Chandan Srivastava : एमपी बीजेपी का एक नेता कैलाश विजयवर्गीय कह रहा है कि अक्षय की मौत दिल का दौरा पड़ने की वजह से हुई है, बेफिजूल में कोई आशंका मत पालिए। मुझे इसको जूतों से मारने का मन कर रहा है। क्या इस कमीने को पता है कि अक्षय के परिवार में मात्र दो सदस्य और हैं, मां और छोटी बहन। क्या यह नेता उनके सामने कह सकता है कि तुम्हारा 37-38 साल का लड़का हार्ट अटैक से मर गया? आखिर इस नेता को इतनी चुल्ल क्यों है, व्यापम से किसी भी तरह जुड़े लोगों की मौत को स्वभाविक या आत्महत्या बताने की। मुझे व्यापम घोटाले के बारे में पहले कुछ खास जानकारी नहीं थी लेकिन कल से मैं इस बारे में जितना पढ रहा हूं उसमें नेताओं, खनन माफिया जिनके मेडिकल इंस्टीट्यूट भी हैं और डॉक्टरों का नेक्सस खतरनाक भूमिका में दिख रहा है। क्या वजह है कि सीबीआई को जांच नहीं दी जा सकती? कुछ गङबङ एमपी हाईकोर्ट के साथ भी है जो एसआईटी से जांच करवा सकती है लेकिन सीबीआई से नहीं। हाईकोर्ट का ही नियुक्त किया गया रिटा. जस्टिस इन मौतों को स्वभाविक मानता है। किसी भी प्रकार के नेक्सस और सिंडीकेट से भिङना हमेशा खतरनाक होता है। इस नेक्सस में नेता, डॉक्टर, माफिया, आईपीएस, आईएएस और शायद जज भी शामिल हैं।
Amitaabh Srivastava : अजीब बेहूदे, संवेदनशील और जोकर क़िस्म के मंत्री हैं मध्यप्रदेश सरकार में। व्यापमं घोटाले में उनकी सरकार घिरी हुई है़ , मौत पर मौत के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पर सीबीआई जाँच का दबाव है, ऐसे में जब कैलाश विजयवर्गीय से पत्रकार अक्षय सिंह की मौत पर प्रतिक्रिया माँगी गई तो वो कैमरे पर कहते दिख रहे हैं-पत्रकार वत्रकार छोड़ो यार, हमसे बड़ा पत्रकार है कोई। एक बेहद नाज़ुक मौक़े पर ये वाहियात बात कहते हुए जिस बेशर्मी से वो खीसें निपोरते दिख रहे हैं, उस पर किसी भी समझदार और संवेदनशील इंसान को सिर्फ़ ग़ुस्सा ही आ सकता है। इससे पहले बाबूलाल ग़ौर व्यापमं में हुई मौतों पर कह ही चुके हैं – जो आया है सो जाएगा। क्या सरकार है, कैसा मुखिया है, कैसे मुसाहिब हैं। शर्म इनको मगर नहीं आती।
Gyanesh Tiwari : एमपी में इतना बड़ा व्यापम घोटाला और उसके बाद होने वाली ताबड़तोड़ मौतों के बारे में शिवराज सिंह को अगर पता है तो उन्हें ‘मोरल ग्राउंड’ पर इस्तीफ़ा देना चाहिए। और अगर कुछ नहीं पता है तो अपने ‘चुतियापे ग्राउंड’ पर इस्तीफ़ा देना चाहिए। इतना ढक्कन आदमी किसी प्रदेश का मुखिया कैसे हो सकता है यार?
Jawahar Goel : वयापमं की कवरेज करते खोजी पत्रकार की मौत, चारा घोटाला के गवाहों की मौत, आसाराम केस से जुड़े लोग की हत्या, यूपी में हाल ही में पत्रकार की हत्या… और न जाने कितने केस, जहां केस को ख़त्म कराने की ज़िद में हत्या पर हत्या होती चली जाती है। सबसे एक बात समझ मे आई कि… पैसे बग़ैर राजनीति नहीं, घोटाले बिना पैसा नहीं, केस जीते बग़ैर राजनीति नहीं, हत्या बिना केस से मुक्ति नहीं.
