालों के रिकार्ड यह साबित करते रहे हैं कि मध्यप्रदेश में सबसे अधिक बलात्कार होते हैं और उसका इंदौर शहर इन अपराधों में सिरमौर रहा है, मगर नई दिल्ली में अगर कोई बलात्कार हो गया तो वह न्यूज चैनलों पर दिन-दिनभर दिखाया जाता है और अन्य प्रदेशों की ऐसी खबरें स्क्रोल के लायक भी नहीं समझी जाती।

पूरे देश के तमाम राज्यों में सरकारें हैं, लेकिन न्यूज चैनलों को सिर्फ और सिर्फ दिल्ली की केजरीवाल सरकार ही नजर आती है। मध्यप्रदेश में 12 साल से भाजपा की सरकार है, जहां व्यापमं, डीमेट से लेकर तमाम बड़े-बड़े घोटाले आए दिन उजागर होते हैं और किसानों की मौत के मामले में भी मध्यप्रदेश अव्वल ही रहा है, लेकिन नई दिल्ली में एक किसान की मौत पर न्यूज चैनल ऐसा हल्ला मचाते हैं मानों देशभर के किसान खुशहाल हों। अभी बिहार चुनाव को लेकर भी इन न्यूज चैनलों ने नाक में दम कर रखा है और इसकी रिपोर्टिंग भी ऐसे की जा रही है मानों यह बिहार का ना होकर पूरे देश का आम चुनाव हो। बिहार की एक-एक विधानसभा का लेखा-जोखा पेश किया जा रहा है, जिसमें बिहार को छोड़ देश की बाकी जनता को धेलेभर की रुचि नहीं है। बावजूद इसके तमाम चैनलों के रिपोर्टरों ने बिहार में डेरा डाल रखा है और दिनभर पकाऊ खबरें झिलवाते हैं। पूरे देश को सिर्फ बिहार के चुनाव परिणामों से ही मतलब है कि वहां सरकार किसकी बन रही है। गली-मोहल्ले या स्थानीय अखबारों या लोकल चैनलों की खबरें ये न्यूज चैनल पूरे देशभर को फिजूल परोस रहे हैं। अब तो वाकई इन न्यूज चैनलों को देखकर कोफ्त होने लगी है… क्या ख्याल है आपका भी..?

लेखक राजेश ज्वेल हिन्दी पत्रकार और राजनीतिक समीक्षक हैं. सम्पर्क – 098270-20830 Email : [email protected]

You May Also Like

Uncategorized

मुंबई : लापरवाही से गाड़ी चलाने के मामले में मुंबई सेशन कोर्ट ने फिल्‍म अभिनेता जॉन अब्राहम को 15 दिनों की जेल की सजा...

ये दुनिया

रामकृष्ण परमहंस को मरने के पहले गले का कैंसर हो गया। तो बड़ा कष्ट था। और बड़ा कष्ट था भोजन करने में, पानी भी...

ये दुनिया

बुद्ध ने कहा है, कि न कोई परमात्मा है, न कोई आकाश में बैठा हुआ नियंता है। तो साधक क्या करें? तो बुद्ध ने...

दुख-सुख

: बस में अश्लीलता के लाइव टेलीकास्ट को एन्जॉय कर रहे यात्रियों को यूं नसीहत दी उस पीड़ित लड़की ने : Sanjna Gupta :...

Advertisement