Rajesh Agrawal : व्यापमं घोटाले में 44 मौंतों के बाद यह मौत 45वीं है. आज तक के स्पेशल कॉरेपांडेंस अक्षय की. हर एक मौत रहस्यमयी. किसी को अटैक आया, किसी को मिर्गी आई. क्या पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टरों को भी खरीद लिया गया है. मुझे पता है तानाशाह मानसिकता वाली यह सरकार ब्यूरोक्रेट्स को नचा रही है, अदालतों को अपने अनुकूल फैसले लेने के लिए मजबूर करने लगी है, लेकिन मीडिया..मैनेज नहीं हो रहा. शिवराज सिंह की मीठी चुपड़ी प्रतिक्रियाओं पर मत जाइये, ये तो कह रहे हैं, वे आज तक वालों से भी ज्यादा दुखी हैं. मुझे बाबूलाल गौर की बात भी याद आ रही है जो व्यापमं में फंसे लोगों की मौत पर कहते हैं, जो आएगा वह जाएगा, प्रकृति का नियम है. हास्यास्पद स्थिति है.. शायद आज तक वालों को आभास नहीं था कि उनके भी स्टाफ को जान से हाथ धोना पड़ेगा, वे दिन रात मोदी के गुण जो गाते रहे हैं. अक्षय के परिवार की क्या दशा होगी, सोचकर मन भारी हो रहा है. विनम्र श्रद्धांजलि. व्यापमं घोटाले में 44 मौंतों के बाद यह मौत 45वीं है. आज तक के स्पेशल कॉरेपांडेंस अक्षय की. हर एक मौत रहस्यमयी. किसी को अटैक आया, किसी को मिर्गी आई. क्या पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टरों को भी खरीद लिया गया है. मुझे पता है तानाशाह मानसिकता वाली यह सरकार ब्यूरोक्रेट्स को नचा रही है, अदालतों को अपने अनुकूल फैसले लेने के लिए मजबूर करने लगी है, लेकिन मीडिया..मैनेज नहीं हो रहा. शिवराज सिंह की मीठी चुपड़ी प्रतिक्रियाओं पर मत जाइये, ये तो कह रहे हैं, वे आज तक वालों से भी ज्यादा दुखी हैं. मुझे बाबूलाल गौर की बात भी याद आ रही है जो व्यापमं में फंसे लोगों की मौत पर कहते हैं, जो आएगा वह जाएगा, प्रकृति का नियम है. हास्यास्पद स्थिति है.. शायद आज तक वालों को आभास नहीं था कि उनके भी स्टाफ को जान से हाथ धोना पड़ेगा, वे दिन रात मोदी के गुण जो गाते रहे हैं. अक्षय के परिवार की क्या दशा होगी, सोचकर मन भारी हो रहा है. विनम्र श्रद्धांजलि.
Satyendra Ps : व्यापम घोटाले के खिलाफ आज से नहीं लिखूंगा। व्यापम कित्ता सुंदर शब्द है। बिलकुल सुंदर। प्रभु की लीला जैसा सांस्कृतिक और व्यापक। व्यापम का कवरेज करने वाले पत्रकार अक्षय सिंह की मौत। जीवन और मृत्यु प्रभु के हाथ है। कब कौन मर जाए, उसमे सरकार कुछ नही कर सकती। आत्मा न पैदा होती है न मरती है। पता नहीं कब व्यापम के खिलाफ लिखने वाले फेसबुकियों का भी नम्बर आ जाए!
Mukesh Kumar : व्यापम घोटाला केवल बड़े भ्रष्टाचार का एक उजागर मामला भर नहीं है। ये भी देखा जाना चाहिए कि सत्ताधारी किस बेशर्मी से अपने पाप छिपाने के लिए ख़ूनी खेल खेल रहे है और उन्हें अपनी पार्टी, केंद्र सरकार, यहां तक कि कानून का भी कैसा संरक्षण प्राप्त है।
पत्रकार चंदन श्रीवास्तव, अमिताभ श्रीवास्तव, ज्ञानेश तिवारी, जवाहर गोयल, राजेश अग्रवाल, सत्येंद्र प्रताप सिंह और मुकेश कुमार के फेसबुक वॉल से.